सोमवार, 20 दिसंबर 2010

कामशास्‍त्र बनते प्रिंट और वेब अखबार

''मुन्‍नी के बदनाम होने'' या ''शीला के जवान होने'' की चिंता तो बहुतों को सता रही है लेकिन मीडिया जगत के कामशास्‍त्र बनते जाने की फिक्र किसी को नहीं। 
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ये उन क्‍लासीफाइड विज्ञापनों का मजमून है जो देश के अधिकांश मशहूर दैनिक अखबारों में आये दिन छपता रहता है।
रिफ्रेश होगी सेक्स लाइफ, कामसूत्र का पाठ, तस्‍वीरों में: वाइल्‍ड सेक्‍स के तरीके, तस्‍वीरों में टॉप 10 सेक्‍स गेम्‍स, तस्‍वीरों में सेक्‍स के 10 फायदे, महिलाओं को कैसे करें आकर्षित, बनायें सेक्‍स को रोचक और आनंदमय, 20, 30 और 40 की उम्र का सेक्‍स, यौन शक्‍ित कैसे बढ़ायें, पुरुषों को नापसंद हैं सात बातें यौन विस्‍तर में, नये रिश्‍ते में सेक्‍स सम्‍बन्‍ध के लिए सही समय।
ये कुछ प्रमुख नेट अखबारों के आर्टीकल्‍स की हेडिंग्‍स हैं। इनमें वो अखबार भी शामिल हैं जिनकी हार्ड कॉपीज यानी अखबार भी बड़े पैमाने पर छपते हैं। खुद को देश के शीर्ष अखबारों में शुमार करने वाले इन अखबारों के मालिकान व्‍यावसायिक प्रतिस्‍पर्धा के चलते तथा अभिव्‍यक्‍ित की स्‍वतंत्रता के नाम पर अभी और कितना नीचे गिरेंगे, यह बता पाना तो फिलहाल मुश्‍िकल है लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है समाचार पत्रों को इन्‍होंने जैसे ''कामशास्‍त्र'' बनाकर रख दिया है।

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