शनिवार, 28 जुलाई 2012

ये तस्‍वीर डराती है अखिलेश बाबू.....

त्तर प्रदेश के विकास की ये कौन सी परिभाषा गढ़ रहे हैं अखिलेश यादव कि बुंदेलखंड में कर्ज़ के बोझ से दबे किसानों की खुदकुशी चार महीनों में चालीस का आंकड़ा छू रहा है वहीं उनके अपने जिले इटावा में लायन सफारी के लिए पूरी सरकारी ताकत झोंकी जा रही है। तस्‍वीर भयावह है.....

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

..और सरकारी खाप पंचों का क्‍या!

देश व प्रदेशों में कुछ खाप सरकारी हैं और कुछ गैर सरकारी। कुछ फरमान व फतवे सरकारी स्‍तर से जारी किये जाते हैं, कुछ गैर सरकारी स्‍तर से  लेकिन हर हाल में शिकार होती है आमजनता । वह आमजनता जो सरकारी व गैर सरकारी यानी दोनों किस्‍म की खापों को खास बनाती है ।
(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)

सोमवार, 16 जुलाई 2012

मथुरा निकाय चुनाव:जे नर्म के पैसे ने पैदा कर दिये अचानक इतने खेवनहार

जरा विचार कीजिये कि जिन्‍हें न तो कोई वेतन-भत्‍ता मिलता है, न कोई सुविधा प्राप्‍त होती है। निर्णय लेने का कोई अधिकार हासिल नहीं है। संविधान ने कोई विशेष दर्जा भी नहीं दे रखा तो फिर घर फूंक कर तमाशा देखने को यह इतने उतावले क्‍यों हैं ?
(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष) 
यूपी में निकाय चुनाव यूं तो लगभग सम्‍पन्‍न हो चुके हैं पर विभिन्‍न कारणों से कुछ जनपदों में मतदान होना अभी बाकी है। इन जनपदों में मथुरा भी शामिल है।

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

सवाल अनेक पर जवाब किसी का नहीं

मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि भारत तब अधिक गौरवशाली था जब गरीबी के बावजूद उसकी सांस्‍कृतिक समृद्धि का सारी दुनिया लोहा मानती थी या आज अधिक गौरवशाली है जब उसकी गिनती विश्‍व के भ्रष्‍टतम देशों में की जाती है ?
कुछ समय पहले तक भारत को सपेरों और साधु-सन्‍यासियों का देश कहा जाता था । गरीब देश कहा जाता था । नेता कहते हैं कि भारत ने बहुत तरक्‍की की है । अब दुनिया का कोई देश भारत को सपेरों का देश नहीं कहता ।

खुलासा: बॉलीवुड में लगता है नेताओं का काला धन


मंगलवार, 10 जुलाई 2012

45 लाख करोड़ का काला धन विदेश में

समाचार ऐजेंसी पीटीआई के मुताबिक भारतीय वाणिज्‍य उद्योग परिसंघ फिक्की ने कहा है कि अगर भारत की सरकार 45 लाख करोड़ रुपए के काले धन को विदेश से देश ले आए, तो भारत की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा हो सकता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय मंदी से जूझ रही है और ऐसी आशंका है कि चालू वित्तीय वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद में 5.13 लाख करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है.

सोमवार, 9 जुलाई 2012

THE UNDERACHIEVER PM:TIME MAGAZINE

विश्‍व की प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कामकाज पर सख्त टिप्पणी करते हुए उन्हें अंडरअचीवर बताया है.
'पत्रिका के ताजा अंक में मनमोहन सिंह को निशाना बनाया गया है. पत्रिका में कहा गया है कि मनमोहन सिंह लोगों की उम्मीद पर खरे नहीं उतर रहे.
टाइम पत्रिका की कवर स्टोरी में प्रधानमंत्री की काबिलियत पर सवाल उठाया गया है. टाइम ने लिखा है कि मनमोहन उम्मीद से कम कामयाबी हासिल करने वाले शख्स साबित हुए हैं.

शनिवार, 7 जुलाई 2012

बड़ों को रास नहीं आ रहा RTI एक्‍ट

आने वाले सालों में बेमतलब हो सकता है सूचना का अधिकार
सरकारी अधिकारियों को ट्रेनिंग में सिखाया जाता है कि कैसे जवाब देने से बचा जाए। यह कहना है शैलेश गांधी का जो छह जुलाई को सूचना आयुक्त के पद से सेवानिवृत हो रहे हैं।

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

WOW CM साहब : न जन का मान, न तंत्र का भान

लोहिया को अपना आदर्श और खुद को धरती पुत्र कहलाने वाले मुलायम सिंह के पुत्र का यह कैसा समाजवाद है जो जनप्रतिधियों को जनता के पैसों से  मौज कराने का हिमायती है।
एक ओर जहां आम जनता महंगाई व भ्रष्‍टाचार से त्रस्‍त है और कानून-व्‍यवस्‍था की बदहाली ने उसका जीना हराम कर रखा है वहीं दूसरी ओर अखिलेश सरकार के अजीबो-गरीब फैसले ''जले पर नमक छिड़कने'' की कहावत को चरितार्थ करते नजर आते हैं।
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