मंगलवार, 28 अगस्त 2012

ये भी हैं एक ''भारत रत्‍न'' !

जीवन के 25 वसंत पत्रकारिता के नाम करने के बावजूद मैं यह दावा करने में खुद को असमर्थ पाता हूं कि मैंने किसी किस्‍म की कोई देश सेवा की हो। हां, जाने-अनजाने में थोड़ी-बहुत समाज सेवा शायद कभी की हो तो याद नहीं। जब वह मुझे ही ठीक से याद नहीं तो कोई दूसरा याद क्‍यों रखने लगा।  यूं भी समाज सेवा का कोई ताल्‍लुक देश सेवा अथवा राष्‍ट्र सेवा से है भी कि नहीं, मुझे नहीं पता।
खैर, देश सेवा और राष्‍ट्र सेवा के मेरे मानदण्‍ड मुझे मुबारक़।
फिलहाल हम यहां बात करेंगे उन महान हस्‍तियों की जो अपने-अपने प्रोफेशन के जरिये देश की सेवा करने का न केवल दावा करते हैं बल्‍कि उसके लिए पुरस्‍कार पाने की चाहत भी रखते हैं।
देश सेवा करने का हाल ही में सर्वाधिक प्रबल दावा शर्लिन चोपड़ा द्वारा किया जा रहा है। शर्लिन का कहना है कि उसने विश्‍व प्रसिद्ध एडल्ट मैगजीन ''प्लेब्वॉय'' के लिए पूर्णत: निर्वस्‍त्र होकर जो देश सेवा की है, उसके लिए उसे ''भारत रत्‍न'' दिया जाना चाहिए। शर्लिन को अपनी इस उपलब्‍धि पर इसलिए भी फ़क्र है क्‍योंकि ऐसा मुकाम हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला है।
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