मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

2014: आजादी के दूसरे कालखण्‍ड की शुरूआत

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
2013 अतीत बनने जा रहा है और 2014 भविष्‍य। कहते हैं अतीत कभी पीछा नहीं छोड़ता, भविष्‍य को वह किसी न किसी रूप में प्रभावित जरूर करता है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि वह भविष्‍य का पीछा करता रहता है।
2013 में भारतीय 'लोक' ने 'तंत्र' पर कुछ ऐसी चोट की है कि देश के भाग्‍यविधाता पिछले 66 सालों से रटी-रटाई लोकतंत्र की परिभाषा को फिर गढ़ने पर विचार करने लगे हैं।
दरअसल 60 साल के बाद की उम्र किसी के भी लिए विचारणीय होती है। इसे एक दूसरे पड़ाव के रूप में भी देखा जाता है। संभवत: इसीलिए पहले के शासक 60 साल की उम्र पूरी होने पर स्‍वेच्‍छा पूर्वक वानप्रस्‍थ आश्रम ग्रहण कर लेते थे। आज भी अधिकतम यही उम्र हर प्रकार के सेवाकाल से अवकाश प्राप्‍ति हेतु निर्धारित है।
हम इसे देश को मिली आजादी का दूसरा कालखण्‍ड भी कह सकते हैं जो अपने 6 दशक पूरे होने पर ही शुरू हो चुका था लेकिन उसकी आहट सुनाई दी 2013 में।   
ऐसे में यह माना जा सकता है कि 2013 से प्रभावित 2014 कुछ अलग होगा। इस वर्ष कुछ ऐसा होगा जो भारत के भविष्‍य को नए सिरे से गढ़ने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
पिछले 66 सालों में भारत के तथाकथित भाग्‍य विधाताओं ने लोकतंत्र को सिर्फ और सिर्फ निजी हित साधने में प्रयोग किया। उनके लिए आजादी के मायने अगर कुछ थे तो चुनावों के नाम पर प्राप्‍त अधिकार एवं कर्तव्‍यों का भरपूर दुरुपयोग करना था। वह जनप्रतिनिधि कहलाते अवश्‍य रहे परंतु जनता से उनका कोई वास्‍ता नहीं रह गया था। सामंतवाद के नये चेहरे बन चुके थे देश के अधिकांश माननीय।
2013 के विदा होते-होते भारतीय राजनीति में और समाज के अंदर जो अप्रत्‍याशित घटनाएं हुईं उन्‍होंने यह अहसास करा दिया कि वक्‍त अब बहुत तेजी के साथ करवट ले रहा है।
जिन्‍होंने इस अहसास को शिद्दत से महसूस किया और इसकी नब्‍ज़ टटोली, उन्‍होंने काफी हद तक 2014 के लिए खुद को तैयार भी कर लिया लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्‍होंने वक्‍त की नज़ाकत को दरकिनार करने का दुस्‍साहस किया, नतीजा सबके सामने है। आज उनके ऊपर हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास बन जाने का खतरा मंडरा रहा है।
आश्‍चर्य की बात यह है कि इतना सब-कुछ घट जाने तथा तमाम घटनाओं द्वारा भविष्‍य को रेखांकित किये जाने के बावजूद बहुत से लोग शुतुरमुर्ग बने बैठे हैं। उन्‍हें लगता है कि रेत में सिर गढ़ा लेने से तूफान सिर के ऊपर से होकर गुजर जायेगा।
ऐसे लोगों को समझना होगा कि बहुत हो चुका। लोकतंत्र के नाम पर लोक के साथ काफी मजाक कर लिया। अब वह मजाक बर्दाश्‍त के बाहर हो चुका है।
2014 का लोकसभा चुनाव राजनीति के शेष रहे संक्रमण का उपचार करने में कारगर भूमिका अदा करेगा, इसमें कोई दो राय नहीं। बेहतर होगा कि इन चुनावों का विधिवत शंखनाद होने से पहले अतीत में घटी घटनाओं पर विचार करें और उनके पीछे छिपे संदेश को समय रहते समझ लें अन्‍यथा भविष्‍य इतना भयावह हो सकता है जिसकी कल्‍पना तक देश के स्‍वयंभू भाग्‍यविधाताओं ने नहीं की होगी।

रविवार, 29 दिसंबर 2013

सीएम की पत्‍नी को वोट नहीं दिया तो विकास नहीं होगा

लखनऊ। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं की दबंगई अक्सर देखने को मिलती रहती है। कभी सपा पार्टी के नेता अधिकारियों से पैर छुआते नजर आते हैं, पुलिस वाले की पिटाई करते हैं, तो कभी किसी डॉक्टर का घर तोड़ते हैं तो कभी पार्षद को सिर पर जूते मारने के लिए कहते नजर आते हैं। अब अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री शिव कुमार बेरिया अपने इलाके के लोगों को वोट के लिए धमकी देते दिखाई दिए हैं। शिव कुमार ने अपने इलाके के लोगों को धमकी देते हुए कहा कि अगर सीएम की पत्नी डिंपल यादव को लोकसभा चुनाव में वोट नहीं दिया तो इलाके का विकास नहीं होगा।
उन्होंने लोगों को धमकी दी कि इस सरकार में कोई कमी हो तो बताओ, अगर कमी नहीं है और चुनाव में जाति के नाम पर बह जाओगे तो फिर देखना क्या होगा। उन्होंने कहा कि अगर सीएम की पत्नी यहां से हार जाती हैं और हम इलाके के विकास के लिए पैसा मांगने जाएंगे तो उनका जवाब होगा कि यहां से तो हमारी पार्टी हार गई थी तो पैसा कैसे मिलेगा। पैसा नहीं मिलेगा तो विकास कैसे होगा। पैसा सीएम देता है और अगर सीएम की पत्नी ही इस इलाके से हार जाती है तो वे इलाके के लिए पैसा क्यों देंगे ?
अखिलेश सरकार में रेशम और कपड़ा उद्योग मंत्रालय संभाल रहे मंत्री शिव कुमार इलाके में जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनने आए थे लेकिन उन्होंने लोगों की समस्या सुनने की बजाए लोगों को वोट के लिए धमकाना शुरू कर दिया।

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

गोली मार देनी चाहिए भ्रष्टाचारियों को: सिबी मैथ्यू

तिरुवनंतपुरम। 
केरल के मुख्य सूचना आयुक्त सीबी मैथ्यू ने गुरुवार को कहा कि चीन की ही तरह यहां भी भ्रष्टों को गोली मार देनी चाहिए। मैथ्यू ने यह टिप्पणी यहां एक सेमिनार में की। निगरानी एवं भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो की स्वर्ण जयंती के मौके पर सेमिनार का आयोजन किया गया था। कभी ब्यूरो के प्रमुख रह चुके पूर्व पुलिस महानिदेशक मैथ्यू पूर्व की वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल में मुख्य सूचना आयुक्त बनाए गए। उन्होंने कहा कि निगरानी के मामलों में अनिश्चितकालीन देरी होती है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि त्वरित अदालतों में निगरानी के मामलों की सुनवाई होनी चाहिए, क्योंकि सालों के बाद भी न्याय मिलने की कोई आशा नहीं रहती है।

गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

मुलायम सिंह, मुस्‍लिम और मुंगेरी लाल

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष) एक ओर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह 2014 में किसी भी तरह प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं और उसके लिए अपने कार्यकर्ताओं से साफ-साफ कह भी रहे हैं कि अखिलेश को आप लोगों ने सीएम बनवाया, अब मुझे पीएम बनवाओ लेकिन दूसरी ओर वही कार्यकर्ता अपने कारनामों से प्रदेश की जनता के बीच इतना नकारात्‍मक संदेश दे रहे हैं, जितना आजतक इतनी जल्‍दी किसी सरकार का नहीं दिया गया।
सपा मुखिया ने खुद अपने श्रीमुख से कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के कारनामों को गुंडई की संज्ञा दी है और वह पूरी तरह सही भी है।
ऐसे में कुछ सवाल स्‍वत: इस आशय के खड़े हो जाते हैं कि सपा मुखिया को जुबानी जमा खर्च करने की जगह क्‍या पहले अपने प्‍यादों को हद में रखने की व्‍यवस्‍था नहीं करनी चाहिए ?
उन्‍हें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने का दिवास्‍वप्‍न देखने की बजाय क्‍या पहले अपने पुत्र तथा प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव को यह नहीं समझाना चाहिए कि वह ऐसा कुछ करें जिससे उन्‍हें अपनी तारीफ में कसीदे खुद न गढ़ने पढ़ें और यह काम प्रदेश की जनता करे ?
क्‍या सपा मुखिया की यह जिम्‍मेदारी नहीं बनती कि वह जिला स्‍तर पर पार्टी पदाधिकारियों में व्‍याप्‍त फूट व अंतर्कलह को समाप्‍त करें और खेमों में बंटे सपाइयों को जनहित में काम करने की सीख सख्‍ती के साथ दें ?
इन सबके अलावा सपा मुखिया को यह भी समझना होगा कि मुस्‍लिम मतदाता अब भली प्रकार वोटों की राजनीति का खेल समझ चुका है और उनकी हर चाल के पीछे छिपी मंशा को भी भांप लेता है। यही कारण है कि उसका सपा सहित उस कांग्रेस से भी मोहभंग हो गया है जिसे सांप्रदायिक शक्‍तियों को किनारे रखने की आड़ में समाजवादी पार्टी बिना शर्त समर्थन देती रही। मुस्‍लिम समाज जान चुका है कि कांग्रेस ने भी उसके साथ जो घिनौना खेल अब तक खेला, उसमें जाने-अनजाने समाजवादी पार्टी की बड़ी भूमिका रही है।
मुलायम सिंह यादव को समझना होगा कि यदि आंख बंद करके हिंदुत्‍व की दुहाई देना सांप्रदायिकता की श्रेणी में आता है तो बिना वजह और बुद्धि व विवेक को ताक पर रखकर मुसलमानों के तथाकथित हितों की थोथी दुहाई देना भी न सिर्फ एक अलग किस्‍म की सांप्रदायिकता है बल्‍कि प्रदेश व देश के दूसरे तबके के साथ अन्‍याय भी है।
समाजवादी पार्टी हो या कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी हो या राष्‍ट्रीय लोकदल, सबकी राजनीति का तरीका और उनकी फितरत अब उन लोगों के गले नहीं उतर रही जिन्‍हें वो अब तक मात्र वोट बैंक समझकर कुर्सी कब्‍जाने का मकसद बारी-बारी से पूरा करते रहे।
यहां भाजपा का जिक्र करना इसलिए बेमानी है क्‍योंकि भाजपा को तो पहले ही इन्‍होंने सांप्रदायिक पार्टी घोषित कर रखा है। यह बात दीगर है कि मुस्‍लिम समाज अब इनके इस प्रचार के पीछे छिपी असलियत का उद्देश्‍य भी जान चुका है लिहाजा खुलेआम इन्‍हें जवाब दे रहा है।
ताजा उदाहरण मुजफ्फरनगर के शरणार्थी शिविरों में मुलायम सिंह द्वारा कही गई बात से मुस्‍लिमों में उपजे आक्रोश का है। मुस्‍लिम समाज ने मुलायम से अपने उस बयान को लेकर माफी तक मांगने की बात कही है।
मुलायम माफी मांगेंगे या नहीं, यह तो वही जानें अलबत्‍ता एक बात तय है कि मुलायम के मुस्‍लिम प्रेम की असलियत खुद मुस्‍लिम समाज के सामने आ चुकी है और ऐसे में मुलायम सिंह व समाजवादी पार्टी दोनों को भली-भांति समझ लेनी चाहिए कि 2014 में उनका प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए ख्‍वाब देखना मुंगेरी लाल के हसीन सपने सरीखा ही है।
बेहतर होगा कि सपा मुखिया और उनका कुनबा समय रहते यह जान ले कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती। कहीं ऐसा न हो कि केंद्र की सत्‍ता पर काबिज होने की महत्‍वाकांछा उन्‍हें प्रदेश की राजनीति से भी इतनी दूर ले जाए, जहां से यूपी भी उतनी दूर दिखाई देने लगे जितनी आज दिल्‍ली दूर है। 

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

..तो मिलकर मलाई खा रहा है पूरा सिंधिया परिवार

ग्‍वालियर। 
इसे क्या कहा जाए कि एक महल, तीन मंत्री। खट्टा, मीठा और नमकीन। यह तीनों के स्वभाव हैं और तीनों की राजनीति का तरीका भी। एक तल्ख राजनीति करता है तो दूसरा मीठा बनकर फायदा उठाता है। जबकि तीसरे की अपनी विरासत है और वह नमकीन होकर भी लोगों की पसंद में शुमार है।
यह कहानी है, सिंधिया परिवार की और उनके महल की। जहां अलग विचारधारा और सोच के लोग मिलते हैं, लेकिन अंदरखाने सबकी सोच और विचाारधारा एक ही है। हर कोई अपनी अलग विरासत संभालने का दावा करता है। सबके उसूल हैं, लेकिन हर उसूल के पीछे मंशा एक ही है। सत्ता में काबिज रहना और रसूखदार बनकर राजनीति करते रहना।
ग्वालियर का महल, सिंधिया खानदान का ठिकाना है। कहने को यह महल एक है, लेकिन विजयराजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया के जमाने से ही महल के कई दरवाजे हो गए थे। माधवराव सिंधिया के हिस्से में जयविलास पैलेस आया था तो विजयाराजे सिंधिया रानी महल में रहती थीं, दोनों के दरवाजे भी अलग थे। इतने अलग कि कभी एक दूसरे का सामना करने की भी नौबत न आए। अब इन्हीं दरवाजों से नए दौर की राजनीति निकल रही है।
जयविलास पैलेस के हिस्से की राजनीति खुद माधवराव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संभाल ली है। तो वहीं विजयाराजे सिंधिया के हिस्से की राजनीति संभालने का दावा यशोधरा और वसुंधरा करती हैं। वसुंधरा, राजस्थान की राजनीति में हैं। ऐसे में उनका महल और प्रदेश की राजनीति में ज्यादा दखल नहीं है। लेकिन कभी भी वह महल आती हैं तो वह रानी महल के दरवाजों से प्रवेश पाती हैं। अब विरासत की अपनी लड़ाई है।
कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी राजनीति कर रहे हैं और केंद्र में मंत्री हैं। तो वहीं भाजपा में एक बहस है, विरासत की। भाजपा किसी एक चेहरे को विजयाराजे सिंधिया का प्रतिनिधि मानने को तैयार नहीं है। तभी तो विजयाराजे के भाई ध्यानेंद्र सिंह और भाभी माया सिंह भी महल कोटे से लगातार राजनीति कर रहे हैं। अभी भी यशोधरा कैबिनेट में मंत्री बनीं तो दूसरे गुट ने तुरंत माया सिंह का नाम कैबिनेट मंत्री के तौर पर आगे कर दिया। माया को मंत्रालय भी मिल गया और रूतबा भी। ऊपर से ग्वालियर में खड़े होकर राजनीति करने का मौका भी।
घुटने हमेशा पेट में ही आते हैं
एक कहावत है कि घुटने हमेशा पेट की तरफ ही झुकते हैं। मतलब, बाहर से कितने भी अलग दिखने वाले एक परिवार के लोग हमेशा अंदर से एक ही होते हैं। महल में भले ही भाजपा और कांग्रेस दो पार्टियां हों, लेकिन अंदरखाने सब एक हैं। यही वजह है कि सिंधिया परिवार में कोई भी एक दूसरे के खिलाफ न तो प्रचार करता है और ही बात करता है। भले ही कितनी बातें इनके विवाद की कहीं और सुनी जाएं, लेकिन कभी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया, यशोधरा, वसुंधरा और माया सिंह ने एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं बोला है।
-एजेंसी

कांग्रेस का इतिहास और आम आदमी पार्टी की सरकार....

नई दिल्ली। 
दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी सरकार बनाने जा रही है। छह महीने तक कांग्रेस सरकार नहीं गिरा पायेगी परंतु उसके बाद क्या होगा यह तो भविष्य के गर्त में छिपा है लेकिन कांग्रेस के इतिहास पर नजर डालें तो साफ होता है कि आम आदमी पार्टी की सरकार भी शायद ही ज्यादा दिनों तक चल पाए।
देशभर में कांग्रेस के समर्थन से कुल नौ सरकारें (राज्यों और केन्द्र) बनीं। इनमें से ज्यादातर सरकारें एक साल के भीतर ही गिर गईं।
सिर्फ एक महीने तक पीएम रहे चरण सिंह
कांग्रेस का सबसे पहला शिकार बने थे चौधरी चरण सिंह। चरण सिंह सिर्फ एक महीने तक ही प्रधानमंत्री पद पर रहे। उनका कार्यकाल जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक रहा। उन्होंने पांच महीने तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
4 महीने में गिर गई चंद्रशेखर की सरकार
कांग्रेस का दूसरा शिकार बने थे चंद्रशेखर। चंद्रशेखर ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई। 10 नवंबर 1990 को चंद्रशेखर देश के आठवें प्रधानमंत्री बने। मार्च 1991 को कांग्रेस ने चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया। चंद्रशेखर चार महीने ही प्रधानमंत्री पद पर रह पाए। उन्होंने भी तीन महीने तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
10 महीने तक पीएम रहे देवेगौड़ा
चंद्रशेखर के बाद कांग्रेस का तीसरा शिकार हुए एच. डी. देवगौड़ा। वे सिर्फ 10 महीने तक ही प्रधानमंत्री पद पर रह पाए। देवेगौड़ा जून 1996 में प्रधानमंत्री बने। अप्रेल 1997 में कांग्रेस ने उनके नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार से समर्थन वापस ले लिया। उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी हुआ करते थे।
सात माह तक चली गुजराल की सरकार
देवेगौड़ा के बाद आईके गुजराल देश के प्रधानमंत्री बने। गुजराल अप्रैल 1997 से मार्च 1998 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे। कांग्रेस ने उनके नेतृत्व वाली सरकार से भी समर्थन वापस ले लिया। गुजराल कुल सात महीने तक ही पीएम पद पर रहे। उन्होंने चार महीने तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
मुलायम, सोरेन, कोड़ा को भी गिराया
मुलायम सिंह, शिबू सोरेन और मधु कोड़ा ने कांग्रेस के समर्थन से अपने अपने प्रदेश में सरकारें बनाईं लेकिन तीनों ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री पद पर नहीं रह पाए। मुलायम सिंह पहली बार सिर्फ 15 माह तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। उनका कार्यकाल दिसंबर 1989 से जून 1991 तक रहा। मुलायम ने 3 महीने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद मुलायम सिंह फिर मुख्यमंत्री बने। इस बार वे 18 महीने तक सीएम पद पर रहे। उनका कार्यकाल दिसंबर 1993 से जून 1995 तक रहा। इसी तरह शिबू सोरेन पहली बार सिर्फ 10 दिन तक और दूसरी बार पांच महीने तक झारखण्ड के मुख्यमंत्री पद पर बने रहे। मधु कोड़ा 23 माह तक झारखण्ड के मुख्यमंत्री रहे। वे सितंबर 2006 में मुख्यमंत्री बने और अगस्त 2008 तक इस पद पर रहे।
-एजेंसी

मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

10 लाख करोड़ की फाइलों पर कुंडली मारे बैठी थीं जयंती

नई दिल्ली। 
पूर्व केन्द्रीय पर्यावरण और वन मंत्री जयंती नटराजन पर आरोप है कि उन्होंने दस लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं रोक रखी थीं जबकि इन्हें सभी तरह की मंजूरी मिल चुकी थी और उनके डेडलाइन भी तय कर दिए गए थे. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के मुताबिक जयंती नटराजन ने बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को उनके विभाग के ही पैनलों से तमाम तरह की मंजूरी मिलने के बाद भी रोके रखा. समझा जाता है कि इसी कारण उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा. राहुल गांधी ने शनिवार को फिक्की में कॉर्पोरेट्स की बैठक में इस बात का भरोसा दिलाया था कि परियोजनाओं में अब विलंब नहीं होगा.
लेकिन इसके पहले जयंती नटराजन को इस्तीफा देना पड़ा. ऐसा समझा जाता है कि एक ओर तो राहुल गांधी और उनकी पार्टी की सरकार देश में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को जल्द-से-जल्द मंजूरी दिलाने का प्रयास कर रही थी तो दूसरी ओर जयंती नटराजन फाइलों पर बैठी थीं. इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा.
काफी समय से पर्यावरण मंत्रालय पर इस बात के लिए उंगलियां उठती रहीं कि वहां फाइलों को लटकाया जाता है. दिसंबर के पहले हफ्ते में एक सरकारी आंतरिक आंकलन में पाया गया था कि 14 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं में से 5 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं ऐसी थीं कि जिनमें विलंब के लिए पर्यावरण मंत्रालय जिम्मेदार है. ये ऐसी परियोजनाएं थीं जिन्हें कैबिनेट कमेटी ऑफ इन्वेस्टमेंट तक की मंजूरी मिल चुकी थीं. इनके अलावा 4 लाख करोड़ रुपये की वैसी परियोजनाएं लटका दी गई थीं जिनके लिए डेडलाइन तय कर दी गई थी ताकि उनसे जुड़े मुद्दे सुलझा लिये जाएं. इसके अलावा और एक लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं पर्यावरण मंत्रालय ने रोक ली थीं. इनके बारे में गुजरात सरकार ने भी नाराजगी जताई थी.
सूत्रों ने बताया कि प्रधान मंत्री ने फरवरी महीने में ही कोयले की खदानों से संबिधित परियोजनाओं को जल्द-से-जल्द मंजूरी देने की बात कही थी, लेकिन इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई और फाइलें लटकी रह गईं. कोयले की कमी से थर्मल पॉवर स्टेशनों में काम ठप सा हो गया है.
लेकिन जयंती नटराजन ने कहा कि उनके काम की प्रधानमंत्री ने भी सराहना की है और उनके कार्यकाल में कोई भी परियोजना नहीं लटकी रही. मैंने पार्टी के काम काज के लिए मंत्री पद छोड़ा है. इसके अलावा कोई और कारण नहीं है.
-एजेंसी

शनिवार, 21 दिसंबर 2013

पत्रकारों के लिए दूसरा सबसे खतरनाक देश है भारत

नई दिल्ली। 
भारत इस साल पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में सीरिया के बाद दुनिया का दूसरा सबसे खतरनाक देश रहा है। ब्रिटेन स्थित संस्था इंटरनेशनल न्यूज सेफ्टी इंस्टीट्यूट द्वारा कल लंदन में जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस साल 12 पत्रकारों सहित कुल 13 मीडिया कर्मी मारे गए हैं। इनमें से सात की हत्या की गई। दो पत्रकार उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों की खबर करते हुए मारे गए और चार की मौत काम के दौरान हुई दुर्घटनाओं में हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2013 में विश्व के 29 देशों में कुल 126 मीडियाकर्मी मारे गए हैं। यह संख्या पिछले साल के मुकाबले 17 प्रतिशत कम है। इसमें सबसे ज्यादा 19 पत्रकार सीरिया में जारी गृहयुद्ध की खबर करते हुए मारे गए हैं। पिछले साल सीरिया में 28 मीडियाकर्मी मारे गए थे लेकिन इस साल सीरिया में स्थानीय और विदेशी मीडियाकर्मियों के अपहरण की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले बढ़ गई हैं।
-एजेंसी

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

एक और जज पर यौन शोषण का आरोप

नई दिल्ली। 
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए. के. गांगुली पर लगा यौन शोषण का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि एक और जज का सेक्स स्कैण्डल सामने आया है। एक और लॉ इंटर्न ने जज पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। लॉ इंटर्न ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम से शिकायत की थी। दिल्ली के एक समाचार पत्र ने रिपोर्ट दी है कि चीफ जस्टिस से दो हफ्ते पहले शिकायत की गई थी। शिकायत उस वक्त की गई थी जब सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति जस्टिस गांगुली पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच कर रही थी। लॉ इंटर्न को बताया गया कि किसी भी पूर्व जज के खिलाफ ताजा शिकायत पर गौर नहीं किया जाएगा। जस्टिस गांगुली का मामला अकेला अपवाद है।
महिला लॉ इंटर्न ने अपने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हलफनामा सौंपा था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पर यौन प्रताड़ना के आरोप लगाए गए हैं लेकिन पूर्ण कोर्ट मीटिंग ने इस तरह के अन्य मामलों को नहीं देखने का फैसला किया।
पूर्ण कोर्ट मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश शामिल हुए। इसमें फैसला हुआ कि जस्टिस गांगुली के विवाद के बाद आई शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा। 5 दिसंबर को पूर्ण कोर्ट मीटिंग पर नोटिस सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया। पूर्ण कोर्ट मीटिंग में कहा गया था कि मुख्य न्यायाधीश का रिटायर्ड जजों पर अधिकार क्षेत्र नहीं है।
एडिशनल सोलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के पीआरो राकेश शर्मा और महासचिव रविन्द्र मैथानी ने कहा कि उन्हें लॉ इंटर्न की ताजा शिकायत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जिस लॉ इंटर्न ने जस्टिस गांगुली पर आरोप लगाए थे उसने कहा था कि वह ऎसी चार लॉ इंटर्न को जानती है जिनका पूर्व जजों ने यौन शोषण किया।
-एजेंसी

करोड़ों खर्च करके डाली गई मेरे और अन्‍ना के बीच में दरार

नई दिल्ली। 
अन्ना हजारे के साथ अपने संबंधों में आई दरार को ‘मतभेद’ बताते हुए आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके ‘गुरु’ उनके दिल में हैं। हालांकि, निहित स्वार्थों वाली अनेक पार्टियों ने उनके बीच दरार पैदा करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। केजरीवाल ने हालांकि माना कि लोकपाल विधेयक को लेकर हजारे के साथ उनका मतभेद है। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि यह विधेयक 'कमजोर' है और मजबूत जनलोकपाल विधेयक के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
आप नेता ने कहा कि कई पार्टियों की बड़ी ताकतें उनके और हजारे के बीच दरार पैदा करना चाहती हैं क्योंकि वे मानते हैं कि अगर केजरीवाल और हजारे ने हाथ मिला लिया तो यह परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक हो जाएगा।
केजरीवाल ने एक टेलीविजन चैनल से कहा कि हरेक पार्टियों के सभी गलत लोगों ने अपने निहित स्वार्थों की वजह से हमें अलग करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।
केजरीवाल ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से सरकार बनाने के खिलाफ था क्योंकि हमने बार बार कहा है कि हम कांग्रेस अथवा भाजपा को न तो समर्थन देंगे और न ही उनसे समर्थन लेंगे, लेकिन बाद में लोगों के एक वर्ग ने यह कहना शुरू कर दिया कि हमें सरकार बनानी चाहिए, जबकि दूसरा वर्ग इसका विरोध कर रहा था, इसलिए हमने इस बारे में फैसला लेने के लिए जनता के पास जाने का फैसला किया।
हालांकि उन्होंने कहा कि दिल्ली में सरकार बनाने का फैसला रविवार की रात को किया जाएगा और इसकी घोषणा सोमवार को होगी।
-एजेंसी

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

भारत में यूएस डिप्‍लोमेट्स के 'गे' पार्टनर को अरेस्‍ट करें

नई दिल्ली। 
अमेरिका में भारतीय राजनयिक देवयानी के साथ हुई बदसलूकी के विरोध में भारत का रुख कड़ा हो गया है। वहीं मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी इस मामले में पूरी तरह से सरकार के साथ है। बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारत सरकार को भारत में रह रहे अमेरिकी राजनयिकों के समलैंगिक साथियों को गिरफ्तार कर लेना चाहिए क्योंकि ये डिप्लोमेटिक कोड ऑफ कंडक्ट का साफ उल्लंघन है।
सिन्हा ने कहा कि दुनिया का कोई भी मित्र देश राजनयिकों के साथ इस तरह का सुलूक नहीं करता जैसा अमेरिका ने न्यूयॉर्क में भारत के काउंसलेट जनरल की हेड के साथ किया। अमेरिकी प्रशासन की इस कार्यवाही की निंदा करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में धारा 377 को सही ठहराया है जिसके तहत भारत में समलैंगिक यौन संबंध अपराध करार दिए गए हैं। सिन्हा ने कहा कि भारत में रह रहे अमेरिकी राजनयिकों को भी किसी तरह की छूट नहीं दी जानी चाहिए और उन पर भी यहां का कानून लागू होना चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि मुझे पता चला है कि भारत में रह रहे कई अमेरिकी राजनयिकों के समलैंगिक पार्टनर हैं, जिन्हें वीजा मिला हुआ है और जो यहीं रह रहे हैं। भारत सरकार को धारा 377 के तहत उनके वीजा रद्द कर देने चाहिए और उनके समलैंगिक साथियों को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर देना चाहिए क्योंकि वे भारत के कानून का उल्लंघन कर रह हैं।
-एजेंसी

नौकरशाहों के खिलाफ अभियोजन में मंजूरी जरूरी नहीं

नई दिल्‍ली। 
सीबीआई को अदालती निगरानी वाले भ्रष्टाचार के बावत वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ अभियोजन में केन्द्र सरकार की मंजूरी की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि इसने एजेंसी को मजबूत किया है जिससे वह सरकार से पूर्व मंजूरी लिए बिना अधिकारियों के खिलाफ जांच कर सकती है.
न्यायमूर्ति आर. एम. लोधा की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने केन्द्र की मंजूरी के इंतजार के बगैर कोलगेट में कथित रूप से संलिप्त नौकरशाहों के खिलाफ अभियोजन के लिए सीबीआई का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.
खंडपीठ ने कहा, ‘जब कोई मामला भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत अदालत की निगरानी में हो तो दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन (डीएसपीई) कानून की धारा 6ए के तहत मंजूरी आवश्यक नहीं है.’
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के सभी मामलों में वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ जांच के लिए आवश्यक मंजूरी के केंद्र के रख पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इस प्रकार का वैधानिक प्रावधान कोलगेट जैसे मामलों मे अदालती निगरानी वाली जांच में न्यायिक शक्ति को कम करेगा.
उसने केंद्र के इस दावे को दरकिनार कर दिया था कि डीएसपीई कानून की धारा 6ए के तहत संयुक्त सचिव स्तर के दर्जे या उससे ऊपर के दर्जे के अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी की आवश्यकता होती है.
-एजेंसी

रविवार, 15 दिसंबर 2013

जूते गांठकर जीवन यापन कर रहा है पूर्व विधायक का बेटा

बिलासपुर। 
कहते हैं कि राजनीति में आने वाले लोगों के पीछे लक्ष्मी खुद-ब-खुद चली आती हैं, लेकिन 1957 में हिमाचल प्रदेश असेंबली में विधायक रह चुके सरदारू राम को ऐसा नहीं लगता है. सरदारू राम ने अपना जीवन सादगी से जिया. मोची बनकर काम करते हुए उनका निधन हो गया था. उनके निधन के बाद उनके बेटे मीनू राम भी मोची के तौर पर काम करते हैं और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं.
मीनू राम ने बताया, 'अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए मैं करीब 50 सालों से जूते सी रहा हूं. यही एकमात्र विरासत मेरे विधायत पिता छोड़कर गए हैं. हमारे लिए सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं है न ही कोई पेंशन मिलती है.'
65 साल के मीनू राम ने बताया कि शिमला से करीब 135 किमी की दूरी पर बिलासपुर की भगेड़ चौक पर वो बैठते हैं और रोज करीब कुछ सौ रुपये कमा लेते हैं. सरदारू राम ने 1957 में विधायक के तौर पर शपथ ली थी लेकिन 1962 में अपनी सीट से हारने के बाद उन्हें वापस मोची बनना पड़ा था.
मीनू राम के दो बेटे और दो भाई हैं. चारों मजदूरी करते हैं. ये परिवार कच्चे मकान में रहता है जिसे सरदारू राम ने बनवाया था. 1957 में झंडूटा चुनाव-क्षेत्र से जीतकर सरदारू राम स्टेट असेंबली में पहुंचे थे. लेकिन 1962 में हारने के बाद उनके पास अपने पुराने काम पर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
सरदारू राम की मृत्यु 1972 में हुई और विधायक के परिवार को मिलने वाली पेंशन के अभाव में उन्हें अपने बेटे को अपना काम सौंप कर जाना पड़ा. आज हिमाचल प्रदेश के 68 विधायकों में से 44 करोड़पति हैं जबकि बाकी भी पैसों में खेल रहे हैं. ब्रिज बिहारी लाल बुतैल राज्य के सबसे अमीर विधायक हैं जिनके पास करीब 169 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी है.
-एजेंसी

गुजरात दंगों में PMO से हुए पत्राचार का नहीं होगा खुलासा

नई दिल्ली। 
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने 2002 में हुए गुजरात दंगों के 11 साल बाद भी उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुए पत्र व्यवहार का खुलासा करने से इंकार कर दिया है. पीएमओ ने एक आरटीआई आवेदन का जवाब देते हुए पारदर्शिता संबंधी खंड 8-1(एच) का हवाला दिया जो उस सूचना को देने से छूट देता है जिससे अपराधियों के खिलाफ जांच या संदेह या अभियोग की प्रक्रिया बाधित हो.
इस जवाब ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या मोदी और तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी के बीच हुए पत्र व्यवहार में दंगाइयों या सामूहिक हत्या के जिम्मेदार लोगों के बारे में कोई जानकारी है.
आरटीआई आवेदन में पीएमओ और गुजरात सरकार के बीच 27 फरवरी 2002 से 30 अप्रैल 2002 तक राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर हुए सभी पत्र व्यवहार की प्रतियों की मांग की गई थी.
आवेदन में वाजपेयी और मोदी के बीच उस दौरान हुए पत्र व्यवहार की भी प्रतियां मांगी गई थीं, जब राज्य में माहौल तनावपूर्ण था.
देश के शीर्ष कार्यालय ने सूचना देने से इंकार करते हुए इसके पीछे के कारण के बारे में जानकारी नहीं दी जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि इस खंड के तहत सूचना देने से इंकार करने का अकाट्य कारण बताया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट ने कहा था कि यह साफ है कि जांच प्रक्रिया की मौजूदगी मात्र को सूचना देने से इंकार करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है. सूचना रखने वाले प्राधिकरण को संतोषजनक कारण बताना चाहिए कि जानकारी को उजागर करने से जांच प्रक्रिया कैसे बाधित होगी.
-एजेंसी

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

विधायक जी बोले...लाश ठिकाने लगवा देंगे

आजमगढ़। 
उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार के एक विधायक ने ठेका न मिलने पर एक पंचायत ‌‌अधिकारी को जान से मारने की धमकी दी है। धमकी में उन्होंने पंचायत ‌‌अधिकारी से कहा कि उनके आदमी तुम्हारी हत्या कर लाश ठिकाने लगा देंगे। पंचायत ‌‌अधिकारी ने जिले के आला अधिकारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव को पत्र भेज कर कार्यवाही की मांग की है। यह मामला आजमगढ़ जिले की जीयनपुर नगर पंचायत का है। आरोपी विधायक अभय नारायण पटेल सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हैं।
सपा विधायक का कहना है कि पंचायत ‌‌अधिकारी के स्थानांतरण के लिए उन्होंने नगर विकास मंत्री आजम खां को पत्र लिखा था। मामले की जांच शुरू होते ही पंचायत ‌‌अधिकारी अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं।
'लाश ठिकाने लगा देंगे'
पंचायत ‌‌अधिकारी धुरंधर सिंह मूलरूप से देवरिया जिले के लार कस्बे के निवासी हैं। उनके शिकायती पत्र के अनुसार आठ दिसंबर को तबीयत खराब होने पर वह इलाज कराने के लिए अपने घर गए थे। इस बीच रात आठ बजे सपा विधायक अभय नारायण पटेल का उनके मोबाइल पर फोन आया।
आरोप है कि अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए विधायक ने कहा, 'मेरे आदमियों को ठेका नहीं दिया। अब तुम्हें यहां रहने नहीं दिया जाएगा। मेरे आदमी तुम्हारी हत्या कर लाश ठिकाने लगा देंगे।'
इससे भयभीत पंचायत ‌‌अधिकारी ने पत्र में कहा कि जीयनपुर में अब नौकरी करने लायक नहीं रह गया है। विधायक किसी भी समय हत्या करवा सकते हैं।
आरोप बेबुनियाद
विधायक अभय नारायण पटेल का कहना है कि जीयनपुर की जनता की शिकायत पर उन्होंने इस साल 22 मई को पंचायत ‌‌अधिकारी के स्थानांतरण के लिए नगर विकास मंत्री आजम खां को पत्र लिखा था। इस संबंध में जांच की जा रही है।
पटेल ने बताया कि आठ दिसंबर को उन्होंने पंचायत ‌‌अधिकारी को फोन किया तो वह गाली-गलौज करने लगे। कहा कि कौन बोल रहे हैं। मैंने कहा विधायक अभय नारायण बोल रहा हूं। तब पंचायत ‌‌अधिकारी माफी मांगने लगे। विधायक ने कहा कि जांच शुरू होने से बौखलाए पंचायत ‌‌अधिकारी मेरे खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।
-एजेंसी

5 करोड़ लेकर दरोगा ही बचा रहा था नारायण साईं को

अहमदाबाद। 
गुजरात पुलिस ने क्राइम ब्रांच के सब-इंस्पेक्टर सीएम कुंभानी को गिरफ्तार किया है। कुंभानी पर नारायण साईं की मदद करने का आरोप है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुंभानी के घर से ‍पुलिस ने 5 करोड़ रुपए और आठ मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं। कुंभानी ने नारायण साईं को भागने में मदद की थी। कुंभानी की मदद की वजह से ही नारायण लंबे समय तक पुलिस की गिरफ्त स दूर रहने में कामयाब रहा था।
पता चला है कि कुंभानी पुलिस की रणनीति की पूरी जानकारी नारायण साईं के सेवक को देता था, जिसके माध्यम से जानकारी नारायण तक पहुंचती थी और जब पुलिस संभावित ठिकानों पर छापेमारी करती तो उसके हाथ कुछ नहीं लगता है।
चूंकि नारायण को पुलिस कार्यवाही की पहले ही जानकारी मिल जाती थी, अत: पुलिस के पहुंचने से पहले ही वह अपने ठिकाने बदल लेता था। इस मदद के बदले कुंभानी को 5 करोड़ रुपए मिले थे। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों गिरफ्तार नारायण अभी सूरत पुलिस के ही कब्जे में है।
इसके साथ ही पुलिस ने नारायण साईं के खिलाफ एक और एफआई दर्ज कर ली है। नारायण ने पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा किया है कि कुल 30 करोड़ रुपए रिश्वत के रूप में दिए जाने थे। यह पैसा साईं के सभी मददगारों के बीच बंटना था।
-एजेंसी

देश के भविष्‍य पर अट्टहास करती 'कतरनें'

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
बात चूंकि अखबारों से निकली है इसलिए अखबार की कतरनों को ही देश का भविष्‍य रेखांकित करने के लिए चुन रहा हूं।
सबसे पहले उस अखबार के क्‍लासीफाइड विज्ञापन का ज़िक्र जिसकी टैग लाइन है- ''विश्‍व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार''

विज्ञापन का शीर्षक है 'मित्र बनाओ', लेकिन मजमून कहता है '' साक्षी मसाज क्‍लब (रजिस्‍टर्ड 2001) हाई प्रोफाइल लड़कियों, मैडम की मसाज करके युवक 25000 रुपये कमाएं (तुरंत सर्विस)। मोबाइल नंबर-080594*****
अब देखिए एक दूसरे अखबार के विज्ञापन को जिसकी टैगलाइन है -''तरक्‍की को चाहिए नया नज़रिया'' ।
अब अखबार के इस नए नज़रिए को देखिए-
इसके तहत 'मनोरंजन' शीर्षक वाले विज्ञापनों में प्रकाशित इस क्‍लासीफाइड का मजमून है- 'मस्‍ती फ्रेंडशिप'.......ऑल इंडिया सर्विस, हाईप्रोफाइल हाउसवाइफ से फुल एंजॉय करके पार्ट/फुल टाइम 18000-25000 रोजाना कमाएं।
इस विज्ञापन के साथ संपर्क करने के आठ मोबाइल नंबर दिए गये हैं।
इसी तरह 'मेडिकल' शीर्षक वाले विज्ञापनों के तहत उत्‍तेजना कैप्‍सूल से लेकर रोमांटिक स्‍प्रे तक और कामसूत्र पुस्‍तिका से लेकर गुप्‍तांग को कड़क, सुडौल, ताकतवर व लंबा-मोटा तक करने का दावा बेहद अश्‍लील भाषा में किया जाता है।
इसी प्रकार 'वाणिज्‍य' शीर्षक वाले विज्ञापनों की बानगी देखिए- '' सभी कंपनियों के 3G डिजिटल टावर खाली जमीन, छत, खेत या प्‍लॉट पर लगवाएं और पाएं 80 लाख रुपये एडवांस, 70 हजार रुपये किराया एवं 20 साल का कोर्ट एग्रीमेंट। संपर्क करें- 09991039***
यहां यह जान लेना जरूरी है कि ऐसे सभी विज्ञापन अधिकांशत: बड़ी धोखेबाजी का सबब बनते हैं और आये दिन इनके माध्‍यम से लोगों को ठगने की खबरें भी छपती हैं।
विज्ञापनों के बाद चर्चा उन खबरों की जिनका सीधा संबंध देश के तथाकथित भाग्‍य विधाताओं से है।
पहली खबर राजनीति से, जिसमें देश के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद साहब कहते हैं कि सोनिया गांधी राहुल गांधी की ही नहीं, हमारी और देशभर की मां हैं। उनके सानिध्‍य में ही देश सुरक्षित है।
दूसरी खबर जुडीशियरी से, जिसमें सर्वोच्‍च न्‍यायालय के एक अवकाश प्राप्‍त न्‍यायधीश लेकिन पश्‍चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्‍यक्ष माननीयअशोक गांगुली कहते हैं कि मुझ पर यौन शोषण के आरोप प्रथम दृष्‍ट्या सही साबित होते हों तो होते रहें परंतु मैं अपने पद से इस्‍तीफा नहीं दूंगा। मुझे क्‍या करना है, यह मैं जानता हूं और इसके लिए जवाब देने को बाध्‍य नहीं हूं।
बाकी खबरें ब्‍यूरोक्रेसी से, जिसमें सीबीएसई के एक अधिकारी पर यौन शोषण के आरोप लगते हैं। एक अधिकारी रिश्‍वत लेते रंगेहाथ पकड़ा जाता है। एक आईपीएस पर उसी की अधीनस्‍थ दुराचार का आरोप लगाती है और एक आईएएस पर उसकी पत्‍नी दहेज उत्‍पीड़न का केस दर्ज कराती है।
अलग-अलग किस्‍म के आपराधिक मामले होने के बावजूद इनमें एक समानता भी है। समानता यह है कि सभी आरोपी खुद को निर्दोष बताते हुए कहते हैं कि उन्‍हें फंसाया जा रहा है।
इसके बाद नंबर आता है उन साधु-संतों का जिनके ऊपर समाज को पथभ्रष्‍ट होने से बचाये रखने की जिम्‍मेदारी है और जो भारतीय संस्‍कृति, धर्म, नीति, नैतिकता तथा चरित्र के संरक्षक माने जाते हैं।
आसाराम बापू और नारायण साईं नामक पिता-पुत्र पर लगे आरोप इस क्षेत्र में आई गिरावट का उदाहरण प्रस्‍तुत करने के लिए काफी हैं अन्‍यथा सब जानते हैं कि ऐसे तत्‍वों की फेहरिस्‍त काफी लंबी हो सकती है।
एकबार फिर लौटते हैं लोकतंत्र के उस चौथे खंभे की ओर जो 'प्रेस' से 'मीडिया' और मीडिया से 'मीडिएटर' कब बन बैठा, पता ही नहीं लगा।
इस तबके पर भी वैसे तो उंगलियां उठती रहती थीं लेकिन तरुण तेजपाल के रूप में इसका जो घिनौना चेहरा सामने आया है, उसने किसी मीडिया पर्सन को भरोसे लायक नहीं छोड़ा। जिसके तेज से कभी देश के प्रधानमंत्रियों एवं रक्षामंत्रियों की भी आंखें चुंधियाने लगी थीं और जिसने पत्रकारिता की एक नई परिभाषा गढ़कर देश के लोगों में उम्‍मीद की किरण पैदा की, उसका अपना चेहरा इतना वीभत्‍स होगा इसकी कल्‍पना तक किसी से नहीं की थी।
तो यह सच्‍चाई है आज के हमारे उस लोकतंत्र की, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह चार मजबूत स्‍तंभों पर टिका है। और ये चार स्‍तंभ हैं क्रमश: विधायिका, कार्यपालिका, न्‍यायपालिका और पत्रकारिता।
इनमें से पहले तीन संवैधानिक हैं जबकि पत्रकारिता को चौथा स्‍तंभ यूं ही मान लिया गया है।
अखबारों से निकली खबरें और उन्‍हीं में छपे विज्ञापन यह बताने को काफी हैं कि जिन स्‍तंभों (खंभों) पर विश्‍व का यह सबसे बड़ा लोकतंत्र पिछले 66 सालों से टिका है, वह न सिर्फ जर्जर हो चुके हैं बल्‍कि इस कदर सड़ चुके हैं कि अब उनके सहारे लोकतंत्र को जीवित रख पाना असंभव सा लगता है।
स्‍वतंत्रता के बाद राजनीति के लगातार होने वाले पतन ने 'छूत' की किसी बीमारी की तरह जिस तरह बाकी क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है, उससे जाहिर होता है कि अब यदि देर की तो उपचार करने का वक्‍त भी हाथ से निकल जायेगा।
लोकतंत्र के चारों पाए जिस तेजी के साथ ध्‍वस्‍त हो रहे हैं, उन्‍हें समय रहते नहीं संभाला गया तो अखबार की कतरनें अट्टहास करती सुनाई देंगी और हमारे मुंह से चाहते हुए भी चीख तक नहीं निकल पायेगी।
किसी का कत्‍ल करने के लिए जरूरी नहीं कि खंजर से उसे मारा जाए या कि बंदूक की गोली उस पर चलाई जाए। मारने के और भी कई तरीके हैं.....और उनमें से एक तरीका यह भी है कि अपना धर्म, अपना कर्तव्‍य न निभाकर उस रास्‍ते को अपना लिया जाए जो सिर्फ और सिर्फ तमाशाबीन बनाए रखता है। जो अपनी हवस मिटाने के लिए उस ओर ले जाता है जहां से सही-गलत, धर्म-अधर्म तथा नीति व अनीति का अंतर तक दिखाई नहीं देता।
जहां खड़े होकर सिर्फ अपने स्‍वार्थों की पूर्ति को ही अपना कर्तव्‍य समझ लिया जाता है और ऐसी परिभाषाएं गढ़ ली जाती हैं जिनमें निजी स्‍वार्थ ही निहित हो।
विधायिका, कार्यपालिका और न्‍यायपालिका की बात यदि कुछ क्षणों के लिए छोड़ दी जाए तो पत्रकारिता का पतन सर्वाधिक चिंता का विषय हो जाता है क्‍योंकि आमजन के लिए यही वह आखिरी प्‍लेटफॉर्म है जहां वह बिना किसी प्रोटोकॉल के अपनी बात रख सकता है, जहां से उसे उम्‍मीद होती है कि बिना कुछ गंवाये वह न्‍याय पा सकता है।
लेकिन अफसोस कि उसके चरित्र में बहुत तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है। विज्ञापनों में नहीं, खबरों में भी। खबरनवीस खुद खबर बन रहे हैं।
निजी हित साधने के लिए तंत्र के साथ लोक की भी हत्‍या कर रहा है पत्रकारिता का यह पतन।
हत्‍या भी ऐसी जिसमें खंजर या बंदूक की जगह आधुनिक संसाधनों का दुरुपयोग   तथा कानून में बने सूराखों का हरसंभव उपयोग कुछ इस तरह किया जा रहा है कि किसी को आसानी से इल्‍म तक न हो।
आखिर में एक शेर के साथ बात खत्‍म, जो कुछ यूं है-
जो कहते हैं इस शहर में कातिल नहीं कोई।
तू उनके लिए सुबह का अखबार लिए जा।।

गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

कालाधन विदेश भेजने में भारत विश्‍व का पांचवां बड़ा देश

वॉशिंगटन। 
कालाधन विदेश भेजने के मामले में भारत 2002-11 के बीच पांचवां सबसे बड़ा देश रहा। वाशिंगटन स्थित वित्तीय अनुसंधान संगठन की रपट के अनुसार इस दौरान भारत से कुल 343.04 अरब डॉलर कालाधन विदेश भेजा गया। रपट के अनुसार केवल 2011 में ही देश से 84.93 अरब डॉलर की काली कमाई बाहर भेजी गयी। वर्ष के दौरान देश इस मामले में तीसरे स्थान पर रहा।
इलिसिट फाइनेंशियल फ्लोज फ्रॉम डेवलपिंग कंट्रीज-2002-2011 यानी विकासशील देशों से अवैध धन का प्रवाह-2002-2011 में कहा गया है कि 2011 में विकासशील देशों से अपराध, भ्रष्टाचार, और करापवंचन के जरिये 946.7 अरब डालर का धन विदेशों में चला गया। ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी (जीएफआई) द्वारा कल प्रकाशित इस ताजा रपट के अनुसार 2002-11 के दौरान विकासशील देशों से 5,900 अरब डालर काली कमाई विदेश भेजी गयी। जीएफआई वॉशिंगटन का अनुसंधान और प्रचार संगठन है।
जीएफआई के अध्यक्ष रेमंड बेकर कहा, ‘जहां एक ओर विश्व अर्थव्यवस्था वैश्विक वित्तीय संकट के चलते हिचकोले खा रही थी, वहीं काली कमाई की दुनिया खूब फल-फूल रही थी। इस दौरान साल दर साल विकासशील देशों से उत्तरोत्तर अधिक काला धन बाहर भेजा जाता रहा है।’ बेकर ने कहा कि अकेले 2011 में ही गरीब देशों से करीब 1,000 अरब डालर की काली कमाई विदेशों में भेजी गयी। उन्होंने कहा कि इसके लिए, ‘बेनामी, छद्म कंपनियों, काले धन के पनाहगाहों तथा व्यापार के जरिये मनी-लांड्रिंग की तिकड़मों का इस्तेमाल किया गया।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 में जहां 946.7 अरब डालर की काली कमाई विदेशों को भेजी गई, वहीं 2010 में यह आंकड़ा 832.4 अरब डालर था। 2002 में काला धन विदेश भेजने का आंकड़ा 270.3 अरब डालर का था।
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि विकासशील देशों ने 2002 से 2011 के दौरान काली कमाई के रूप में 5,900 अरब डालर का धन गंवाया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दूसरे देशों को काला धन भेजने वाला शीर्ष 15 देशों में से 6 एशिया के हैं। एशियाई देशों में इस सूची में चीन, मलेशिया, भारत, इंडोनेशिया, थाइलैंड व फिलिपीन हैं। वहीं दो देश अफ्रीका के नाइजीरिया व दक्षिण अफ्रीका, चार यूरोप के रूस, बेलारूस, पोलैंड व सर्बिया, दो पश्चिमी देश मेक्सिको व ब्राजील व एक मेना क्षेत्र में इराक है।
पिछले 10 बरस में काले धन के प्रवाह के मामले में चीन 1,080 अरब डालर के साथ शीर्ष पर रहा है। उसके बाद रूस 880.96 अरब डालर, मेक्सिको 461.86 अरब डालर व मलेशिया 370.38 अरब डालर का नंबर आता है। जीएफआई के मुख्य अर्थशास्त्री देव कार ने कहा, ‘यह काफी कष्टदायक है कि किस तरह से काले धन का प्रवाह बढ़ रहा है।’
-एजेंसी

वेबसाइट कोबरापोस्‍ट ने फिर किए 11 माननीय बेनकाब

नई दिल्‍ली। 
देश में राजनीति का स्तर किस हद तक गिर रहा है, इसका एक बड़ा फिर उदाहरण सामने आया है। खोजी पत्रकारिता के लिए जानी जाने वाली वेबसाइट कोबरापोस्ट ने पैसे के लिए किसी भी हद तक गिरने वाले सांसदों के बारे में बड़ा खुलासा किया है। कोबरापोस्ट के मुताबिक एक फर्जी विदेशी ऑयल कंपनी के लिए 11 सांसद पैसा लेकर चिट्ठी लिखने को तैयार थे।
अपने एक साल के अभियान के बाद कोबरापोस्ट ने 11 सांसदों को अपने खुफिया कैमरे में कैद कर लिया है। ये सांसद लगभग सभी प्रमुख दलों से जुड़े हैं। इसमें बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, जेडीयू और एआईएडीएमके के सांसद शामिल हैं। इन्होंने एक फर्जी ऑस्ट्रेलियाई ऑयल कंपनी के हित में सिफारिशी चिट्ठी लिखने के बदले 50 हजार रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक मांगे। खुफिया कैमरे में कैद 11 सांसदों में से 6 ने तो बाकायदा पैसे लेकर सिफारिशी चिट्ठियां भी लिख दीं।
कोबरापोस्ट ने इस अभियान का नाम 'ऑपरेशन फॉल्कन क्लॉ' रखा है। इसमें के. सुगुमार और सी. राजेंद्रन एआईडीएमके के सांसद हैं। लाल भाई पटेल, रविंद्र कुमार पांडेय और हरी मांझी बीजेपी सांसद हैं। विश्व मोहन कुमार, महेश्वर हजारी, भूदेव चौधरी जेडीयू के माननीय सांसद हैं। खिलाड़ी लाल बैरवा और विक्रमभाई अर्जनभाई कांग्रेसी सांसद हैं। कैसर जहां बीएसपी से जुड़ी हैं।
कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि किसी भी सांसद ने फर्जी ऑस्ट्रेलियाई कंपनी की सचाई जानने के बारे में कोशिश तक नहीं की। वह पैसे के बदले आसानी से पेट्रोलियम मंत्रालय को इस फर्जी कंपनी के पक्ष में चिट्ठी लिखने के लिए तैयार हो गए।
कुछ ने तो कोबरापोस्ट के पत्रकारों को पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली से मिलवाने तक का वायदा कर दिया। जेडीयू सांसद महेश्वर हजारी ने तो यहां तक कहा, जब तक हैं तब तक आपकी कंपनी की मदद करेंगे...। यहां से लेकर मंत्रालय तक, जहां तक कहिएगा। महेश्वर हजारी बिहार के समस्तीपुर से जेडीयू सांसद हैं।
-एजेंसी

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

जेएनयू की 53 फीसदी छात्राएं यौन उत्पीड़न की शिकार

नई दिल्ली। 
देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक सर्वेक्षण में 53 फीसदी छात्राओं ने अपने जीवनकाल में किसी न किसी समय पर यौन उत्पीड़न का शिकार होने का खुलासा किया है। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने लोकसभा में सदस्यों के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जवाहर लाल नेहरू विवि ने मंत्रालय को सूचित किया है कि अगस्त 2013 में विवि ने लैंगिक संबंधों को लेकर एक आंतरिक सर्वेक्षण कराया था जिसमें 528 लोगों को एक नमूना सर्वेक्षण के तौर पर लिया गया।
राज्य मंत्री ने बताया कि सर्वेक्षण में 53 फीसदी प्रतिभागियों ने खुलासा किया कि उन्हें अपनी जिंदगी में कभी न कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है। जेएनयू ने आगे बताया है कि सर्वेक्षण के नतीजे यह नहीं बताते कि यौन उत्पीड़न विवि परिसर में हुआ।
सर्वेक्षण के अनुसार, यौन उत्पीड़न का मुख्य कारण एक ऐसे सामाजिक ढांचे का अस्तित्व में होना है जहां महिलाओं को निम्न दर्जा दिया जाता है और एक ऐसी संस्कृति भी इसके लिए उत्तरदायी है जो लैंगिक रूप से असंवेदनशील है।
-एजेंसी

मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

सेक्‍स सीडी कांड में फंसी कांग्रेस की नेत्री

देहरादून। 
दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार उत्तराखंड के निलंबित अपर सचिव जे. पी. जोशी को युवती द्वारा ब्लैकमेल किये जाने में मध्यस्थ के रूप में नाम आने पर रितु कंडियाल को प्रदेश युवा कांग्रेस ने महासचिव पद से हटा दिया। वहीं मामले में पूछताछ के लिये पुलिस उनसे संपर्क करने का प्रयास कर रही है।
जारी किए गए एक बयान में प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भुवन कापड़ी ने कहा, 'उत्तराखंड के चर्चित सेक्स प्रकरण में युवा कांग्रेस महासचिव रितु कंडियाल की संलिप्तता की बात सामने आने से संगठन की भावनाओं को ठेस पहुंची है।' उन्होंने बताया, 'इसलिये राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव शाटव की संस्तुति के आधार पर रितु कंडियाल को तत्काल प्रभाव से पद से हटाया जाता है।' हालांकि उन्होंने कहा कि यदि वह बाद में बेकसूर पायी जाती हैं तो उनके विषय में दोबारा विचार किया जायेगा।
गौरतलब है कि युवती द्वारा निलंबित अपर सचिव जोशी के खिलाफ नौकरी का झांसा देकर कथित रूप से दुष्कर्म का मुकद्दमा दर्ज कराये जाने के बाद आरोपी अधिकारी ने भी युवती तथा उसके साथियों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग और धमकी देने का मामला दर्ज कराया था। प्रकरण में जोशी को गिरफ्तार करने के बाद उनके द्वारा दर्ज कराये गये मामले की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि युवती ने अपने साथियों के साथ मिलकर स्वयं कथित दुष्कर्म की घटना की सीडी बनायी और बाद में उसका उपयोग आरोपी अपर सचिव को ब्लैकमेल करने और धन ऐंठने के प्रयास के लिये किया।
जांच के दौरान यह बात भी सामने आयी कि युवती तथा उसके साथियों ने जोशी से कहा कि इस मामले को निपटाने के लिये रकम का खुलासा कांग्रेस नेता रितु कंडियाल करेंगी। जांच के अनुसार, कंडियाल ने जोशी को फोन कर बताया कि युवती तथा उसके साथी इस मामले को निपटाने के लिये तीन करोड़ रुपये मांग रहे हैं। पुलिस को दिये अपने बयान में जोशी भी कह चुके हैं कि उनसे रितु ने संपर्क कर युवती तथा उसके साथियों की ओर से तीन करोड़ रुपये की मांग की थी।
युवती द्वारा दिल्ली में इस साल 22 नवंबर को मामला दर्ज किये जाने से तीन दिन पहले रितु दुबई चली गयीं। इस बीच, रितु के दुबई से भारत लौटने की चर्चाओं के बीच उससे पूछताछ करने के लिये उससे संपर्क करने का प्रयास कर रही है। इस बाबत पूछे जाने पर पुलिस महानिरीक्षक (कानून और व्यवस्था) रामसिंह मीणा ने कहा कि जांच दल रितु से संपर्क करने का प्रयास कर रहा है। हालांकि उसके सभी फोन 'स्विच ऑफ' आ रहे हैं।
पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि रितु से संपर्क होने होने के बाद पुलिस उससे मामले में पूछताछ करेगी। गौरतलब है कि पुलिस ने युवती तथा उसके एक अन्य साथी नीरज चौहान को ब्लैकमेलिंग और धमकी देने के आरोप में गत शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। हालांकि युवती के ट्रांजिट जमानत पर होने के कारण उसे छोड़ दिया गया।
-एजेंसी

लालबत्ती लगाने का अधिकार किस किस को: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। 
उच्चतम न्यायालय  ने वाहनों पर लाल बत्ती और सायरन के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त रवैया अपनाते हुए आज व्यवस्था दी कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के अलावा कोई अन्य लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के निवासी अभय सिंह की एक जनहित याचिका पर व्यवस्था देते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को तीन माह के भीतर ऐसी सूची जारी करने का निर्देश दिया जिसमें लाल बत्ती का इस्तेमाल करने के लिए पात्र लोगों का उल्लेख किया गया हो।
न्यायालय ने साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस सूची को बेवजह लंबा नहीं किया जा सकेगा। खंडपीठ ने इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान करने के वास्ते मोटर वाहन अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने का सरकार को निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि वाहनों में प्रेसर हार्न, विभिन्न प्रकार की आवाज वाले हार्न और संगीतमय हार्न नहीं लगाए जाएंगे।
न्यायालय ने पुलिस और आपातकालीन  वाहनों पर घूमने वाली नीली बत्ती लगाने के निर्देश दिये। खंडपीठ ने पुलिस को इस व्यवस्था को निष्पक्ष तरीके और कड़ाई से पालन कराने की हिदायत भी दी। न्यायालय ने गत अगस्त में कहा था कि वाहनों पर अवैध तरीके से लाल बत्ती लगाई जा रही हैं जो समाज के लिए एक समस्या है। इन लाल बत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है। याचिकाकर्ता ने लाल बत्ती और सायरन के दुरुपयोग का मामला न्यायालय के समक्ष उठाया था।
अभय सिंह की दलील थी कि लाल बत्ती का व्यापक पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। अपराधी भी लाल बत्ती लगे वाहन से पुलिस को चकमा देने में सफल रहते हैं। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने न्यायालय के इस आदेश पर कुछ बोलने से यह कहते हुए कन्नी काट ली कि वह संबंधित आदेश का अध्ययन करने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देंगे।
हालांकि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम  रमेश और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता तारिक अनवर सहित कई व्यक्तियों ने शीर्ष अदालत की इस व्यवस्था को सही ठहराया है। रमेश और अनवर ने कहा कि शीर्ष अदालत का आदेश बिल्कुल जायज है क्योंकि इससे लाल बत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लग सकेगी। जनता दल यू नेता साबिर अली ने न्यायालय के आदेश पर हैरानी जताई है।
-एजेंसी

सोमवार, 9 दिसंबर 2013

सेना के गोल्‍फ क्‍लबों में कराई जा रही हैं शादी और पार्टियां

नई दिल्ली। 
संसद की एक महत्वपूर्ण समिति ने सशस्त्र बलों के नियंत्रण वाले गोल्फ कोर्सों के भयंकर दुरुपयोग के लिए बलों की आज कड़ी आलोचना की और रक्षा मंत्रालय से रक्षा भूमि पर प्रतिबंधित गतिविधियों की जांच करने और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा। लोकसभा में पेश की गई लोक लेखा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोल्फ को एक सैन्य गतिविधि नहीं माना जा सकता है। समिति ने इस बात पर भी हैरानी जाहिर की है कि दिल्ली जैसी जगहों में ये गोल्फ क्लब विदेशी राजनयिकों तक को सदस्यता प्रदान कर रहे हैं।
रक्षा परिसंपदा पर पेश रिपोर्ट में समिति ने पाया है कि रक्षाकर्मियों के लिए बनाए गए क्लब और पार्कों का इस्तेमाल सामान्य नागरिकों द्वारा पार्टियों और शादी-ब्याह के लिए किया जा रहा है और इससे मिलने वाले शुल्क को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया जा रहा है।
समिति ने कहा है कि समिति गोल्फ कोर्सों के दुरुपयोग की कड़ी आलोचना करती है और साथ ही गोल्फ कोर्सों के संबंध में पूरी नीति की समीक्षा करने और उपचारात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश करती है ताकि रक्षाकर्मियों के लिए स्थापित इन सुविधाओं का किसी भी प्रकार से दुरुपयोग न हो।
समिति ने रक्षा मंत्रालय से गोल्फ कोर्सों, सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पर्यावरणीय पार्कों, क्लबों की सदस्यता और उससे मिलने वाली वार्षिक धनराशि और उसके लेखे-जोखे के संबंध में एक स्थिति पत्र पेश करने को भी कहा है।
समिति ने इस संबंध में सेना प्रमुख के 2004 के एक फैसले पर भी आश्चर्य जताया है जिसमें गोल्फ को एक खेल गतिविधि तथा गोल्फ कोर्सों का नामकरण आर्मी एनवायरमेंटल पार्क एंड ट्रेनिंग एरिया के रूप में घोषित किया गया था।
-एजेंसी

रविवार, 8 दिसंबर 2013

बहिनजी का बर्थ-डे: MP देंगे 5, MLA देंगे 2 लाख

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की मुखिया मायावती अगले महीने 15 जनवरी को अपना जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाएंगी. इसके लिए पार्टी ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. बीएसपी ने अपने सभी एमपी, लोकसभा प्रभारियों, एमएलए और विधानसभा प्रभारियों से इस अवसर पर पार्टी को आर्थिक मदद देने के लिए भी कहा है. इसके मुताबिक राज्यसभा और लोकसभा में पार्टी के सभी एमपी, लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशी 5-5 लाख रुपये और विधानसभा, विधान परिषद् में पार्टी के सभी एमएलए और विधानसभा प्रभारी 2-2 लाख रुपये देंगे. पार्टी के इस फैसले की जानकारी यूपी विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी, विधानसभा में नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने 6 दिसंबर को प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर आयोजित पार्टी की मासिक समीक्षा बैठक में दी.
असल में पार्टी बीएसपी संस्थापक कांशीराम के समय से ही मायावती का जन्मदिन आर्थिक सहयोग दिवस के रूप में मनाती रही है.

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

शुक्‍ला को करोड़ों की जमीन कौड़ियों में देने की फाइल गुम

मुंबई। 
केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला की पत्नी की संस्था को दी गई जमीन के कागजात मंत्रालय में उपलब्ध नहीं हैं। एक आरटीआई अर्जी के जवाब में बताया गया कि इस मामले की फाइल पिछले साल मंत्रालय में लगी आग के दौरान जलकर खाक हो गई। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने आरोप लगाया कि 100 करोड़ रुपये की जमीन कौड़ियों के मोल दिए जाने के मामले पर पर्दा डालने के लिए फाइल जलने का बहाना बनाया जा रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने 2007-2008 में राजीव शुक्ला की पत्नी अनुराधा प्रसाद की संस्था 'बैग फिल्म्स एजुकेशनल सोसायटी' को नाममात्र 98 हजार 739 रुपये में अंधेरी में 2821 स्क्वेयर फीट का यह प्लॉट अलॉट कर दिया था।
सोमैया का आरोप है

153 करोड़ का कर्ज भी है माननीय MP जया बच्‍चन पर

नई दिल्‍ली। 
चुनाव सुधार की दिशा में काम करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ डिमॉक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से राज्यसभा सांसदों की सालाना रिपोर्ट में इन सांसदों की संपत्ति लेखा-जोखा पेश किया गया है। इनमें कई दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं। एक चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि सांसद जया बच्चन पर सबसे ज्यादा कर्ज है।
सबसे अमीर सांसद जेडीयू से हैं। जेडीयू के महेंद्र प्रसाद के पास 683 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इसके बाद विजय माल्या का नाम आता है। माल्या के पास 615 करोड़ रुपये की संपत्ति है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि बॉलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की पत्नी और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के पास 494 करोड़ की संपत्ति है लेकिन उनके ऊपर 153 करोड़ रुपये का कर्ज भी है।
कर्जदारों की सूची में सिर्फ जया बच्चन अकेली नहीं हैं, कई और सांसद भी हैं। कांग्रेसी सांसद अभिषेक मनु सिंघवी पर भी 37 करोड़ रुपये का कर्ज है। अगर राज्यसभा सांसदों की औसत संपत्ति की बात करें तो वह करीब 21 करोड़ रुपये बैठती है। वहीं, बीजेपी के सांसद अनिल देव सबसे गरीब हैं। उनके पास सिर्फ 3 लाख रुपये की संपत्ति है।
32 सांसदों ने अपने पैन कार्ड नंबर का जिक्र नहीं किया
जबकि 38 राज्यसभा सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की बात मानी है।
-एजेंसी

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

BHOPAL- NIFT के ज्वाइंट डायरेक्टर पर यौन उत्‍पीड़न के आरोप

भोपाल। 
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रतिष्ठित संस्थान राष्ट्रीय फैशन टेक्नॉलोजी संस्थान (निफ्ट) में इन दिनों तहलका मचा हुआ है। संस्थान की 7 छात्राओं और 4 प्रोफेसरों ने निफ्ट के ज्वाइंट डायरेक्टर बसंत कोठारी पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। संस्थान में मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया जिसके बाद लड़कियों ने महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई। मामला महिला आयोग और मीडिया के संज्ञान में आने के बाद आनन-फानन में विभागीय जांच शुरू की गई और बसंत कोठारी का तबादला जोधपुर कर दिया गया। वहीं संस्था की कमेटी ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। कमेटी अपनी रिपोर्ट 11 दिसंबर को पेश करेगी। संस्थान के प्रशासन की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि अब तक मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं कराई गई है।
पीडित छात्राओं ने बसंत कोठारी पर अभद्र व्यवहार, अश्लील हरकतें करने और यौन उत्पीड़न के साथ-साथ मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया है। दूसरी ओर बसंत कोठारी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और उसे एक साजिश बताया है। मामले की हकीकत क्या है यह तो जांच रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह स्पष्ट है कि ऐसे गंभीर मामलों में अभी भी संस्थान सख्ती से कदम उठा पाने में सक्षम नहीं है।
-एजेंसी

'टाइम्‍स' की शीर्ष 10 वार्षिक खबरों में भारत के बलात्‍कार

वॉशिंगटन। 
टाइम्स पत्रिका ने 2013 की शीर्ष 10 खबरों में भारत के अंदर हो रहे बलात्‍कार की घटनाओं को भी स्थान दिया है। इसे सूची में नवें स्थान पर रखा गया है। अमरीका की प्रभावशाली पत्रिका ने साल 2012 में दिल्ली में एक युवती के साथ हुई बर्बरता और सामूहिक दुष्कर्म की घटना के मद्देनजर देशव्यापी आंदोलन और प्रदर्शन का जिक्र करते हुए महिलाओं की सुरक्षा और त्वरित न्याय की जरूरत पर बल दिया है।
पत्रिका में उल्लेख है कि घटना के छह में से चार अभियुक्तों को सितंबर महीने की सुनवाई में सजा-ए-मौत मुकर्रर की गई है। टाइम्स के मुताबिक मुंबई में एक 23 वर्षीय लड़की के साथ हुए दुष्कर्म सहित इसके बाद हुई अन्य घटनाओं ने देश और विदेश में लोगों का ध्यान खींचा और इस हंगामे ने भारत के पुरुष प्रधान समाज पर आवश्यक चर्चा की जरूरत को दर्शाया है।
शीर्ष दस खबरों में बांग्लादेश फैक्ट्री हादसा, सीरिया का नागरिक संघर्ष, ईरान का नया अध्याय और मिस्त्र की क्रांति की समाप्ति का जिक्र है।
-एजेंसी

बुधवार, 4 दिसंबर 2013

ब्राजील में वर्ल्‍ड कप के लिए 'सेक्‍स परोसने' की तैयारी

ब्राजील में अगले साल फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन होना है। 12 जून से 13 जुलाई तक आयोजित होने वाले विश्वकप के दौरान स्थानीय अधिकारियों को चाइल्ड प्रॉस्टीट्यूशन की चिंता सता रही है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, वर्ल्‍ड कप के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग इस आयोजन में हिस्‍सा लेंगे। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ल्‍ड कप को ध्‍यान में रखते हुए सेक्स वर्कर्स ने अभी से बड़े शहरों में पहुंचना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, कम उम्र की लड़कियों को भी इस सेक्‍स रैकेट में शामिल किया जा रहा है। इसके अलावा अश्‍लील पार्टियों के लिए भी वेन्‍यू तैयार किए जा रहे हैं।
ब्राजील के मानवाधिकार आयोग का कहना है कि उसे वर्ल्‍ड कप आयोजन के दौरान मुख्य शहरों में जिस्मफरोशी के मामले बढ़ने की चिंता सता रही है। आयोग इस संबंध में राज्य और केंद्र सरकार के साथ मिलकर कदम उठा रहे हैं ताकि इस गंभीर समस्या का हल निकाला जा सके।
मानवाधिकार आयोग के मुताबिक ब्राजील में बाल वेश्‍यावृत्ति, पिछले कुछ साल में तेजी से बढ़ी है। आंकड़ों के अनुसार, ऐसे मामलों में 75 फीसदी से ज्यादा क्लाइंट्स पीड़ित के ही इलाके के होते हैं। विश्वकप के दौरान चाइल्ड प्रॉस्टीट्यूशन को रोकना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।
ब्राजील के सबसे बड़े राज्य में वेश्याओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था 'द मिनाज गेरेस स्टेट एसोसिएशन ऑफ प्रॉस्टीट्यूट्स' की ओर से विश्वकप के होस्ट सिटी बेलो हॉरीजोंटे में सेक्स वर्कर्स को अंग्रेजी सीखने की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे विदेशी कस्टमर्स के साथ डील कर सकें।
इसी शहर में फोर्टालेजा कास्टेलाओ स्टेडियम के नजदीक काम करने वाली 19 वर्षीय गियोवाना कहता हैं, "वर्ल्‍ड कप के दौरान यहां बड़ी संख्या में विदेशी टूरिस्ट आएंगे। ऐसे में देह व्यापार बढ़ेगा। मुझे मालूम है कि उस दौरान सभी के लिए काफी काम होगा।"
ब्राजीलियन टूरिज्म बोर्ड के मुताबिक, विश्वकप के दौरान 600,000 विदेशी पर्यटकों के आने की संभावना है। वो देशभर में घूमने के दौरान 25 बिलियन रियाज खर्च करेंगे। विदेशी पर्यटकों के आने से ब्राजीलियन सरकारी खजाने में 113 बिलियन की बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
ब्राजील सरकार विश्वकप की तैयारियों के तहत 33 बिलियन रियाज स्टेडियम्स, ट्रांसपोर्ट और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर्स पर खर्च करेगी। इसके अलावा 10 मिलियन डॉलर विज्ञापनों पर भी खर्च किए जाएंगे।
एक ओर जहां स्थानीय सरकार चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूशन को जड़ से उखाड़ने की कोशिश में जुटी है, वहीं दूसरी ओर साल 2012 तक वेश्यावृत्ति करने वाले बच्चों की संख्या तकरीबन 5 लाख पहुंच चुकी है। यह जानकारी एक गैर सरकारी संस्था 'नेशनल फोरम फॉर द प्रिवेंशन ऑफ चाइल्ड लेबर' ने दी है। यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 में वेश्यावृत्ति करने वाले नाबालिगों की संख्या 100,000 थी।
गौरतलब है कि पूरे ब्राजील में बड़े पैमाने पर वेश्यावृत्ति की जा रही है लेकिन साल के 300 दिन टूरिस्ट की पहली पसंद रहने वाले फोर्टालेजा में यह गंभीर समस्या बन चुका है। अत्यधिक गरीबी और नशा यहां देह व्यापार का मुख्य कारण माना जाता है।
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली चैरिटी संस्था सेडेका के सेसिला डोस सेंटोस गोइस ने बताया कि पूरे ब्राजील में गरीबी के कारण पिता अपनी बेटियों को जिस्मफरोशी करने पर मजबूर करते हैं। ब्राजील में यह आम हो चुका है।
-एजेंसी

मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

महिला सीईओ पर लगा पुरुषों के यौन शोषण का आरोप

न्‍यूयॉर्क। 
भारत में सुप्रीम कोर्ट के जज एके गांगुली और तहलका के पूर्व मुख्‍य संपादक तरुण तेजपाल पर यौन शोषण के आरोपों के बाद अब अमेरिका में एक सीईओ पर यौन शोषण के आरोप का मामला सामने आया है। भारत के इन दो मामलों और अमेरिका के इस केस में फर्क इतना है कि हमारे देश में पुरुषों पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं जबकि न्‍यूयॉर्क के मामले में आरोप महिला सीईओ पर लगे हैं। अमेरिकी मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, 'आर्ची कॉमिक्‍स' की 59 वर्षीय सीईओ नैंसी सिलबरकेट से परेशान होकर पांच कर्मचारियों ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है।

सोनिया, सुषमा और मायावती: सबकी सब बोलती हैं झूठ

नई दिल्‍ली। 
सोनिया गांधी से लेकर सुषमा स्वराज, मायावती और भी कई नामचीन नेता चुनाव आयोग झूठी जानकारियां दे रहे हैं। अपने चुनावी नामांकन में कई सारे नेताओं ने अपनी संपति का ब्यौरा उनके असल वर्तमान मूल्य से बहुत ही कम बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2003 में अपने एक आदेश में कहा था कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को अपनी संपति का पूरा ब्यौरा देना होगा, जिसमें उन्हें संपत्ति की वास्तविक कीमत के साथ वर्तमान कीमत भी बताना होगा।
इस आदेश के बाद भी कांग्रसे से लेकर बीजेपी और बीएसपी से लेकर सीपीएम तक के नेता अपनी संपति की गलत जानकारी दे रहे हैं।
कई नेताओं ने अपनी संपत्‍ति की अधूरी तो कई ने वर्तमान बाजार के हिसाब से कम जानकारी दी है।
कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं
सोनिया गांधी: 2004 और 2009 के चुनावों के दाखिल की संपति के ब्यौरे में सोनिया ने महरौली स्थित डेरा मंडी और सुलतानपुर गांव में अपनी जमीन की कीमत 2.19 लाख रुपये बताई है। उसी स्‍थान पर बीएसपी के उम्मीदवार कंवर सिंह तंवर ने 2008 के विधानसभा चुनाव में लगभग उतनी ही जमीन की कीमत 18.37 करोड़ रुपये बताई है।
सुषमा स्वराजः लोकसभा में विपक्षी की नेता सुषमा स्वराज और उनके पति स्वराज कौशल ने दिल्ली के जंतर-मंतर में एक-एक फ्लैट खरीदा लेकिन उसकी बुकिंग कीमत तो बताई लेकिन वास्तविक कीमत वह छुपा गईं। साथ ही मुंबई के घर का उन्होंने क्षेत्रफल नहीं बताया।
मायावतीः दिल्ली के कनॉट प्लेस में दो दुकानों की मालकिन मायवती ने अपनी दोनों दुकानों की कीमत वर्तमान बाजार मूल्य से कम बताई है। साथ ही चाणक्यपुरी स्थित अपने घर की ‌कीमत उन्होंने 61.86 करोड़ बताई जबकि जानकार इसे 429 करोड़ तक की बता रहे हैं।
राजनाथ सिंहः 2009 में दी गई जानकारी के अनुसार लखनऊ के गोमती नगर में अपने घर की कीमत उन्होंने 55 लाख बताई, लेकिन उन्होंने उस घर का एरिया नहीं बताया। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और चुनाव आयोग के गाइडलाइन के अनुसार एरिया बताना जरूरी है।
इसी तरीके से कांग्रेस की मीरा कुमार, शीला दीक्षित, अशोक गहलोत, सुशील कुमार‌ शिंदे तो सीपीआई के सुधाकर रेड्डी, एनसीपी के तारिक अनवर, बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्र ने भी चुनाव आयोग या तो कुछ छुपा लिया है या फिर गलत जानकारी दी है।
-एजेंसी

सोमवार, 2 दिसंबर 2013

ब्रिटेन की महारानी से ज्यादा पैसे वाली हैं सोनिया गांधी

नई दिल्ली। 
कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-2 से भी अमीर है। यह खुलासा अंग्रेजी अखबार हफिंगटन पोस्ट वर्ल्ड ने किया है। अखबार ने दुनियाभर के 20 सबसे ज्यादा अमीर नेताओं की सूची जारी की है। इसमें सोनिया गांधी ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ, ओमान के सुल्तान, मोनाको के राजकुमार और कुवैत के शेख से भी अमीर है। इस सूची में सोनिया को 12वां स्थान मिला है।
सूची में सक्रिय राजा, राष्ट्रपति, सुल्तान और महारानियों को शामिल किया गया है। इस सूची में ज्यादात्तर पुरूषों का कब्जा है। अखबार ने सोनिया गांधी की कुल संपत्ति दो बिलियन अमरीकी डॉलर आंकी है। इसमें सबसे ज्यादा अमीर नेता मिडल इस्ट के शामिल हैं। सोनिया गांधी और ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-2 की संपत्ति में 400 ले 500 मिलियन अमरीकी डॉलर का फर्क है। सोनिया, महारानी से काफी अमीर हैं।
इस सूची में पहला स्थान रूस के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन को मिला है जिनका कुल संपत्ति 40 बिलियन अमरीकी डॉलर आंकी गई है। इनके बाद दूसरा नंबर थाइलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज का है जिनकी कुल संपत्ति 30 बिलियन अमरीकी डॉलर है।
एसोशिएसन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स की वेबसाइट नेशनल इल्केशन वाच के मुताबिक सोनिया गांधी की कुल संपत्ति 1.38 करोड़ रूपए की है। वेबसाइट के मुताबिक सोनिया के पास न ही अपनी कार और न ही भारत में अपना घर है।
-एजेंसी

सेक्सुअल पोटेंसी टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया तेजपाल

पणजी। 
बलात्कार का आरोपी तरुण तेजपाल अनिवार्य सेक्सुअल पोटेंसी टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया है। पोटेंसी टेस्ट के लिए हवालात से सीधे गोवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक तहलका के उन तीन पूर्व पत्रकारों के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराए जाएंगे जिन्हें पीडिता ने यौन शोषण की घटना के बारे में जानकारी दी थी। तीनों के बयान इसलिए दर्ज कराए जाएंगे ताकि ट्रायल के दौरान वे अपना बयान बदल न सके।
शोमा चौधरी से हो सकती है फिर पूछताछ

प्रॉपर्टी के लिए बापू की SEX CD बनाना चाहता था साईं

सूरत। 
बलात्कार के आरोपी नारायण साईं के बारे में नया और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूरत की जिस महिला ने साईं के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज कराया है उसने आरोप लगाया है कि साईं अपने बाप का ही सेक्स स्टिंग कराना चाहता था। आसाराम की सारी प्रॉपर्टी हड़पने के लिए उसने ऐसी योजना बनाई थी। एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में

शनिवार, 30 नवंबर 2013

तरुण तेजपाल: एक पत्रकार.. या एक चालाक बिजनेसमैन?

नई दिल्‍ली। 
तरुण तेजपाल भले ही खोजी पत्रकार के रूप में मशहूर रहा हो लेकिन उसके बारे में जो खुलासे हो रहे हैं उससे लग रहा है कि वह पत्रकार की बजाय एक चालाक बिजनेसमैन है।
साल दर साल घाटे के बावजूद तेजपाल आठ कंपनियां चला रहा है। तहलका मैगजीन को प्रकाशित करने वाली कंपनी अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को साल 2011-12 के दौरान कुल 13 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसी साल तेजपाल ने थ्राइविंग आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से नई कंपनी बनाई।
यह कंपनी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-2 में प्रुफरॉक नाम से एक एलिट क्लब बनाने जा रही है। सिर्फ थिंकवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड को पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 1.99 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। यह कंपनी गोवा में हर साल थिंकफेस्ट इवेंट का आयोजन करती है।
सबसे चौंकानी वाली बात यह है कि तेजपाल के ज्यादातर निवेशकों का तहलका की पत्रकारिता और उसकी ओर से उठाए जाने वाले समाजिक मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि तेजपाल के किसी भी वेंचर्स में किसी तरह के निवेश का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक है। उनका मकसद सिर्फ तेजी से पैसा कमाना है और उपयुक्त वक्त पर बाहर निकालना है।
राज्यसभा के सांसद के. डी. सिंह ने एक समाचार पत्र को बताया कि तेजपाल के वेंचर्स में निवेश का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक है। आखिरकार हमारी इच्छा है कि उपयुक्त वक्त पर बाहर निकल जाना। सिंह के समूह की फर्म अल्केमिस्ट के अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में 65.75 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर तेजपाल के वेंचर्स लगातार घाटे में हैं तो निवेशक क्यों और कैसे पैसा लगा रहे हैं?
सी. ए. अनिल गोयल का कहना है कि यह इतना आसान नहीं है। अकाउंट बुक में दिखाया जाने वाला घाटा सिर्फ छलावा है। चंद्रा ग्रुप तेजपाल के वेंचर्स थ्राइविंग आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में प्रति शेयर 1800 के हिसाब से कैसे 1 फीसदी हिस्सेदारी ले सकता है जब हर शेयर की फेस वैल्यू 10 हो?
-एजेंसी

मथुरा से कटेंगे चंदनसिंह और योगेश के टिकट!

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली सहित पांच राज्‍यों के चुनाव नतीजे सामने आते ही सभी प्रमुख राजनीतिक दलों का पूरा ध्‍यान लोकसभा चुनावों पर केंद्रित हो जायेगा। लोकसभा चुनावों के लिए उत्‍तर प्रदेश में हालांकि कुछ क्षेत्रीय दलों ने काफी समय पूर्व अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर दी थी लेकिन अब वह उन नामों की फिर से समीक्षा करने में लगे हैं।
चूंकि 2014 के लोकसभा चुनावों में किंग नहीं तो किंगमेकर बनने के लिए दोनों प्रमुख क्षेत्रीय दल सपा और बसपा एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं इसलिए उम्‍मीदवारों के चयन पर पुनर्विचार करना उनकी लगभग मजबूरी बन गई है।
हालांकि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव किंगमेकर बनने की जगह किंग बनने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं और इसीलिए एक ओर जहां तीसरे मोर्चे के गठन करने में लगे हैं वहीं दूसरी ओर उत्‍तर प्रदेश से बड़ी सफलता का ख्‍वाब पाले हुए हैं।
यही कारण है कि वह उत्‍तर प्रदेश में पूर्व घोषित अपने उम्‍मीदवारों की फिर से समीक्षा कर रहे हैं और कई उम्‍मीदवारों को बदल भी चुके हैं।
इसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी भी काफी गोपनीय तरीके से अब तक घोषित अपने उम्‍मीदवारों की जमीनी हकीकत का आंकलन करवा रही है और पांच राज्‍यों के नतीजे आने के बाद वह अपना पूरा ध्‍यान उम्‍मीदवारों के चयन पर केंद्रित कर देगी।
बहरहाल, लोकसभा चुनावों में देश के अंदर जितनी बड़ी भूमिका उत्‍तर प्रदेश निभाता है, लगभग उतनी ही उत्‍तर प्रदेश में ब्रज क्षेत्र की रहती है।
यूं तो ब्रजक्षेत्र काफी बड़ा है लेकिन यदि हम बात करें केवल उन सीटों की जो मथुरा, आगरा, हाथरस, अलीगढ़, एटा, मैनपुरी, फतेहपुर सीकरी की तो यहां की आठ सीटें न केवल निर्णायक रहती हैं बल्‍कि यहां से मिली हार-जीत समूचे उत्‍तर प्रदेश में राजनीति की दशा व दिशा तय करती है।
संभवत: इसीलिए हर राजनीतिक दल चाहे वह राष्‍ट्रीय हो या क्षेत्रीय, लोकसभा चुनावों में ब्रज क्षेत्र की इन सीटों पर अपना पूरा ध्‍यान केंद्रित रखता है।
भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली का गौरव प्राप्‍त मथुरा जनपद की सीट पर जीत-हार के मायने इसलिए और महत्‍वपूर्ण हो जाते हैं क्‍योंकि राजनीतिक नज़रिए से भी इसकी महत्‍ता कम नहीं है।
सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस बात को समझते हैं और इसीलिए चाहते हैं कि यहां की सीट उनके खाते में ही जाए।
उल्‍लेखनीय है कि विश्‍वविख्‍यात इस धार्मिक जनपद के लिए अब तक जिन पार्टियों ने अपने उम्‍मीदवार घोषित किए हैं, उनमें समाजवादी पार्टी के ठाकुर चंदन सिंह हैं जबकि बहुजन समाज पार्टी की ओर से वृंदावन की पूर्व पालिकाध्‍यक्ष पुष्‍पा शर्मा के पुत्र योगेश द्विवेदी हैं।
इनके अलावा तीसरा नाम राष्‍ट्रीय लोकदल के युवराज जयंत चौधरी का है जो निवर्तमान सांसद होंगे। जयंत चौधरी के यहां से फिर चुनाव लड़ने को लेकर भी समय-समय पर अटकलों का बाजार गर्म रहता है परंतु वह पुरजोर तरीके से हमेशा यही कहते रहे हैं कि वह चुनाव मथुरा से ही लड़ेंगे।
मुज़फ्फ़रनगर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद उपजे राजनीतिक हालात भी यही बताते हैं कि जयंत चौधरी कम से कम 2014 के लोकसभा चुनावों में क्षेत्र बदलने का जोखिम नहीं उठायेंगे।
इधर दोनों राष्‍ट्रीय दल ही ऐसे हैं जिन्‍होंने अपने पत्‍ते पूरी तरह छिपा रखे हैं। कांग्रेस का तो अभी यह तक नहीं पता कि 2014 के लोकसभा चुनावों में वह रालोद को साथ रखेगी या नहीं। रालोद को साथ लेकर चलने की स्‍थिति में मथुरा से उसका कोई प्रत्‍याशी नहीं होगा। शेष रह गई भाजपा जो किसी कीमत पर इस बार यहां से हार का मुंह नहीं देखना चाहती और इसी कवायद में लगी है कि प्रत्‍याशी ऐसा हो जो पार्टी को निश्‍चिंत कर सके।
लगभग यही स्‍थिति सपा और बसपा की है। समाजवादी पार्टी के मुखिया तो यूपी के दम पर खुद इस मर्तबा प्रधानमंत्री बनने की अपनी दिली ख्‍वाहिश का इज़हार हर जगह करते ही हैं लेकिन बसपा भी चाहती है कि वह किंग न सही लेकिन किंगमेकर जरूर बने।
ज़ाहिर है कि ऐसे हालात पैदा करने के लिए एक-एक सीट पर चुनाव पूर्व नजर गढ़ाकर रखना और उससे भी पहले जिताऊ प्रत्‍याशी सामने लाना बहुत जरूरी होगा।
पहले बात करें यदि समाजवादी पार्टी के वर्तमान घोषित प्रत्‍याशी ठाकुर चंदन सिंह की तो पार्टी के उच्‍च पदस्‍थ सूत्र उनकी अब तक की प्रोग्रेस से कतई संतुष्‍ट नहीं हैं। पार्टी हाईकमान का मानना है कि पर्याप्‍त समय दिए जाने के बावजूद वह जनपद में वो जगह नहीं बना पाए जिस पर भरोसा करके दांव लगाया जा सके।
इसके अलावा उन्‍हें लेकर पार्टी की जिला इकाई में मौजूद मतभेद तथा कुछ ज़मीनी विवादों में उनका नाम सामने आना भी उन्‍हें चुनाव लड़ाने में बाधा बनकर खड़ा हो रहा है।
गत दिनों समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव के गोवर्धन आगमन पर उनके सामने ही ठाकुर चंदन सिंह का एक जमीनी विवाद को लेकर कुछ लोगों ने घेराव किया था जिससे प्रोफेसर रामगोपाल भी काफी असहज हो गए। उस समय तो जैसे-तैसे बात संभाल ली गई लेकिन प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने इसे काफी गंभीरता से लिया। यूं भी पार्टी के सूत्रों की मानें तो ठाकुर चंदन सिंह के पक्ष में जिलाध्‍यक्ष गुरुदेव शर्मा के अलावा कोई दूसरा मजबूती से खड़ा दिखाई नहीं देता। गुरुदेव शर्मा भी चंदन सिंह की कुछ बातों को लेकर सशंकित रहते हैं।
समाजवादी पार्टी के लिए 2014 का लोकसभा चुनाव इसलिए भी अत्‍यंत महत्‍पूर्ण है क्‍योंकि यदि वह इन चुनावों में मथुरा से सीट निकाल ले जाती है, तो यहां उसका खाता खुल जायेगा। आज तक सपा मथुरा से कोई चुनाव नहीं जीत पाई है। ज़ा हिर है कि वह अब इस चुनाव को हारने के लिए तैयार नहीं है और इसलिए ऐसा प्रत्‍याशी चाहती है जो जीत की गारंटी दिला सके। जो निर्विवाद व बेदाग हो तथा जिसके लिए समूची जिला इकाई एकजुट होकर मन से काम कर सके।
अब बात आती है दूसरे सबसे बड़े क्षेत्रीय दल बहुजन समाज पार्टी के उम्‍मीदवार योगेश द्विवेदी की। योगेश द्विवेदी से पहले बसपा ने वृंदावन के ही निवासी उदयन शर्मा का नाम घोषित किया था। उदयन शर्मा को हटाकर फिर योगेश द्विवेदी के नाम की घोषणा की गई।
बहुजन समाज पार्टी के उच्‍च पदस्‍थ सूत्रों की मानें तो तेजी से बदल रहे राजनीतिक समीकरणों में योगेश द्विवेदी उनकी पार्टी के लिए फिट नहीं बैठ रहे और इसलिए वह पांच राज्‍यों के चुनाव नतीजे आने के साथ ही किसी कद्दावर व्‍यक्‍ति को उम्‍मीदवार बनाकर पेश करने जा रही है। योगेश द्विवेदी का ब्राह्मण होना भी बसपा के फ्रेम में मथुरा के लिए फिट नहीं बैठ रहा। मथुरा का लोकसभा प्रत्‍याशी का निर्णय जाट-ठाकुरों के मत करते हैं। इसके अलावा योगेश द्विवेदी में पार्टी को उतना माद्दा दिखाई नहीं दे रहा कि वह ब्राह्मण मतदाताओं को पूरी तरह अपने पक्ष में लामबंद कर सकें।
ऐसे में बहुजन समाज पार्टी किसी ऐसे चेहरे को सामने लाना चाहती है जो सपा ही नहीं, भाजपा व रालोद की भी काट बन सके और पार्टी को यहां से पहली लोकसभा सीट दिलवा सके।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अब तक लोकसभा चुनावों के लिए जो चेहरे जनता के सामने रहे हैं, उनमें से सिर्फ जयंत चौधरी ही अपनी गारंटी खुद दे सकते हैं।
समाजवादी पार्टी के ठाकुर चंदन सिंह और बहुजन समाज पार्टी के योगेश द्विवेदी की मेहनत ऐन वक्‍त पर भी जाया हो सकती है।
यूं भी राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, कोई नहीं कह सकता। फिर पूर्व घोषित उम्‍मीदवार तो हमेशा ही राजनीतिक दलों के लिए ताश के पत्‍ते अथवा शतरंज के प्‍यादों से अधिक नहीं रहे। जिन्‍हें बाजी जीतने के लिए फेंटना और उलट देना हाईकमानों का शगल रहा है। उनके लिए न कोई चंदन सिंह अहमियत रखता है और ना योगेश द्विवेदी।

शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

भारतीय महिलाएं भी करती हैं ऐसा अपराध

भारत में "सेक्स टॉयज" की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। हालही में एक सर्वे में सामने आया है कि भारत में करीब 13 फीसद महिलाएं सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करके अपनी सेक्स इच्छाओं की पूर्ती करती हैं। हालांकि भारत में सेक्स से जुड़े ऐसे सामानों की बिक्री की अनुमति नहीं है फिर भी गैरकानूनी रूप से यह मार्केट बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है। गौरतलब है कि कोई भी भारतीय कंपनी ऐसे सामान नहीं बना रही है, बल्कि यह सारा सामान विदेशों से आयात होता है। भारत में सबसे ज्यादा सेक्स टॉयज चीन से मंगाए जाते हैं। वैसे भारत में सेक्स क्षमता बढ़ाने और सेक्स लाइफ को अच्छी बनाने के दावे करने वाली देसी जड़ी-बूटियों की दुकानों की संख्या भी कम नहीं है। आइए एक नजर भारत में सेक्स उत्पाद के मार्केट पर...
कंडोम बनाने वाली एक कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 13 महिलाएं आर्गेनिक सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि चिकित्सा से जुड़े लोग इसके इस्तेमाल को गलत नहीं ठहराते। उनका कहना है कि लोग घरेलू चीजों को अप्राकृतिक इस्तेमाल करते हैं जो कि काफी खतरनाक हो सकता है। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक सेक्स में असंतुष्टि की वजह से होने वाले तनाव को कम करने में सैक्स टॉयज कारगर साबित हो सकते हैं. इनका इस्तेमाल करने में युवा पीढ़ी भी पीछे नहीं है।
एक मार्केट रिसर्च के मुताबिक भारतीय सेक्स खिलौना बाजार 35 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। साथ ही बताया गया है कि भारत में सेक्स से जुडे सामानों का कारोबार फिलहाल 1200-1500 करोड़ रुपए का है जो कि 2016 तक 2450 करोड़ और 2020 तक 8700 करोड़ रुपए का हो जाएगा। वही पूरे विश्व में यह सेक्स खिलौनों का कारोबार लगभग 15 करोड़ डॉलर का है जो कि 30 फीसद की दर से बढ़ रहा है। इसमें कई बड़ी कंपनियों ने रुचि दिखाई है। अब कंपनियां अपने नए-नए उत्पाद बाजार में उतार रही हैं।
भारत में सेक्स खिलौनों और सेक्स से जुड़ी दूसरी चीजों को खुलेआम खरीदने और बेचने को अपराध ठहराया गया है। इसके बावजूद भी भारत में गैरकानूनी रूप से सैक्स खिलौने बेचे जा रहे हैं। इसी वजह से लोगों को सेक्स खिलौने आसानी से नहीं मिलते। हाल ही में एक कंपनी द्वारा एक मार्केट सर्वे करवाया गया था जिसमें सामने निकलकर आया है कि सेक्स खिलौने, सेक्स से जुड़े उपकरण और ऐसे ही दूसरे सामनों की बहुत ज्यादा मांग है। सेक्स से जुड़े सामान देश के बड़े शहरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल और बिक्री भी सबसे ज्यादा होती है।
सेक्स खिलौने की बिक्री करते हुए पकड़े जाने पर दो साल की सजा और दो हजार रुपए तक जुर्माना हो सकता है। हालांकि भारतीय कानून में सेक्स खिलौने का कहीं जिक्र नहीं किया गया है, बल्कि कानून में ऐसे सामान की बिक्री पर रोक है जो कि समाज में अश्लीलता फैलाते हैं। इसकी सबसे ज्यादा ऑनलाइन खरीदारी होती हैं।
प्यूर, प्रीमियम बॉडी वियर, शुंगा, एलेगेंट मोमेंट्स और मेल बेसिक्स, वाइब्रेटर, डिल्डो और फेटिश क्लॉथ्स की बिक्री भारत में सबसे ज्यादा होती है। महिलाएं लोशन, एरोटिक लॉन्जिरी और लुब्रीकेंट्स बहुत ज्यादा करती हैं। युवा पीढ़ी में "किस" को मजेदार बनाने वाली लिप-बाम, एडिबल इनर वियर और फन अंडरवियर काफी लोकप्रिय हैं। इनके अलावा पॉर्न फिल्में, उत्तेजक स्प्रे, उत्तेजक दवाइयां और उत्तेजक चिंगम की मांग भी काफी बढ़ रही है।
-एजेंसी

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

35 वर्षीय कांग्रेसी एमएलए ने किया 1.03 करोड़ का मेडिकल क्लेम

नई दिल्ली। 
आपने किसी बुजुर्ग आदमी का मेडिकल बिल लाखों में आया हो यह तो सुना होगा, मगर दिल्ली में युवा कांग्रेसी विधायक विपिन शर्मा द्वारा किए गये मेडिकल क्लेम की राशि 1.03 करोड़ है जबकि इन जनाब की उम्र महज 35 साल है। उनके द्वारा किए गए मेडिकल क्लेम का खुलासा एक आरटीआई से हुआ है।
दिल्ली में 43 एमएलए द्वारा दिए गए मेडिकल क्लेम में यह राशि सर्वाधिक है, यह क्लेम साल 2008 से अक्टूबर 2013 तक के लिए किया गया है। विपिन शर्मा के एक निर्दलीय विधायक भरत सिंह का नाम आता है जिनकी मेडिकल क्लेम की राशि 25 लाख रुपए है।
इसके बाद नाम आता है एच. एस. बाली का, इनका मेडिकल क्लेम 17 लाख रुपए है। ये साहब हाल ही में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।
-एजेंसी

सेक्स की मांग पर मिस यूनीवर्स ऑर्गनाइजेशन के खिलाफ केस

शौकिया मॉडल एश्ले ब्लेक ने मिस यूनिवर्स ऑर्गेनाइजेशन पर मुकदमा दायर किया है। एश्ले के मुताबिक डॉनल्ड ने उसके मॉडलिंग करियर को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के एवज में ओरल सेक्स की मांग की थी। उत्तरी कैलिफोर्निया के ट्रेसी में रहने वाली 21 वर्षीय एश्ले ने बुधवार को मिस यूनिवर्स ऑर्गेनाइजेशन के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें उसने प्रतियोगिता के दौरान स्वयं के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
एश्ले का दावा है कि मिल कैलिफोर्निया यूएसए के रिक्रूटर डोमिंगो रॉड्रिग्ज ने उसे मॉडलिंग जॉब्स और मैगजीन कवर पर छपने का लालच दिया। लेकिन उससे कार में मुलाकात के दौरान सेक्शुअल संबंध बनाने को कहा गया। एश्ले के मतुाबिक इस घटना के बाद वह इतनी ज्यादा डर गई थी कि तुरंत कार से निकलकर भाग गई।
इस घटना के बाद एश्ले ट्रेसी पुलिस डिपार्टमेंट में रॉड्रिग्ज के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने पहुंची, लेकिन पुलिस अधिकारियों द्वारा यह कहकर शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया गया क्योंकि उसपर सेक्स करने का दबाव नहीं डाला गया था।
पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज नहीं करने से आहत एश्ले मिस यूनिवर्स ऑर्गेजनाइजेशन पर झूठा वादा करने और मॉडल को लालच देने का मुकदमा दायर करवाया है। टीएमजेड के मुताबिक एश्ले ऑर्गेनाइजेशन से मुआवजे के तौर पर 200,000 डॉलर चाहती हैं।
'जेजेबेल' के मुताबिक एश्ले ब्लेक शौकिया मॉडल और पार्ट टाइम ट्यूटर हैं। फिल्म स्टार बनने की ख्वाहिश रखने वाली एश्ले से नवंबर 2012 में मिस कैलिफोर्निया यूएसए रिक्रूटर ने मॉडलिंग के लिए संपर्क किया था। एश्ले ने रिक्रूटर की रिक्वेस्ट को स्वीकार किया और मीटिंग फिक्स कर ली।
ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म भरने के बाद उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इंटरव्यू सेशल में एश्ले की मुलाकात डोमिंगो रॉड्रिग्ज से हुई। इस धोखाधड़ी के बारे में एक यू-ट्यूब वीडियो में एश्ले बताती हैं, "मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरा चयन होगा। जब उन्होंने मुझे चुना तो मुझे लगा कि मेरा सपना पूरा होने वाला है।"
प्रमोशनल वीडियो देखने और इंटरव्यू के बाद एश्ले से स्पॉंसर्स खोजने के लिए 895 डॉलर की नॉन रिफंडेबल एप्लीकेशन फीस की मांग की गई। रॉड्रिग्ज द्वारा मियामी की एक मैगजीन में कवर मॉडल बनने का लालच भी दिया गया। बाद में रॉड्रिग्ज ने मैसेज और ईमेल के जरिए एश्ले से संपर्क भी किया।
एश्ले के मुताबिक एक अधेड़ व्यक्ति द्वारा इतना इंट्रेस्ट लेने से उसे कुछ शक हुआ और उसने ऑर्गेनाइजेशन के दफ्तर जाकर उसके बारे में जानकारी जुटाई। वहां उसे मालूम चला कि रॉड्रिग्ज वहां काम करता है और कोई फ्रॉड नहीं है। एक दिन मॉडलिंग फोटो के साथ रॉड्रिग्ज ने उसे मिलने के लिए बुलाया और अपनी कार में मीटिंग फिक्स की।
एश्ले के मुताबिक रॉड्रिग्ज ने उसे बताया कि इंडस्ट्री के 90 प्रतिशत से ज्यादा मॉडल्स बिना कंप्रोमाइज के आगे नहीं बढ़े हैं। रॉड्रिग्ज ने उसे खुद को साबित करने की बात भी कही। एश्ले के असहमति जताने पर उसे कार से नीचे उतार दिया गया और अपने निर्णय पर दुबारा विचार करने को कहा गया।
-एजेंसी

इन्वेस्टिगेटिंग जर्नलिज्म के नाम पर..


इन्वेस्टिगेटिंग जर्नलिज्म के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले तरूण तेजपाल के पुराने पाप अब धीरे धीरे सामने आ रहे हैं। एक समाचार चैनल के मुताबिक तेजपाल और उसकी पत्नी गीतान बत्रा ने उत्तराखण्ड के नैनीताल में बड़े पैमाने पर जमीन और प्रोपर्टी मेे निवेश कर रखा है।
गेथिया गांव में तेजपाल ने टू चिमनी नाम से एक रिसार्ट खरीद रखा है। तेजपाल फैमिली के पास जो प्रोपर्टी है उनमें से इसकी कीमत सबसे ज्यादा है। बताया जा रहा है कि तेजपाल का रिसार्ट बिना लाइसेंस के चल रहा है। रिसार्ट नैनीताल से चालीस किलोमीटर दूर है।
रिसार्ट की कहानी 1999 में शुरू हुई। पहले तेजपाल ने इस जमीन पर रिहायशी मकान बनाया था। बाद में इसे रिसार्ट का रूप दिया गया। 2009 में तेजपाल ने पर्यटन विभाग से पेईंग गेस्ट रखने के लिए लाइसेंस लिया लेकिन तीन साल बाद यानि 2012 में लाइसेंस लैप्स हो गया। अब तक उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया है।
तेजपाल उत्तराखण्ड में कई अन्य प्रोपर्टी का भी मालिक है। नैनीताल के जिला प्रशासन ने तेजपाल के पास जमीनों के रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं। नैनीताल के डिस्ट्रिक्ट लैण्ड रिकॉर्ड के मुताबिक तेजपाल के पास 14 नाली(एक नाली 240 स्कवायर यार्ड की होती है) लैण्ड है।
तेजपाल की पत्नी के नाम गेथिया में 5 नाली है। उत्तराखण्ड सरकार के लैण्ड एक्ट के मुताबिक बाहरी लोग 250 स्कवायर यार्ड से ज्यादा जमीन नहीं खरीद सकते। तेजपाल ने यह कहते हुए एक्ट से छूट चाही थी कि उसने 2003 से पहले जमीन खरीदी थी और लैण्ड एक्ट 2003 में लागू हुआ था।
-एजेंसी

तरुण तेजपाल के नए ई-मेल्‍स ने किया उन्‍हें और बेनकाब

नई दिल्‍ली। 
तहलका के एडिटर तरुण तेजपाल और उन पर आरोप लगाने वाली जूनियर कॉलीग की नई मेल्स लीक हो गई हैं। ये वे शुरुआती ई-मेल्स हैं, जिनमें दोनों उस घटना के बारे में बात कर रहे हैं। एक ब्लॉग पर वह मेल पब्लिश की गई है, जो तरुण तेजपाल ने पीड़ित पत्रकार को 19 नवंबर को भेजी थी। यह उस घटना के बाद की पहली ई-मेल है।
तरुण तेजपाल ने लड़की को भेजी मेल में माफी मांगते हुए कहा कि वह घटना हल्के-फुल्के और फ्लर्टी मूड में हुई थी और हो सकता है कि मैंने हालात को समझने में गलती की हो। मगर 20 नवंबर को तेजपाल की इस मेल का जवाब देते हुए लड़की ने तेजपाल को बुरी तरह से लताड़ा है।
घटना के बाद दोनों में क्या बात हुई थी, हम इसके अंश पेश कर रहे हैं। तेजपाल की मेल और उस पर लड़की के जवाब वाली मेल में दोनों के बीच जिन पॉइंट्स पर बात हुई, हम उन्हें एक साथ बातचीत के अंदाज में दे रहे हैं। इन ई-मेल्स में जिन बाकी लोगों का जिक्र किया गया था, उनके नाम हटा दिए गए हैं। पढ़ें:
उस रात हुई घटना के बारे में
तरुण तेजपाल: जहां तक उस मनहूस रात की बात है, तुम याद करो तो हम नशे में, हंसी-मजाक और फ्लर्टी अंदाज में इच्छाओं और सेक्स के बारे में बात कर रहे थे। हम उस तूफानी शाम को हुई मुलाकात को याद कर रहे थे, जब मैं ऑफिस में बादलों को देख रहा था। मैं यह भी बताना चाहता हूं कि एक मौके पर तुमने कहा था कि आप बॉस हैं। इस पर मैंने कहा कहा था कि इससे तब तो और भी अच्छी बात है। लेकिन उसी दौरान मैंने कहा था कि इससे मेरे और तुम्हारे बीच के किसी रिश्ते का कोई लेना-देना नहीं है।
पीड़ित लड़की: उस रात बातें न तो फ्लर्ट से भरी थीं और न नशे में की गई थीं। आप सेक्स और इच्छाओं के बारे में बात कर रहे थे, क्योंकि आप मुझसे बात करते वक्त अक्सर वही सब्जेक्ट चुनते हैं। अफसोस कि आपने कभी मेरे काम के बारे में बात नहीं की। और अगर आपने उसे पढ़ने के लिए वक्त निकाला होता, तो आपकी हिम्मत नहीं होती मेरा यौन उत्पीड़न करने की कोशिश करने की। आपको इस बात का भी अंदाजा होता कि इस सब के बाद मैं चुप बैठने वाली नहीं हूं। उस रात हमने किसी 'तूफानी शाम के बादलों' की चर्चा भी नहीं की थी। मैं तो आपके साथ अपनी उस पहली स्टोरी के बारे में बात करना चाहती थी, जो एक रेप से बचने वाली लड़की के बारे में आपके साथ लिखी थी। ##### ने मुझे आपके ऑफिस में बुलाया। मैं अंदर गई, जहां बत्ती बंद करके काउच पर बैठे हुए थे। मैंने लाइट ऑन करने को कहा था तो आपने मना कर दिया था। आप काउच पर लेटे रहे। मैं आपके सामने चेयर पर बैठी रही और उस लड़की की कहानी आपको सुनाई। आपने भी उस प्रफेशल वजह को ही याद किया था, न कि तूफान और बादलों को।
सहमति या असहमति के बारे में
तरुण तेजपाल: जब यह सब कुछ हुआ, उस दौरान मूड मस्ती और खुशमिजाजी भरा था। मुझे एक पल के भी नहीं लगा कि तुम नाराज हो। मुझे तब तक नहीं लगा कि यह सब तुम्हारी सहमति से नहीं हुआ, जब तक अगली रात #### ने मुझे नहीं बताया। मैं शॉक में था और पूरी तरह से हिल गया था। ऐसा इसलिए, क्योंकि तुम्हें लगा था कि मैंने तुम्हारे साथ जबर्दस्ती की है (जो कि मेरा इरादा नहीं था)। मैं शॉक में था क्योंकि मैंने अपनी बेटी की करीबी दोस्त के साथ गैरजिम्मेदाराना और बेवकूफी भरा कुछ किया था। उस वक्त मैं बहुत शर्मिंदा हुआ और अब भी शर्मिंदा हूं। (जो बात सच नहीं है वह ये कि मैंने कभी धमकी का एक शब्द नहीं कहा।)'
पीड़ित लड़की: मेरी अहमति इससे जाहिर होती है: जैसे ही आपने मुझ पर हाथ रखा, मैंने आपको रुकने के लिए कहा था। मैंने हर उस शख्स और उसूल की दुहाई दी, जो हमारे लिए अहमियत रखते थे (आपकी बेटी, पत्नी, शोमा, मेरे पापा)। मैंने यह भी कहा कि आप मेरे एम्प्लॉयर हैं। लेकिन आप सुन नहीं रहे थे। आप रुके नहीं और मेरा उत्पीड़न करते रहे। अगली रात भी आपने ऐसा ही किया। तहलका की एडिट मीटिंग्स में हमने उन पुरुषों की बात की है जो दरिंदे बन जाते हैं। आपने भी अपनी स्टोरीज़ में इसका जिक्र किया है। क्या यही है उस सब की हकीकत, न को न नहीं समझना?
आपने सिर्फ मुझे #### को इस घटना के बारे में बताने पर न सिर्फ डांटा था, बल्कि अगली सुबह टेक्स्ट मेसेज भी भेजा था जिसमें लिखा था, 'मुझे यकीन नहीं हो रहा कि तुमने उसे इतनी मामूली बात बता दीं।' 'तरुण, मुझे भरोसा नहीं होता कि तुम अपनी बेटी की दोस्त और उसकी उम्र की एम्प्लॉयी का उत्पीड़न के बारे में सोच भी सकते हो। क्या यह मामूली बात थी?
घटना के बारे में माफीनामा
तरुण तेजपाल: तुमने साफ कर दिया है कि मुझे समझने में ही गलती हुई। मैं तुम्हें आ रहे गुस्से और तुम्हें पहुंची ठेस को समझा हूं और इसपर कोई बात नहीं करूंगा। यह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा पल है। जो कुछ हंसी-मजाक में हो रहा था, नहीं पता था कि उसका नतीजा इतना बुरा रहेगा। मुझे माफ कर दो और इसे भूल जाओ। मैं तुम्हारी मां से मिलूंगा और उनसे माफी मांगूंगाI तुम चाहोगी तो #### से भी माफी मांगने को तैयार हूं। मैं चाहता हूं कि तुम पहले की तरह ही तहलका के लिए काम करो और शोमा को रिपोर्ट करती रहो। तहलका और शोमा ने तुम्हें कभी निराश नहीं किया है। मेरी सजा मुझे मिल गई है और शायद मेरी जिंदगी के आखिरी दिन तक मुझे मिलती रहेगी।
पीड़ित लड़की: आपकी #### से माफी मांगने की इच्छा रखने से लग रहा है कि आप मुझे उसकी प्रॉपर्टी समझते हैं और खुद को उसके प्रति जवाबदेह मानते हैं। इससे तो आपकी उस पुरुषवादी सोच की बू आ रही है, जिसमें यह माना जाता है कि महिलाओं के शरीर पर पुरुषों का अधिकार है।
अगर आपको किसी से माफी मांगनी है, तो तहलका के उन कर्मचारियों से मांगिए, जिनके दिलों में आपने अपना सम्मान गिरा दिया है। प्लीज, आगे से मुझसे पर्सनल मेल करने की कोशिश मत करना। आपने यह अधिकार उसी वक्त खो दिया था, जब आपने मेरे विश्वास और शरीर पर हमला किया।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...