शनिवार, 30 नवंबर 2013

तरुण तेजपाल: एक पत्रकार.. या एक चालाक बिजनेसमैन?

नई दिल्‍ली। 
तरुण तेजपाल भले ही खोजी पत्रकार के रूप में मशहूर रहा हो लेकिन उसके बारे में जो खुलासे हो रहे हैं उससे लग रहा है कि वह पत्रकार की बजाय एक चालाक बिजनेसमैन है।
साल दर साल घाटे के बावजूद तेजपाल आठ कंपनियां चला रहा है। तहलका मैगजीन को प्रकाशित करने वाली कंपनी अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को साल 2011-12 के दौरान कुल 13 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसी साल तेजपाल ने थ्राइविंग आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से नई कंपनी बनाई।
यह कंपनी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-2 में प्रुफरॉक नाम से एक एलिट क्लब बनाने जा रही है। सिर्फ थिंकवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड को पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 1.99 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। यह कंपनी गोवा में हर साल थिंकफेस्ट इवेंट का आयोजन करती है।
सबसे चौंकानी वाली बात यह है कि तेजपाल के ज्यादातर निवेशकों का तहलका की पत्रकारिता और उसकी ओर से उठाए जाने वाले समाजिक मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि तेजपाल के किसी भी वेंचर्स में किसी तरह के निवेश का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक है। उनका मकसद सिर्फ तेजी से पैसा कमाना है और उपयुक्त वक्त पर बाहर निकालना है।
राज्यसभा के सांसद के. डी. सिंह ने एक समाचार पत्र को बताया कि तेजपाल के वेंचर्स में निवेश का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक है। आखिरकार हमारी इच्छा है कि उपयुक्त वक्त पर बाहर निकल जाना। सिंह के समूह की फर्म अल्केमिस्ट के अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में 65.75 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर तेजपाल के वेंचर्स लगातार घाटे में हैं तो निवेशक क्यों और कैसे पैसा लगा रहे हैं?
सी. ए. अनिल गोयल का कहना है कि यह इतना आसान नहीं है। अकाउंट बुक में दिखाया जाने वाला घाटा सिर्फ छलावा है। चंद्रा ग्रुप तेजपाल के वेंचर्स थ्राइविंग आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में प्रति शेयर 1800 के हिसाब से कैसे 1 फीसदी हिस्सेदारी ले सकता है जब हर शेयर की फेस वैल्यू 10 हो?
-एजेंसी

मथुरा से कटेंगे चंदनसिंह और योगेश के टिकट!

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली सहित पांच राज्‍यों के चुनाव नतीजे सामने आते ही सभी प्रमुख राजनीतिक दलों का पूरा ध्‍यान लोकसभा चुनावों पर केंद्रित हो जायेगा। लोकसभा चुनावों के लिए उत्‍तर प्रदेश में हालांकि कुछ क्षेत्रीय दलों ने काफी समय पूर्व अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर दी थी लेकिन अब वह उन नामों की फिर से समीक्षा करने में लगे हैं।
चूंकि 2014 के लोकसभा चुनावों में किंग नहीं तो किंगमेकर बनने के लिए दोनों प्रमुख क्षेत्रीय दल सपा और बसपा एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं इसलिए उम्‍मीदवारों के चयन पर पुनर्विचार करना उनकी लगभग मजबूरी बन गई है।
हालांकि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव किंगमेकर बनने की जगह किंग बनने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं और इसीलिए एक ओर जहां तीसरे मोर्चे के गठन करने में लगे हैं वहीं दूसरी ओर उत्‍तर प्रदेश से बड़ी सफलता का ख्‍वाब पाले हुए हैं।
यही कारण है कि वह उत्‍तर प्रदेश में पूर्व घोषित अपने उम्‍मीदवारों की फिर से समीक्षा कर रहे हैं और कई उम्‍मीदवारों को बदल भी चुके हैं।
इसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी भी काफी गोपनीय तरीके से अब तक घोषित अपने उम्‍मीदवारों की जमीनी हकीकत का आंकलन करवा रही है और पांच राज्‍यों के नतीजे आने के बाद वह अपना पूरा ध्‍यान उम्‍मीदवारों के चयन पर केंद्रित कर देगी।
बहरहाल, लोकसभा चुनावों में देश के अंदर जितनी बड़ी भूमिका उत्‍तर प्रदेश निभाता है, लगभग उतनी ही उत्‍तर प्रदेश में ब्रज क्षेत्र की रहती है।
यूं तो ब्रजक्षेत्र काफी बड़ा है लेकिन यदि हम बात करें केवल उन सीटों की जो मथुरा, आगरा, हाथरस, अलीगढ़, एटा, मैनपुरी, फतेहपुर सीकरी की तो यहां की आठ सीटें न केवल निर्णायक रहती हैं बल्‍कि यहां से मिली हार-जीत समूचे उत्‍तर प्रदेश में राजनीति की दशा व दिशा तय करती है।
संभवत: इसीलिए हर राजनीतिक दल चाहे वह राष्‍ट्रीय हो या क्षेत्रीय, लोकसभा चुनावों में ब्रज क्षेत्र की इन सीटों पर अपना पूरा ध्‍यान केंद्रित रखता है।
भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली का गौरव प्राप्‍त मथुरा जनपद की सीट पर जीत-हार के मायने इसलिए और महत्‍वपूर्ण हो जाते हैं क्‍योंकि राजनीतिक नज़रिए से भी इसकी महत्‍ता कम नहीं है।
सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस बात को समझते हैं और इसीलिए चाहते हैं कि यहां की सीट उनके खाते में ही जाए।
उल्‍लेखनीय है कि विश्‍वविख्‍यात इस धार्मिक जनपद के लिए अब तक जिन पार्टियों ने अपने उम्‍मीदवार घोषित किए हैं, उनमें समाजवादी पार्टी के ठाकुर चंदन सिंह हैं जबकि बहुजन समाज पार्टी की ओर से वृंदावन की पूर्व पालिकाध्‍यक्ष पुष्‍पा शर्मा के पुत्र योगेश द्विवेदी हैं।
इनके अलावा तीसरा नाम राष्‍ट्रीय लोकदल के युवराज जयंत चौधरी का है जो निवर्तमान सांसद होंगे। जयंत चौधरी के यहां से फिर चुनाव लड़ने को लेकर भी समय-समय पर अटकलों का बाजार गर्म रहता है परंतु वह पुरजोर तरीके से हमेशा यही कहते रहे हैं कि वह चुनाव मथुरा से ही लड़ेंगे।
मुज़फ्फ़रनगर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद उपजे राजनीतिक हालात भी यही बताते हैं कि जयंत चौधरी कम से कम 2014 के लोकसभा चुनावों में क्षेत्र बदलने का जोखिम नहीं उठायेंगे।
इधर दोनों राष्‍ट्रीय दल ही ऐसे हैं जिन्‍होंने अपने पत्‍ते पूरी तरह छिपा रखे हैं। कांग्रेस का तो अभी यह तक नहीं पता कि 2014 के लोकसभा चुनावों में वह रालोद को साथ रखेगी या नहीं। रालोद को साथ लेकर चलने की स्‍थिति में मथुरा से उसका कोई प्रत्‍याशी नहीं होगा। शेष रह गई भाजपा जो किसी कीमत पर इस बार यहां से हार का मुंह नहीं देखना चाहती और इसी कवायद में लगी है कि प्रत्‍याशी ऐसा हो जो पार्टी को निश्‍चिंत कर सके।
लगभग यही स्‍थिति सपा और बसपा की है। समाजवादी पार्टी के मुखिया तो यूपी के दम पर खुद इस मर्तबा प्रधानमंत्री बनने की अपनी दिली ख्‍वाहिश का इज़हार हर जगह करते ही हैं लेकिन बसपा भी चाहती है कि वह किंग न सही लेकिन किंगमेकर जरूर बने।
ज़ाहिर है कि ऐसे हालात पैदा करने के लिए एक-एक सीट पर चुनाव पूर्व नजर गढ़ाकर रखना और उससे भी पहले जिताऊ प्रत्‍याशी सामने लाना बहुत जरूरी होगा।
पहले बात करें यदि समाजवादी पार्टी के वर्तमान घोषित प्रत्‍याशी ठाकुर चंदन सिंह की तो पार्टी के उच्‍च पदस्‍थ सूत्र उनकी अब तक की प्रोग्रेस से कतई संतुष्‍ट नहीं हैं। पार्टी हाईकमान का मानना है कि पर्याप्‍त समय दिए जाने के बावजूद वह जनपद में वो जगह नहीं बना पाए जिस पर भरोसा करके दांव लगाया जा सके।
इसके अलावा उन्‍हें लेकर पार्टी की जिला इकाई में मौजूद मतभेद तथा कुछ ज़मीनी विवादों में उनका नाम सामने आना भी उन्‍हें चुनाव लड़ाने में बाधा बनकर खड़ा हो रहा है।
गत दिनों समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव के गोवर्धन आगमन पर उनके सामने ही ठाकुर चंदन सिंह का एक जमीनी विवाद को लेकर कुछ लोगों ने घेराव किया था जिससे प्रोफेसर रामगोपाल भी काफी असहज हो गए। उस समय तो जैसे-तैसे बात संभाल ली गई लेकिन प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने इसे काफी गंभीरता से लिया। यूं भी पार्टी के सूत्रों की मानें तो ठाकुर चंदन सिंह के पक्ष में जिलाध्‍यक्ष गुरुदेव शर्मा के अलावा कोई दूसरा मजबूती से खड़ा दिखाई नहीं देता। गुरुदेव शर्मा भी चंदन सिंह की कुछ बातों को लेकर सशंकित रहते हैं।
समाजवादी पार्टी के लिए 2014 का लोकसभा चुनाव इसलिए भी अत्‍यंत महत्‍पूर्ण है क्‍योंकि यदि वह इन चुनावों में मथुरा से सीट निकाल ले जाती है, तो यहां उसका खाता खुल जायेगा। आज तक सपा मथुरा से कोई चुनाव नहीं जीत पाई है। ज़ा हिर है कि वह अब इस चुनाव को हारने के लिए तैयार नहीं है और इसलिए ऐसा प्रत्‍याशी चाहती है जो जीत की गारंटी दिला सके। जो निर्विवाद व बेदाग हो तथा जिसके लिए समूची जिला इकाई एकजुट होकर मन से काम कर सके।
अब बात आती है दूसरे सबसे बड़े क्षेत्रीय दल बहुजन समाज पार्टी के उम्‍मीदवार योगेश द्विवेदी की। योगेश द्विवेदी से पहले बसपा ने वृंदावन के ही निवासी उदयन शर्मा का नाम घोषित किया था। उदयन शर्मा को हटाकर फिर योगेश द्विवेदी के नाम की घोषणा की गई।
बहुजन समाज पार्टी के उच्‍च पदस्‍थ सूत्रों की मानें तो तेजी से बदल रहे राजनीतिक समीकरणों में योगेश द्विवेदी उनकी पार्टी के लिए फिट नहीं बैठ रहे और इसलिए वह पांच राज्‍यों के चुनाव नतीजे आने के साथ ही किसी कद्दावर व्‍यक्‍ति को उम्‍मीदवार बनाकर पेश करने जा रही है। योगेश द्विवेदी का ब्राह्मण होना भी बसपा के फ्रेम में मथुरा के लिए फिट नहीं बैठ रहा। मथुरा का लोकसभा प्रत्‍याशी का निर्णय जाट-ठाकुरों के मत करते हैं। इसके अलावा योगेश द्विवेदी में पार्टी को उतना माद्दा दिखाई नहीं दे रहा कि वह ब्राह्मण मतदाताओं को पूरी तरह अपने पक्ष में लामबंद कर सकें।
ऐसे में बहुजन समाज पार्टी किसी ऐसे चेहरे को सामने लाना चाहती है जो सपा ही नहीं, भाजपा व रालोद की भी काट बन सके और पार्टी को यहां से पहली लोकसभा सीट दिलवा सके।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अब तक लोकसभा चुनावों के लिए जो चेहरे जनता के सामने रहे हैं, उनमें से सिर्फ जयंत चौधरी ही अपनी गारंटी खुद दे सकते हैं।
समाजवादी पार्टी के ठाकुर चंदन सिंह और बहुजन समाज पार्टी के योगेश द्विवेदी की मेहनत ऐन वक्‍त पर भी जाया हो सकती है।
यूं भी राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, कोई नहीं कह सकता। फिर पूर्व घोषित उम्‍मीदवार तो हमेशा ही राजनीतिक दलों के लिए ताश के पत्‍ते अथवा शतरंज के प्‍यादों से अधिक नहीं रहे। जिन्‍हें बाजी जीतने के लिए फेंटना और उलट देना हाईकमानों का शगल रहा है। उनके लिए न कोई चंदन सिंह अहमियत रखता है और ना योगेश द्विवेदी।

शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

भारतीय महिलाएं भी करती हैं ऐसा अपराध

भारत में "सेक्स टॉयज" की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। हालही में एक सर्वे में सामने आया है कि भारत में करीब 13 फीसद महिलाएं सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करके अपनी सेक्स इच्छाओं की पूर्ती करती हैं। हालांकि भारत में सेक्स से जुड़े ऐसे सामानों की बिक्री की अनुमति नहीं है फिर भी गैरकानूनी रूप से यह मार्केट बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है। गौरतलब है कि कोई भी भारतीय कंपनी ऐसे सामान नहीं बना रही है, बल्कि यह सारा सामान विदेशों से आयात होता है। भारत में सबसे ज्यादा सेक्स टॉयज चीन से मंगाए जाते हैं। वैसे भारत में सेक्स क्षमता बढ़ाने और सेक्स लाइफ को अच्छी बनाने के दावे करने वाली देसी जड़ी-बूटियों की दुकानों की संख्या भी कम नहीं है। आइए एक नजर भारत में सेक्स उत्पाद के मार्केट पर...
कंडोम बनाने वाली एक कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 13 महिलाएं आर्गेनिक सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि चिकित्सा से जुड़े लोग इसके इस्तेमाल को गलत नहीं ठहराते। उनका कहना है कि लोग घरेलू चीजों को अप्राकृतिक इस्तेमाल करते हैं जो कि काफी खतरनाक हो सकता है। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक सेक्स में असंतुष्टि की वजह से होने वाले तनाव को कम करने में सैक्स टॉयज कारगर साबित हो सकते हैं. इनका इस्तेमाल करने में युवा पीढ़ी भी पीछे नहीं है।
एक मार्केट रिसर्च के मुताबिक भारतीय सेक्स खिलौना बाजार 35 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। साथ ही बताया गया है कि भारत में सेक्स से जुडे सामानों का कारोबार फिलहाल 1200-1500 करोड़ रुपए का है जो कि 2016 तक 2450 करोड़ और 2020 तक 8700 करोड़ रुपए का हो जाएगा। वही पूरे विश्व में यह सेक्स खिलौनों का कारोबार लगभग 15 करोड़ डॉलर का है जो कि 30 फीसद की दर से बढ़ रहा है। इसमें कई बड़ी कंपनियों ने रुचि दिखाई है। अब कंपनियां अपने नए-नए उत्पाद बाजार में उतार रही हैं।
भारत में सेक्स खिलौनों और सेक्स से जुड़ी दूसरी चीजों को खुलेआम खरीदने और बेचने को अपराध ठहराया गया है। इसके बावजूद भी भारत में गैरकानूनी रूप से सैक्स खिलौने बेचे जा रहे हैं। इसी वजह से लोगों को सेक्स खिलौने आसानी से नहीं मिलते। हाल ही में एक कंपनी द्वारा एक मार्केट सर्वे करवाया गया था जिसमें सामने निकलकर आया है कि सेक्स खिलौने, सेक्स से जुड़े उपकरण और ऐसे ही दूसरे सामनों की बहुत ज्यादा मांग है। सेक्स से जुड़े सामान देश के बड़े शहरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल और बिक्री भी सबसे ज्यादा होती है।
सेक्स खिलौने की बिक्री करते हुए पकड़े जाने पर दो साल की सजा और दो हजार रुपए तक जुर्माना हो सकता है। हालांकि भारतीय कानून में सेक्स खिलौने का कहीं जिक्र नहीं किया गया है, बल्कि कानून में ऐसे सामान की बिक्री पर रोक है जो कि समाज में अश्लीलता फैलाते हैं। इसकी सबसे ज्यादा ऑनलाइन खरीदारी होती हैं।
प्यूर, प्रीमियम बॉडी वियर, शुंगा, एलेगेंट मोमेंट्स और मेल बेसिक्स, वाइब्रेटर, डिल्डो और फेटिश क्लॉथ्स की बिक्री भारत में सबसे ज्यादा होती है। महिलाएं लोशन, एरोटिक लॉन्जिरी और लुब्रीकेंट्स बहुत ज्यादा करती हैं। युवा पीढ़ी में "किस" को मजेदार बनाने वाली लिप-बाम, एडिबल इनर वियर और फन अंडरवियर काफी लोकप्रिय हैं। इनके अलावा पॉर्न फिल्में, उत्तेजक स्प्रे, उत्तेजक दवाइयां और उत्तेजक चिंगम की मांग भी काफी बढ़ रही है।
-एजेंसी

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

35 वर्षीय कांग्रेसी एमएलए ने किया 1.03 करोड़ का मेडिकल क्लेम

नई दिल्ली। 
आपने किसी बुजुर्ग आदमी का मेडिकल बिल लाखों में आया हो यह तो सुना होगा, मगर दिल्ली में युवा कांग्रेसी विधायक विपिन शर्मा द्वारा किए गये मेडिकल क्लेम की राशि 1.03 करोड़ है जबकि इन जनाब की उम्र महज 35 साल है। उनके द्वारा किए गए मेडिकल क्लेम का खुलासा एक आरटीआई से हुआ है।
दिल्ली में 43 एमएलए द्वारा दिए गए मेडिकल क्लेम में यह राशि सर्वाधिक है, यह क्लेम साल 2008 से अक्टूबर 2013 तक के लिए किया गया है। विपिन शर्मा के एक निर्दलीय विधायक भरत सिंह का नाम आता है जिनकी मेडिकल क्लेम की राशि 25 लाख रुपए है।
इसके बाद नाम आता है एच. एस. बाली का, इनका मेडिकल क्लेम 17 लाख रुपए है। ये साहब हाल ही में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।
-एजेंसी

सेक्स की मांग पर मिस यूनीवर्स ऑर्गनाइजेशन के खिलाफ केस

शौकिया मॉडल एश्ले ब्लेक ने मिस यूनिवर्स ऑर्गेनाइजेशन पर मुकदमा दायर किया है। एश्ले के मुताबिक डॉनल्ड ने उसके मॉडलिंग करियर को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के एवज में ओरल सेक्स की मांग की थी। उत्तरी कैलिफोर्निया के ट्रेसी में रहने वाली 21 वर्षीय एश्ले ने बुधवार को मिस यूनिवर्स ऑर्गेनाइजेशन के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें उसने प्रतियोगिता के दौरान स्वयं के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
एश्ले का दावा है कि मिल कैलिफोर्निया यूएसए के रिक्रूटर डोमिंगो रॉड्रिग्ज ने उसे मॉडलिंग जॉब्स और मैगजीन कवर पर छपने का लालच दिया। लेकिन उससे कार में मुलाकात के दौरान सेक्शुअल संबंध बनाने को कहा गया। एश्ले के मतुाबिक इस घटना के बाद वह इतनी ज्यादा डर गई थी कि तुरंत कार से निकलकर भाग गई।
इस घटना के बाद एश्ले ट्रेसी पुलिस डिपार्टमेंट में रॉड्रिग्ज के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने पहुंची, लेकिन पुलिस अधिकारियों द्वारा यह कहकर शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया गया क्योंकि उसपर सेक्स करने का दबाव नहीं डाला गया था।
पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज नहीं करने से आहत एश्ले मिस यूनिवर्स ऑर्गेजनाइजेशन पर झूठा वादा करने और मॉडल को लालच देने का मुकदमा दायर करवाया है। टीएमजेड के मुताबिक एश्ले ऑर्गेनाइजेशन से मुआवजे के तौर पर 200,000 डॉलर चाहती हैं।
'जेजेबेल' के मुताबिक एश्ले ब्लेक शौकिया मॉडल और पार्ट टाइम ट्यूटर हैं। फिल्म स्टार बनने की ख्वाहिश रखने वाली एश्ले से नवंबर 2012 में मिस कैलिफोर्निया यूएसए रिक्रूटर ने मॉडलिंग के लिए संपर्क किया था। एश्ले ने रिक्रूटर की रिक्वेस्ट को स्वीकार किया और मीटिंग फिक्स कर ली।
ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म भरने के बाद उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इंटरव्यू सेशल में एश्ले की मुलाकात डोमिंगो रॉड्रिग्ज से हुई। इस धोखाधड़ी के बारे में एक यू-ट्यूब वीडियो में एश्ले बताती हैं, "मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरा चयन होगा। जब उन्होंने मुझे चुना तो मुझे लगा कि मेरा सपना पूरा होने वाला है।"
प्रमोशनल वीडियो देखने और इंटरव्यू के बाद एश्ले से स्पॉंसर्स खोजने के लिए 895 डॉलर की नॉन रिफंडेबल एप्लीकेशन फीस की मांग की गई। रॉड्रिग्ज द्वारा मियामी की एक मैगजीन में कवर मॉडल बनने का लालच भी दिया गया। बाद में रॉड्रिग्ज ने मैसेज और ईमेल के जरिए एश्ले से संपर्क भी किया।
एश्ले के मुताबिक एक अधेड़ व्यक्ति द्वारा इतना इंट्रेस्ट लेने से उसे कुछ शक हुआ और उसने ऑर्गेनाइजेशन के दफ्तर जाकर उसके बारे में जानकारी जुटाई। वहां उसे मालूम चला कि रॉड्रिग्ज वहां काम करता है और कोई फ्रॉड नहीं है। एक दिन मॉडलिंग फोटो के साथ रॉड्रिग्ज ने उसे मिलने के लिए बुलाया और अपनी कार में मीटिंग फिक्स की।
एश्ले के मुताबिक रॉड्रिग्ज ने उसे बताया कि इंडस्ट्री के 90 प्रतिशत से ज्यादा मॉडल्स बिना कंप्रोमाइज के आगे नहीं बढ़े हैं। रॉड्रिग्ज ने उसे खुद को साबित करने की बात भी कही। एश्ले के असहमति जताने पर उसे कार से नीचे उतार दिया गया और अपने निर्णय पर दुबारा विचार करने को कहा गया।
-एजेंसी

इन्वेस्टिगेटिंग जर्नलिज्म के नाम पर..


इन्वेस्टिगेटिंग जर्नलिज्म के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले तरूण तेजपाल के पुराने पाप अब धीरे धीरे सामने आ रहे हैं। एक समाचार चैनल के मुताबिक तेजपाल और उसकी पत्नी गीतान बत्रा ने उत्तराखण्ड के नैनीताल में बड़े पैमाने पर जमीन और प्रोपर्टी मेे निवेश कर रखा है।
गेथिया गांव में तेजपाल ने टू चिमनी नाम से एक रिसार्ट खरीद रखा है। तेजपाल फैमिली के पास जो प्रोपर्टी है उनमें से इसकी कीमत सबसे ज्यादा है। बताया जा रहा है कि तेजपाल का रिसार्ट बिना लाइसेंस के चल रहा है। रिसार्ट नैनीताल से चालीस किलोमीटर दूर है।
रिसार्ट की कहानी 1999 में शुरू हुई। पहले तेजपाल ने इस जमीन पर रिहायशी मकान बनाया था। बाद में इसे रिसार्ट का रूप दिया गया। 2009 में तेजपाल ने पर्यटन विभाग से पेईंग गेस्ट रखने के लिए लाइसेंस लिया लेकिन तीन साल बाद यानि 2012 में लाइसेंस लैप्स हो गया। अब तक उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया है।
तेजपाल उत्तराखण्ड में कई अन्य प्रोपर्टी का भी मालिक है। नैनीताल के जिला प्रशासन ने तेजपाल के पास जमीनों के रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं। नैनीताल के डिस्ट्रिक्ट लैण्ड रिकॉर्ड के मुताबिक तेजपाल के पास 14 नाली(एक नाली 240 स्कवायर यार्ड की होती है) लैण्ड है।
तेजपाल की पत्नी के नाम गेथिया में 5 नाली है। उत्तराखण्ड सरकार के लैण्ड एक्ट के मुताबिक बाहरी लोग 250 स्कवायर यार्ड से ज्यादा जमीन नहीं खरीद सकते। तेजपाल ने यह कहते हुए एक्ट से छूट चाही थी कि उसने 2003 से पहले जमीन खरीदी थी और लैण्ड एक्ट 2003 में लागू हुआ था।
-एजेंसी

तरुण तेजपाल के नए ई-मेल्‍स ने किया उन्‍हें और बेनकाब

नई दिल्‍ली। 
तहलका के एडिटर तरुण तेजपाल और उन पर आरोप लगाने वाली जूनियर कॉलीग की नई मेल्स लीक हो गई हैं। ये वे शुरुआती ई-मेल्स हैं, जिनमें दोनों उस घटना के बारे में बात कर रहे हैं। एक ब्लॉग पर वह मेल पब्लिश की गई है, जो तरुण तेजपाल ने पीड़ित पत्रकार को 19 नवंबर को भेजी थी। यह उस घटना के बाद की पहली ई-मेल है।
तरुण तेजपाल ने लड़की को भेजी मेल में माफी मांगते हुए कहा कि वह घटना हल्के-फुल्के और फ्लर्टी मूड में हुई थी और हो सकता है कि मैंने हालात को समझने में गलती की हो। मगर 20 नवंबर को तेजपाल की इस मेल का जवाब देते हुए लड़की ने तेजपाल को बुरी तरह से लताड़ा है।
घटना के बाद दोनों में क्या बात हुई थी, हम इसके अंश पेश कर रहे हैं। तेजपाल की मेल और उस पर लड़की के जवाब वाली मेल में दोनों के बीच जिन पॉइंट्स पर बात हुई, हम उन्हें एक साथ बातचीत के अंदाज में दे रहे हैं। इन ई-मेल्स में जिन बाकी लोगों का जिक्र किया गया था, उनके नाम हटा दिए गए हैं। पढ़ें:
उस रात हुई घटना के बारे में
तरुण तेजपाल: जहां तक उस मनहूस रात की बात है, तुम याद करो तो हम नशे में, हंसी-मजाक और फ्लर्टी अंदाज में इच्छाओं और सेक्स के बारे में बात कर रहे थे। हम उस तूफानी शाम को हुई मुलाकात को याद कर रहे थे, जब मैं ऑफिस में बादलों को देख रहा था। मैं यह भी बताना चाहता हूं कि एक मौके पर तुमने कहा था कि आप बॉस हैं। इस पर मैंने कहा कहा था कि इससे तब तो और भी अच्छी बात है। लेकिन उसी दौरान मैंने कहा था कि इससे मेरे और तुम्हारे बीच के किसी रिश्ते का कोई लेना-देना नहीं है।
पीड़ित लड़की: उस रात बातें न तो फ्लर्ट से भरी थीं और न नशे में की गई थीं। आप सेक्स और इच्छाओं के बारे में बात कर रहे थे, क्योंकि आप मुझसे बात करते वक्त अक्सर वही सब्जेक्ट चुनते हैं। अफसोस कि आपने कभी मेरे काम के बारे में बात नहीं की। और अगर आपने उसे पढ़ने के लिए वक्त निकाला होता, तो आपकी हिम्मत नहीं होती मेरा यौन उत्पीड़न करने की कोशिश करने की। आपको इस बात का भी अंदाजा होता कि इस सब के बाद मैं चुप बैठने वाली नहीं हूं। उस रात हमने किसी 'तूफानी शाम के बादलों' की चर्चा भी नहीं की थी। मैं तो आपके साथ अपनी उस पहली स्टोरी के बारे में बात करना चाहती थी, जो एक रेप से बचने वाली लड़की के बारे में आपके साथ लिखी थी। ##### ने मुझे आपके ऑफिस में बुलाया। मैं अंदर गई, जहां बत्ती बंद करके काउच पर बैठे हुए थे। मैंने लाइट ऑन करने को कहा था तो आपने मना कर दिया था। आप काउच पर लेटे रहे। मैं आपके सामने चेयर पर बैठी रही और उस लड़की की कहानी आपको सुनाई। आपने भी उस प्रफेशल वजह को ही याद किया था, न कि तूफान और बादलों को।
सहमति या असहमति के बारे में
तरुण तेजपाल: जब यह सब कुछ हुआ, उस दौरान मूड मस्ती और खुशमिजाजी भरा था। मुझे एक पल के भी नहीं लगा कि तुम नाराज हो। मुझे तब तक नहीं लगा कि यह सब तुम्हारी सहमति से नहीं हुआ, जब तक अगली रात #### ने मुझे नहीं बताया। मैं शॉक में था और पूरी तरह से हिल गया था। ऐसा इसलिए, क्योंकि तुम्हें लगा था कि मैंने तुम्हारे साथ जबर्दस्ती की है (जो कि मेरा इरादा नहीं था)। मैं शॉक में था क्योंकि मैंने अपनी बेटी की करीबी दोस्त के साथ गैरजिम्मेदाराना और बेवकूफी भरा कुछ किया था। उस वक्त मैं बहुत शर्मिंदा हुआ और अब भी शर्मिंदा हूं। (जो बात सच नहीं है वह ये कि मैंने कभी धमकी का एक शब्द नहीं कहा।)'
पीड़ित लड़की: मेरी अहमति इससे जाहिर होती है: जैसे ही आपने मुझ पर हाथ रखा, मैंने आपको रुकने के लिए कहा था। मैंने हर उस शख्स और उसूल की दुहाई दी, जो हमारे लिए अहमियत रखते थे (आपकी बेटी, पत्नी, शोमा, मेरे पापा)। मैंने यह भी कहा कि आप मेरे एम्प्लॉयर हैं। लेकिन आप सुन नहीं रहे थे। आप रुके नहीं और मेरा उत्पीड़न करते रहे। अगली रात भी आपने ऐसा ही किया। तहलका की एडिट मीटिंग्स में हमने उन पुरुषों की बात की है जो दरिंदे बन जाते हैं। आपने भी अपनी स्टोरीज़ में इसका जिक्र किया है। क्या यही है उस सब की हकीकत, न को न नहीं समझना?
आपने सिर्फ मुझे #### को इस घटना के बारे में बताने पर न सिर्फ डांटा था, बल्कि अगली सुबह टेक्स्ट मेसेज भी भेजा था जिसमें लिखा था, 'मुझे यकीन नहीं हो रहा कि तुमने उसे इतनी मामूली बात बता दीं।' 'तरुण, मुझे भरोसा नहीं होता कि तुम अपनी बेटी की दोस्त और उसकी उम्र की एम्प्लॉयी का उत्पीड़न के बारे में सोच भी सकते हो। क्या यह मामूली बात थी?
घटना के बारे में माफीनामा
तरुण तेजपाल: तुमने साफ कर दिया है कि मुझे समझने में ही गलती हुई। मैं तुम्हें आ रहे गुस्से और तुम्हें पहुंची ठेस को समझा हूं और इसपर कोई बात नहीं करूंगा। यह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा पल है। जो कुछ हंसी-मजाक में हो रहा था, नहीं पता था कि उसका नतीजा इतना बुरा रहेगा। मुझे माफ कर दो और इसे भूल जाओ। मैं तुम्हारी मां से मिलूंगा और उनसे माफी मांगूंगाI तुम चाहोगी तो #### से भी माफी मांगने को तैयार हूं। मैं चाहता हूं कि तुम पहले की तरह ही तहलका के लिए काम करो और शोमा को रिपोर्ट करती रहो। तहलका और शोमा ने तुम्हें कभी निराश नहीं किया है। मेरी सजा मुझे मिल गई है और शायद मेरी जिंदगी के आखिरी दिन तक मुझे मिलती रहेगी।
पीड़ित लड़की: आपकी #### से माफी मांगने की इच्छा रखने से लग रहा है कि आप मुझे उसकी प्रॉपर्टी समझते हैं और खुद को उसके प्रति जवाबदेह मानते हैं। इससे तो आपकी उस पुरुषवादी सोच की बू आ रही है, जिसमें यह माना जाता है कि महिलाओं के शरीर पर पुरुषों का अधिकार है।
अगर आपको किसी से माफी मांगनी है, तो तहलका के उन कर्मचारियों से मांगिए, जिनके दिलों में आपने अपना सम्मान गिरा दिया है। प्लीज, आगे से मुझसे पर्सनल मेल करने की कोशिश मत करना। आपने यह अधिकार उसी वक्त खो दिया था, जब आपने मेरे विश्वास और शरीर पर हमला किया।

'द्रोहकाल का पथिक' ने हंगामा मचाया

पूर्व सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव ने एक सनसनीखेज बयान देकर सियासी हलकों में तूफान खड़ा कर दिया है। पप्पू यादव ने यह तमाम खुलासे अपनी किताब `द्रोहकाल का पथिक` किया है। पप्पू यादव ने अपनी इस किताब में दावा किया है कि वर्ष 2008 के विश्वास मत से पहले यूपीए और एनडीए ने उनसे संपर्क साधा था। दोनों पार्टियां (कांग्रेस और बीजेपी) ने सांसदों को 40-40 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी। पप्पू के दावे के मुताबिक जुलाई 2008 में विश्वास मत के दौरान भी कांग्रेस और बीजेपी ने सांसदों के समर्थन के लिए 40 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी।
पप्पू के मुताबिक वर्ष 2001 में एनडीए सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इंडियन फेडरल डेमोक्रेटिक पार्टी के तीन सांसदों को एनडीए का हिस्सा बनने के लिए पैसा दिया था।
पप्पू यादव के अनुसार सांसदों की कीमत को लेकर सौदेबाजी हुई थी। सांसद अनवारुल हक को एक एसेंट कार के साथ 1 करोड़ रुपये भी मिला। नागमणि को भी तत्काल 1 करोड़ रुपये दिए गए थे और बाद में राज्यमंत्री का पद देने का भरोसा दिलाया गया था। पप्पू के मुताबिक ये सौदेबाजी बीजेपी के यशवंत सिन्हा ने खुद की थी। हालांकि इस मसले पर यशवंत सिन्हा ने पप्पू यादव के इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और उन्होंने कहा कि इस मामले पर टिप्पणी की जरूरत नहीं है। 
-एजेंसी

मंगलवार, 26 नवंबर 2013

मथुरा से BJP के उम्‍मीदवार होंगे सनी देओल!

मथुरा। 
(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
2014 के चुनावी महासमर के लिए महाभारत नायक योगीराज श्रीकृष्‍ण की नगरी से भारतीय जनता पार्टी क्‍या कोई 'अमोघ अस्‍त्र' इस्‍तेमाल करने जा रही है ?
क्‍या भाजपा इस धर्म नगरी से फिल्‍म अभिनेता 'सनी देओल' को चुनाव मैदान में उतार रही है ?

भारतीय जनता पार्टी के ही उच्‍च पदस्‍थ सूत्रों का तो यही कहना है क्‍योंकि पार्टी अब कृष्‍ण की नगरी पर कोई कमजोर दांव खेलने के लिए तैयार नहीं है।
भाजपा हाईकमान के इस फैसले की सुगबुगाहट ने मथुरा के भाजपाइयों को सकते में ला दिया है, विशेष तौर पर उन्‍हें जो इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी पुख्‍ता दावेदारी जताते रहे हैं।
आखिर भाजपा हाईकमान ऐसा निर्णय क्‍यों ले रहा है और क्‍यों स्‍थानीय दावेदारों पर उसे भरोसा नहीं है, यह जानने के लिए मथुरा के पिछले और वर्तमान राजनीतिक हालातों को जानना जरूरी हो जाता है।
सर्वविदित है कि विश्‍व विख्‍यात धार्मिक नगरी मथुरा एक जाट बाहुल्‍य संसदीय क्षेत्र है लिहाजा यहां जाट मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

नायकी के नकाब में खलनायक

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष) 
अपने चरित्र से इतनी बेईमानी तो फिल्‍मी पर्दे के खलनायक भी नहीं करते जितनी तरुण तेजपाल ने 'पत्रकारिता' के 'असल किरदार' में कर डाली। तरुण तेजपाल की करतूत जनसामान्‍य से कहीं बहुत अधिक घिनौनी इसलिए है क्‍योंकि उन्‍होंने न सिर्फ एक सम्‍मानित पेशे को बदनाम किया है बल्‍कि उन मानदंडों को भी प्रभावित किया है जिनके चलते तमाम युवक-युवतियां उन्‍हें अपना आदर्श मानकर पत्रकारिता का पेशा अपनाने में खुद को गौरवान्‍वित महसूस करते थे।
तरुण तेजपाल ने हालांकि समूची पेशेवर चालाकी का इस्‍तेमाल करते हुए अपना अपराध इस आशय से स्‍वीकार किया था कि अपनी नायक वाली छवि को बचा ले जायेंगे लेकिन वह उसमें सफल नहीं हुए। उल्‍टे हुआ ये कि उनके मित्र और प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्‍तर को भी उनके बचाव में कल लिखा अपना ट्वीट आज डिलीट करना पड़ा। जावेद अख्‍तर को यूं भी आजकल हर मुद्दे पर ट्वीट करने की बहुत जल्‍दी रहती है। ऐसा लगता है जैसे वह फ्लाइट पकड़ने को बैठे हों और इसलिए बिना सोचे-समझे कुछ भी लिख मारते हों ताकि टि्वटर पर गैर हाजिरी न लग जाए। उनके जैसे तथाकथित बड़े लोगों की दुनिया में ट्वीट करना शायद सर्वाधिक जरूरी मान लिया गया है।
बहरहाल, तरुण तेजपाल के उस दुस्‍साहस की तारीफ अवश्‍य करनी पड़ेगी जिसके तहत उन्‍होंने इतनी घिनौनी हरकत करने के बावजूद अपने लिए सजा भी खुद मुकर्रर कर डाली। मुज़रिम की मुंसिफी का इससे निकृष्‍ट उदाहरण हाल-फिलहाल शायद ही कोई दूसरा सामने आया हो।
सच तो यह है कि जिस तरह का घटनाक्रम तरुण तेजपाल की आपराधिक स्‍वीकारोक्‍ति के बाद सामने आया है और जिस तरह तहलका की प्रबंधक संपादक उनके कुकृत्‍य को हलका करने में लगी हैं, उससे साफ जाहिर है कि तरुण तेजपाल अकेले नहीं हैं। तहलका की टीम में और भी लोग हैं जो उनकी जैसी मानसिकता रखते हैं और एक-दूसरे के पूरक हैं। हो सकता है यह लोग पूर्व में किए गये अपने कुकृत्‍यों पर पर्दा डालने के लिए परस्‍पर सहयोग करते रहे हों। निश्‍चित ही तरुण तेजपाल का यह पहला कारनामा नहीं होगा। उनका दुस्‍साहस बताता है कि वह इससे पहले भी कई बार ऐसी घिनौनी हरकत कर चुके होंगे।
कड़वा सच यह भी है कि मीडिया का एक बड़ा वर्ग ऐसे तमाम सफेदपोश सुनामधन्‍य तरुण तेजपालों से भरा पड़ा है। यह बात अलग है कि उनके कारनामे अभी सार्वजनिक नहीं हो पा रहे।
मीडिया से मीडिएटर तक का सफर इतना छोटा है कि उसे कब कौन पूरा कर ले, कहना मुश्‍किल है।
और एक बार जब मीडिया से मीडिएटर के बीच की बारीक सी रेखा को कोई पार कर जाता है तो उसके चारित्रिक पतन की कोई सीमा निर्धारित करना असंभव है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि राजनीति के बाद यदि कोई दूसरा ऐसा पेशा है जिसमें बहुत तेजी के साथ हर किस्‍म की गिरावट आई है तो वह पत्रकारिता ही है। जनता के बीच अपनी साख खोने में राजनीतिज्ञों को फिर भी कुछ वक्‍त लगा लेकिन पत्रकारिता में तरुण तेजपालों की अच्‍छी-खासी तादाद के रहते पत्रकारों की साख बर्बाद होने में उतना भी वक्‍त नहीं लगेगा।
बेहतर होगा कि समय रहते इस बात को खुद पत्रकार समझ लें अन्‍यथा नेताओं की तरह उन्‍हें किसी व्‍यवस्‍था से सुरक्षा नहीं मिलने वाली। और तब क्‍या होगा, इसका अहसास ही रूह कंपा देने को काफी है।

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

यौन हमले में गोवा के CM ने तरुण तेजपाल पर कसा शिकंजा

नई दिल्‍ली। 
अपनी खोजी पत्रकारिता से देश में धूम मचाने वाले तरुण तेजपाल खुद मुश्किलो में घिर गए हैं। "तहलका" मैग्जीन के मुख्य संपादक तरुण तेजपाल पर अपनी बेटी की दोस्त के ऊपर यौन हमले का आरोप लगा है। गोवा के सीएम मनोहर पार्रिकर ने कहा है कि इस मामले में जांच शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा कि अगर घटना गोवा की है तो इसकी एफआईआर भी गोवा में ही दर्ज होनी चाहिए। इसके अलावा गोवा पुलिस ने उस फाइव स्टार होटल से सीसीटीवी फुटेज मांगे हैं, जहां यह घटना घटी।
गौरतलब है कि गोवा में हुए तहलका मैगजीन के एक इवेंट के दौरान यह घटना घटी है।
इस आरोप के बाद उन्होंने छह महीने के लिए मैग्जीन से इस्तीफा प्रबंध संपादक को भेज दिया है। तेजपाल पर यौन हमले का आरोप लगाने वाली महिला मैग्जीन के लिए काम करती है और उनकी बेटी की दोस्त भी है। वहीं, पीड़िता के करीबी दोस्त ने तहलका के उसे दावे को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि वह मैग्जीन की ओर से उठाए कदम से संतुष्ट है। पीड़िता की महिला मित्र ने आरोप लगाया की उस पर यौन हमला किया गया था और वह पूरी तरह टूट चुकी है व भावनात्मक रूप से डरी हुई है।
मित्र ने बताया कि यह घटना कुछ दिनों तक लगातार चलती रही और पीड़िता उनसे हर बार यही कहती थी कि वह लगभग उनकी बेटी की उम्र की है। पीड़िता की "नहीं" को नजरअंदाज किया गया।

रविवार, 17 नवंबर 2013

भारत रत्‍न 'सचिन'..... या भारत रत्‍न 'कांग्रेस'

क्रिकेट के 'भगवान' की कसम, मुझे जितनी खुशी सचिन तेंदुलकर को 'भारत रत्‍न' देने से नहीं हुई उससे कहीं अधिक खुशी इस बात से हुई कि किसी खिलाड़ी को 'पहला' भारत रत्‍न कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली सरकार ने दिया। कुछ और देर कर दी होती तो पता नहीं यह श्रेय मिल पाता या नहीं। लोकसभा चुनाव नजदीक हैं।
अब कोई किसी खिलाड़ी को भारत रत्‍न देता रहे लेकिन कांग्रेस के नाम बने इस रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पायेगा।
इससे पहले कांग्रेस ने सचिन तेंदुलकर के रूप में किसी खिलाड़ी को राज्‍यसभा का सदस्‍य बनवाने की पहल की थी। यह भी एक रिकॉर्ड है।
पहल करने और रिकॉर्ड बनाने में कांग्रेस का यूं भी कोई जवाब नहीं। इस मामले में कांग्रेस के सामने सचिन कहीं नहीं टिकते।
देश को पहली बार कांग्रेस ने स्‍वतंत्रता दिलवाई। दूसरी बार कौन दिलवायेगा, नहीं मालूम।
कांग्रेस ने देश को पहला प्रधानमंत्री, पहला राष्‍ट्रपति और यहां तक कि पहली सरकार दी।
कांग्रेस ने पहली बार किसी सरदार को प्रधानमंत्री बनवाया। कांग्रेस ने ही पहली बार किसी सरदार को राष्‍ट्रपति बनवाया और पहली बार किसी सरदार को योजना आयोग का उपाध्‍यक्ष बनाया।
कांग्रेस ने पहली बार देश को महिला प्रधानंत्री देने का गौरव उपलब्‍ध कराया और पहली बार 'आपातकाल' से परिचित कराया।
पहल करने के मामले में कांग्रेस के नाम अनगिनित रिकॉर्ड हैं।
पहली बार उसने किसी ऐसे व्‍यक्‍ति को प्रधानमंत्री के पद पर काबिज किया जो कभी कहीं से अब तक लोकसभा का कोई चुनाव नहीं लड़ा।
पहली बार कांग्रेस के किसी युवराज ने देश के प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से 'नॉनसेंस' कहकर गौरवान्‍वित किया और पहली बार ही कांग्रेस ने रिमोट के जरिए केंद्र की सरकार संचालित करने का प्रयोग किया जो सफल रहा।
कांग्रेसी शासनकाल के अभी करीब साढ़े  5 महीने बाकी हैं, इसलिए काफी संभावना है कि वह पहल करने के और कई रिकॉर्ड बना डाले। मसलन वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा नेता अटलबिहारी वाजपेयी को इसलिए भारत रत्‍न दे सकती है क्‍योंकि भाजपा ने ऐलान कर दिया है कि कांग्रेस द्वारा उन्‍हें भारत रत्‍न न दिए जाने की सूरत में वह केंद्र में अपनी अगली सरकार बनने पर उन्‍हें भारत रत्‍न दे डालेगी।
यहां सवाल किसी प्रधानमंत्री को भारत रत्‍न देने का नहीं, पहल करने के उस रिकॉर्ड का है जिसे कांग्रेस किसी दूसरे के नाम नहीं होने देना चाहती।
वह नहीं चाहती कि विपक्षी पार्टी के किसी नेता (चाहे वह प्रधानमंत्री ही क्‍यों न रहा हो) को भारत रत्‍न देने की पहल करने का श्रेय कोई दूसरा लूट ले जाए।
कांग्रेस यह भी नहीं चाहती कि पहल करने के उसके रिकॉर्ड को कोई दूसरा बीट करे लिहाजा उसने अपराधियों को राजनीति में संरक्षण देने वाला कानून लाने की पहल की। अब चाहे कोई ऐसा कानून ही क्‍यों न बना ले पर कानून बनाने की पहल करने का रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम ही रहेगा।
कांग्रेस के नाम पहल करने की फेहरिस्‍त में एक और रिकॉर्ड इस आशय का है कि एक ईमानदार कहलाने वाले प्रधानमंत्री सर्वाधिक भ्रष्‍ट सरकार को सफलतापूर्वक दस सालों तक चलाते रहे तथा कोयले की खान में घुसकर भी बेदाग निकल पाये।
अगर कोई यह कहे कि उन्‍होंने यह कारनामा सीबीआई के बल पर किया है तो इसके लिए भी वह तारीफ के हकदार हैं क्‍योंकि सीबीआई को सरकारी तोते का सर्वोच्‍च न्‍यायालय से खिताब दिलवाने की पहल उन्‍होंने ही की है। इससे पहले लोग चाहे जो समझते रहे हों, पर सरकारी ठप्‍पा कोई नहीं लगवा पाया।
बहरहाल, अगर हम कांग्रेस की पहल से बने सभी रिकॉर्ड्स की बात करें तो 25 सचिन तेंदुलकर मिलकर भी उन्‍हें नहीं तोड़ पायेंगे इसलिए मुझे सचिन तेंदुलकर को मिले भारत रत्‍न से कई गुना अधिक प्रसन्‍नता इस बात की हुई कि तमाम रिकॉर्ड्स की उपलब्‍धियों के बीच कांग्रेस ने किसी खिलाड़ी को भारत रत्‍न देने की पहल कर रिकॉर्ड बखूबी अपने नाम कर लिया और इस तरह एक कांग्रेसी राज्‍यसभा सदस्‍य को मिले भारत रत्‍न से भी खुद को विभूषित करने में सफल रही। जय हिंद!  जय भारत!
-यायावर

सचिन का सम्मान या ध्यानचंद का अपमान

इंदौर। 
अगर ध्यानचंद को भारत रत्न देना ही नहीं था तो फिर इसका भरोसा क्यों दिया गया। क्यों पिछले छह महीनों से प्रधानमंत्री कार्यालय इस बात का भरोसा दिला रहा था कि जल्द ही दद्दा ध्यानचंद को भारत रत्न से सम्मानित कर दिया जाएगा। अचानक से सचिन तेंदुलकर का नाम आया और उन्हें सम्मानित करने की घोषणा भी कर दी गई। आखिर लोकतंत्र में व्यवस्थाओं के भी कुछ मायने होने चाहिए या नहीं। जब दद्दा को सम्मान दिए जाने की फाइल पहले से चल रही है तो फिर उनसे पहले किसी और को सम्मान देने के मायने क्या हैं, यह अपमान नहीं तो क्या है?
यह दर्द और गुस्सा है दद्दा ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद का। पेशेवर हॉकी खिलाड़ी रहे अशोक कहते हैं कि सचिन को सम्मान देना था तो सरकार दे, उससे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उससे पहले से दद्दा का नाम चल रहा था और पीएमओ ने इसके लिए भरोसा भी दिलाया था तो फिर उन्हें क्यों नहीं दिया गया।
उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति उठाई कि जब दद्दा का नाम पहले से था तो उनका हक पहले था न कि सचिन का। अगर दद्दा ध्यानचंद को भारत रत्न नहीं देना था तो फिर सरकार ने इतनी नौटंकी की क्यों। पीएमओ साफ हमें नो बोल देता तो कम से कम हमें तसल्ली हो जाती। हम मान लेते कि दद्दा के खेल और देश के सम्मान को बढ़ाने में कोई कमी बाकी रह गई होगी।
उन्होंने कहा कि हम सरकारी प्रक्रिया के सहारे छह महीनों से बैठे हुए हैं। आज मान लिया कि सम्मान सरकारी और ओहदेदारों से ताल्लुकातों से ही मिलते हैं। हमने ओहदेदारों से ताल्लुकात नहीं बनाए, दद्दा ने भी नहीं बनाए, इसीलिए आज किनारे किए गए हैं।
उन्होंने तंज कसा कि दद्दा कभी फाइव स्टार के प्रतिनिधि नहीं रहे। वह गरीब खिलाड़ियों के प्रतिनिधि के तौर पर जिंदगी भर रहे और जिंदगी के बाद भी गरीब खिलाड़ियों के लिए एक मिशाल हैं। ऎसे में मीडिया का एक तबका फाइव स्टार के प्रतिनिधियों को ही जगह देता है। ऎसे में दद्दा हिंदुस्तान की आवाज बनकर ही पीछे ही रह गए।
-एजेंसी

शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

सेना के महत्वपूर्ण दस्तावेजों सहित 5 दिन से मेजर लापता

लखनऊ 
सेना के महत्वपूर्ण दस्तावेज लेकर बरेली से लखनऊ जा रहे एक मेजर काठगोदाम एक्सप्रेस से लापता हो गए। काफी तलाशने पर उसका कोई सुराग नहीं लगा है। घटना के बाद से खलबली मची है। मेजर को तलाशने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। खुफिया एजेंसियां भी हाई अलर्ट पर हैं। संबंधित स्टेशन की जीआरपी और आरपीएफ से भी मदद मांगी गई है।
 मामला सेना से जुड़ा होने के कारण उसे बेहद गोपनीय रखा गया है। 17 राजस्थान रायफल में तैनात मेजर आनंद टंडन 10 नवंबर को काठगोदाम से काठगोदाम-हावड़ा एक्सप्रेस से लखनऊ रवाना हुए थे। उनके पास सेना से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज भी थे। उन्हें 11 नवंबर को लखनऊ पहुंचना था, लेकिन वह निर्धारित समय पर नहीं पहुंचे। मेजर के लखनऊ न पहुंचने पर सेना के आला अफसरों ने उनके मोबाइल फोन पर संपर्क साधा। उनका मोबाइल भी बंद है। सेना पूरी शिद्दत से मेजर को तलाशने में जुटी है।
बरेली जंक्शन पर भी आरपीएफ व जीआरपी को संदेश भेजा गया है। आरपीएफ थाना प्रभारी एसएस गब्र्याल के अनुसार, काठगोदाम-हावड़ा एक्सप्रेस से आनंद टंडन नाम मेजर के लापता होने का मैसेज मिला है। वहीं जंक्शन के अंतर्गत आने वाले सभी आरपीएफ थानों को सूचित कर दिया गया है। फिलहाल मेजर का फोटो और निवास का पता सार्वजनिक नहीं किया गया है।
-एजेंसी

भारत में साइबर अटैक का बड़ा खतरा

नई दिल्ली। 
देश के कई बैंक और कंपनियों को साइबर अटैक के एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि इन जगहों पर अभी भी विंडोज एक्स पी ऑपरेटिंग सिस्टम में काम हो रहा है। जबकि माइक्रोसॉफ्ट जल्द ही इस ऑपरेटिंग सिस्टम को किसी तरह का सपोर्ट नहीं देगा। माइक्रोसॉफ्ट का मानना है कि अप्रैल 2014 के बाद विंडोज एक्स पी इस्तेमाल करने से खतरा 6 गुना बढ़ जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक एक भी वायरस अटैक के चलते बैंक को 1 दिन में 1100 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। फिलहाल भारत में 34,000 बैंक ब्रांच विंडोज एक्स पी पर काम कर रहे हैं। देश का सबसे बड़े बैंक एसबीआई भी अब इस खतरे से निपटने की तैयारी कर रहा है।
भारत साइबर क्राइम से प्रभावित होने वाले 5 बड़े देशों में शामिल है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले साल 4 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह साइबर क्राइम से प्रभावित हुए हैं। आने वाले समय में ये खतरा और बढ़ सकता है।
जानकारों के मुताबिक कंपनियों को साइबर रिस्क से बचने के लिए न सिर्फ साइबर सिक्योरिटी पर खर्च बढ़ाना चाहिए बल्कि कंपनी पर आने वाली किसी दिक्कत के लिए इंश्योरेंस भी लेना चाहिए। एचडीएफसी एर्गो और टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां साइबर रिस्क के लिए इंश्योरेंस करती हैं।
-एजेंसी

बुधवार, 13 नवंबर 2013

ऐसा व्‍यक्‍ति CBI जैसी संस्‍था का चीफ कैसे हो सकता है

सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के क्रिकेट में सट्टेबाज़ी को क़ानूनी बनाने के मामले में बलात्कार का हवाला देने से विवाद खड़ा हो गया है. विभिन्न नारीवादी संगठनों और बुद्धजीवियों ने उनकी इस टिप्पणी की निंदा की है. द्रविड़ मंगलवार को दिल्ली में सीबीआई और राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा आयोजित 'इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इवॉल्विंग कॉंमन स्ट्रैटजीज़ टु कॉम्बैट करप्शन एंड क्राइम' में बोल रहे थे.
इसी मौक़े पर सिन्हा ने कहा, "क्रिकेट में सट्टेबाज़ी को क़ानूनी बनाने से कोई नुक़सान नहीं होगा क्योंकि ऐसा प्रतिबंध लगाने से कोई फ़ायदा नहीं जिसे लागू न किया जा सके."
सट्टेबाज़ी
सिन्हा ने कहा, "अगर आप सट्टेबाज़ी पर प्रतिबंध लागू नहीं कर सकते… तो कुछ वैसा ही कहना हो गया कि अगर आप बलात्कार को रोक नहीं सकते तो उसका मज़ा लीजिए."
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सीबीआई के प्रवक्ता ने रंजीत सिन्हा के बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, "सिन्हा का बयान सट्टेबाज़ी के संदर्भ में दिया गया था, वो क्रिकेट में सट्टेबाज़ी को क़ानूनी बनाने के मसले पर बोल रहे थे."
सिन्हा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमन्स एसोसिएशन (एआईपीडब्ल्यूए) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा, "संदर्भ साफ़ नहीं है यह सवाल ही नहीं उठना चाहिए. सीबीआई चीफ़ सट्टेबाज़ी को रोक नहीं सकते तो उसे क़ानूनी बना देने की बात कर रहे थे. सीबीआई चीफ़ को बलात्कार और मज़ा के बीच फ़र्क़ नहीं पता है, वो सीबीआई जैसी महत्वपूर्ण संस्था का प्रमुख कैसे हो सकता है. सीबीआई निदेशक को अपने इस बयान के लिए तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए."
राष्ट्रीय महिला आयोग की निदेशक ममता शर्मा के कार्यालय के अनुसार सीबीआई निदेशक का बयान का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग उन्हें नोटिस भेजेगा.
-एजेंसी

मंगलवार, 12 नवंबर 2013

कश्मीर मसले का हल बंदूक से ही संभव

श्रीनगर 
सुरक्षा एवं विदेश मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज से मुलाकात के एक दिन बाद जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी ने आज कश्मीर मसले को लेकर एक बार फिर जहर उगला। जम्मू एवं कश्मीर पर अपने रुख को दोहराते हुए गिलानी ने कहा, ‘जम्मू एवं कश्मीर का स्थायी समाधान बंदूक से हो सकता है।’
रिपोर्टों के मुताबिक गिलानी ने एक स्थानीय समाचार चैनल से कहा, ‘ब्रिटीश शासन के खिलाफ जब भारत संघर्ष कर रहा था तो एक तरफ महात्मा गांधी का शांति का आंदोलन चल रहा था तो दूसरी ओर भगत सिंह थे जिन्होंने आजादी के लिए हिंसा के रास्ते को अपनाया। भारत आज भगत सिंह को शहीद के रूप में याद करता है।’
अलगाववादी नेता इसके पहले कह चुके हैं कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर समस्या का हल निकालने के लिए बंदूक स्थायी समाधान हो सकता है।
गौरतलब है कि गिलानी और जेकेएलएफ के अन्य नेताओं ने रविवार को नई दिल्ली में अजीज से मुलाकात की। इन नेताओं ने अजीज से भारत-पाक संबंध, एलओसी पर स्थिति सहित जम्मू एवं कश्मीर के ताजा राजनीतिक हालात पर चर्चा की।
इस बैठक को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई। मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बैठक को लेकर सरकार से सवाल किए।
-एजेंसी

तालिबान नेता से चिदंबरम की बातचीत पर मचा बवाल

नई दिल्‍ली 
अफगान तालिबान के नेता मुल्ला अब्दुल सलाम जईफ की वित्‍तमंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात पर विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज को जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों से मिलने देने और जईफ से वित्तमंत्री की मुलाकात की कड़ी आलोचना की। चिदंबरम के साथ रविववार को गोवा के एक कार्यक्रम में जईफ उनके साथ दिखे थे। तालिबान नेता के साथ चिदंबरम की मुलाकात सोशल मीडिया पर भी चर्चा में है। सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर किस नीति के तहत जईफ को वीजा दिया गया। कहीं जईफ से चिदंबरम की बातचीत 2014 में अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सेना की वापसी से जुड़ी तो नहीं है।
माना जा रहा है कि अमेरिकी सैन्‍य वापसी के बाद तालिबान अफगानिस्‍तान की सत्‍ता के केंद्र में होगा। अफगान तालिबान का सरगना मुल्‍ला उमर इस संबंध में अफगान सरकार से सीधे संपर्क में है। पाकिस्‍तानी मीडिया में अफगान तालिबान के नंबर दो नेता मुल्‍ला अब्‍दुल गनी बारादर को तुर्की या सऊदी अरब भेजे जाने की चर्चा की है। बारादर को पाकिस्‍तान ने उस वक्‍त गिरफ्तार किया था, जब वह अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति हामिद करजई के साथ शांति वार्ता कर रहा था। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका के दबाव में पाकिस्‍तान बारादर को तुर्की या सऊदी अरब भेजने पर विचार कर रहा है।
अफगानिस्‍तान में तालिबान के शासन के दौरान जईफ पाकिस्‍तान में राजदूत रहे थे। जईफ को अफगान तालिबान के सरगना मुल्‍ला उमर का बेहद करीबी माना जाता है। अफगानिस्‍तान पर अमेरिकी हमले के बाद 2005 तक अमेरिका ने जईफ को गुआंतनामो बे जेल में रखा था। जईफ ने जेल में अमेरिका की ओर से दी गई यातनाओं पर एक किताब भी लिखी। शांति वार्ता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र ने पहल की थी, जिसके तहत जईफ का नाम आतंकवादियों की लिस्ट से हटा लिया गया था।

रविवार, 10 नवंबर 2013

दंगा पीड़ितों पर दबाव: मुआवजा लो लेकिन घर मत जाओ

लखनऊ 
मुजफ्फरनगर के दर्जनों दंगा पीड़ितों ने कल लखनऊ में विरोध मार्च निकाला। उनका कहना था कि उन पर 5 लाख मुआवजे के बदले अपनी जमीन-जायदाद को छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है, और अपने गांव वापस लौटने से मना किया जा रहा है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि पीड़ितों को आर्थिक मदद इसीलिए दी जा रही है ताकि वह कहीं भी बस सकें।
दंगा पीड़ित सलीम अहमद ने बताया कि 'जिला प्रशासन हम पर एक हलफनामा साइन करने के लिए दबाव बना रहा है, जिसमें लिखा हुआ है कि आर्थिक मदद पाने के बाद हमें राहत कैंपों को तो छोड़ना होगा मगर हम अपने गांव वापस नहीं लौट सकते।' सलीम अहमद 50 अन्य लोगों के साथ अपनी मांगों को सरकार के सामने रखने लखनऊ आए थे।
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर दंगे उत्तर प्रदेश के इतिहास के सबसे भयावह दंगों में से एक थे। इन दंगों में 65 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 60,000 लोग बेघर हो गए थे। दंगों से प्रभावित हजारों लोग कैंपों में बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं। कई लोग सरकार की मदद से असंतुष्ट हैं और उन्हें 5 लाख रुपयों की सहायता कम लग रही है। अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ एक राहत कैंप में रह रहे एक दंगा पीड़ित ने बताया, 'मेरी बीवी के साथ गैंगरेप किया गया और हमारा घर जला दिया गया। मुआवजे के अलावा सरकार को हमें घर और नौकरी भी देनी चाहिए।'
एक और दंगा पीड़ित का कहना था कि उसकी पत्नी के साथ रेप करने वालों ने केस वापस लेने के लिए धमकाया था। पीड़ित महिला ने कहा कि 'हमने दंगों में अपना सब कुछ गंवा दिया। हमें पांच लोगों के परिवार का पालन-पोषण करना है, जिनमें दो बच्चे भी हैं।' एक अन्‍य दंगा पी़ड़ित ने कहा कि घर खो देने के अलावा उसके दो बच्चे भी दंगों के दौरान अपंग हो गए, जिसे कि पैसों से सही नहीं किया जा सकता। कुछ दंगा पीड़ितों ने बताया कि उनके घर वाले अब तक गायब हैं।
वकील असद हयात, जिन्होंने दंगों की सीबीआई जांच के लिए जनहित याचिका दायर की है, ने कहा कि सरकार ने सिर्फ 9 गांवों के परिवारों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है जबकि 162 गांवों के परिवार कैंपों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'कुछ लोगों को अचल संपत्ति के नुकसान के लिए मुआवजे मिल रहे हैं मगर पीड़ितों के चुनाव और उनको मुआवजा देने के लिए कोई ढंग का नियम नहीं है। न सिर्फ यह रकम कम है, बल्कि अभी भी बहुत सारे पीड़ितों की पहचान होनी बाकी है।'
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम, राजीव यादव के साथ सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय के नेतृत्व में इन दंगा पीड़ितों की जनसुनवाई के लिए जयशंकर प्रसाद सभागार में शनिवार को कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति भी ले ली गई थी लेकिन कार्यक्रम शुरू होता इससे पहले उन्हें बताया गया कि प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति निरस्त कर दी और इसके बदले उन्हें एक विरोध मार्च निकालने की अनुमति दी थी।
-एजेंसी

हद कर दी आपने: पद्म पुरस्‍कारों के लिए भी सिफारिशें

नई दिल्ली 
इस देश में भाई-भतीजावाद किस कदर हावी है और किस तरह लोग अपनी प्रतिष्‍ठा व मान-मर्यादा का भी ख्‍याल रखे बिना अपनों के लिए सिफारिशें करते हैं, इसका ताजा उदाहरण है इस वर्ष पद्म पुरस्कारों के लिए की गई सिफारिशों की सूची। गृह मंत्रालय की ओर से एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सार्वजनिक की गई 1300 नामों की सिफारिशें करने वाली सूची के अनुसार कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, केन्‍द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला, सांसद टी. सुब्बरामी रेड्डी, शास्त्रीय गायक पंडित जसराज आदि ने इस पुरस्कार के लिए कई-कई नामों की सिफारिशें की थीं।
भारत रत्न से सम्मानित पार्श्व गायिका लता मंगेशकर ने पद्म पुरस्कारों के लिए जिन नामों की सिफारिश की थी उनमें उनकी बहन ऊषा मंगेशकर, पार्श्व गायक सुरेश वाडेकर और सामाजिक कार्यकर्ता राजमल पारख का नाम था। पद्म विभूषण से सम्मानित सरोद वादक उस्ताद अमजद अली ने छह नामों की सिफारिश की थी जिनमें उनके बेटों अमान और अयान के साथ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक कौशिकी चक्रवर्ती, तबला वादक विजय घाटे, कला प्रोत्साहक सूर्य कृष्णमूर्ति उर्फ नटराज कृष्णमूर्ति और सितार वादक निलाद्री कुमार के नाम सम्मलित थे। पूर्व सपा नेता अमर सिंह ने लोकसभा सदस्य जयाप्रदा को यह पुरस्कार देने की सिफारिश की थी।
हालांकि, इस साल घोषित पद्म पुरस्कारों की सूची में ऊषा मंगेशकर, अमान या अयान जगह नहीं बना पाए। विख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने पद्म पुरस्कारों के लिए नौ नाम, राजीव शुक्ला ने पांच, मोतीलाल वोरा ने आठ, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने रंगमंच से जुडे दो लोगों, विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने दो और कांग्रेस सांसद विजय दरडा ने तीन नामों की सिफारिश की थी।
-एजेंसी

शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

26 लाख का ट्रक भारतीय सेना के लिए एक करोड़ में खरीदा

नई दिल्ली 
पूर्व आर्मी चीफ जनरल वी. के. सिंह ने हथियारों की खरीद-फरोख्त को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सिंह ने कहा कि देश में हथियार लॉबी काफी ताकतवर हो गई है। उन्होंने कहा कि हथियार लॉबी देश में सिस्टम का एक हिस्सा बन चुकी है। टाट्रा ट्रक करार मुद्दे पर सिंह ने कहा कि यह बड़ी हैरत की बात है कि जो ट्रक चेक गणराज्य में 26 लाख रुपए में उपलब्ध था, उसे भारत में 1 करोड़ में बेचा गया।
सिंह ने एक इंग्लिश न्यूज़ चैनल से कहा कि उन्होंने टाट्रा ट्रकों की खरीद को मंजूरी देने के एवज में 14 करोड़ रुपए की घूस की पेशकश के बारे में रक्षा मंत्री से चर्चा की थी।
अपनी आत्मकथा 'करेज ऐंड कनविक्शन' का हवाला देते हुए सिंह ने कहा, 'हथियार लॉबी अब काफी ताकतवर है। जहां तक हथियार डीलरों की बात है, वे सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं।' अपनी किताब में सिंह ने लिखा है कि उन्होंने घूस की पेशकश के बारे में रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी को बताया था और उनसे सावधान रहने को कहा था।
चैनल द्वारा यह सवाल किए जाने पर कि क्या जम्मू-कश्मीर के नेताओं को आर्मी द्वारा धन देने के अपने बयान पर वह अब भी कायम हैं, इस पर सिंह ने कहा कि वह पहले ही इस मुद्दे पर सफाई दे चुके हैं।
सिंह ने कहा, 'मैंने कभी नहीं कहा कि आर्मी नेताओं को पैसे देती है। मैंने सिर्फ इतना कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिरता की प्रक्रिया में कुछ पैसे खर्च किए जाते हैं।'
-एजेंसी

गुरुवार, 7 नवंबर 2013

भारत में 103 अरबपति, वैश्विक सूची में छठे स्थान पर

लंदन 
भारत में फ्रांस, सउदी अरब, स्विट्जरलैंड और हांगकांग से अधिक अरबपति हैं. अति धनाढ्य लोगों की संख्या की दृष्टि से देश विश्व में छठे नंबर पर है. देश में अकेले मुंबई में 30 अरबपति हैं जो देश की वित्तीय राजधानी कहा जाता है. मुंबई ‘अरबपतियों के शहर’ की सूची में वैश्विक में पहले पांच शहरों में है. इस सूची में न्यूयार्क शीर्ष स्थान पर है जहां 96 अरबपति हैं.
शीर्ष पांच शहरों में शामिल हांगकांग, मास्को और लंदन में क्रमश: 75, 74 और 67 अरबपति रहते हैं. भारत में जुलाई 2012 से जून 2013 के बीच अरबपतियों की संख्या घटी है लेकिन 103 अरबपतियों के साथ शीर्ष देशों की सूची में छठे स्थान पर है. इस सूची में सबसे ऊपर अमेरिका हैं जहां 515 अरबपति रहते हैं और यह तादाद चीन के 157 अरबपतियों के मुकाबले तिगुनी है.
जर्मनी, अमेरिका और रुस पांच शीर्ष देशों में शामिल हैं जहां क्रमश: 148, 135 और 108 अरबपति हैं. वेल्थ-एक्स और यूबीएस अरबपति जनगणना रपट 2013 के मुताबिक भारत के अरबपतियों की तादाद 5.5 प्रतिशत घटकर 103 रह गई और अरबपतियों की कुल संपत्ति 10 अरब डालर घटकर 180 अरब डालर रह गई.
-एजेंसी

माया पर किस कदर मेहरबान है मनमोहन सरकार, पढ़िए..और सोचिए...

नई दिल्‍ली 
बसपा प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती को दिल्‍ली में लोकसभा के मेन चेम्‍बर से छह गुना बड़ा बंगला आवंटित किया गया है। यूपी की सत्‍ता से हटने के बाद राज्‍यसभा की सदस्‍य बनने वाली मायावती के लिए दिल्‍ली के पॉश इलाके लुटियन जोन में आवंटित तीन बंगलों को 'सुपरबंगले' की शक्‍ल दी जा रही है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने इस 'सुपरबंगले' को हरी झंडी भी दे दी है।
दरअसल, राजधानी में गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर 12, 14 और 16 नंबर के बंगले मायावती को आवंटित किए गए थे। अब इन तीनों को मिलाकर एक 'सुपरबंगला' बनाया जा रहा है। हालांकि, बसपा सुप्रीमो के नाम पर 4, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड का बंगला भी आवंटित है और यह बंगला इन तीनों बंगलों से अलग है। बंगलों के लिए नगर निगम द्वारा आवंटित 14 और 16 नंबरों को खत्‍म कर दिया गया है। अब इस सुपरबंगले का पता होगा- 12, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड।
मायावती के लिए चार-चार बंगले आवंटित करने के बावजूद शहरी विकास मंत्रालय इस विवाद से बचने की कोशिश में है कि नियमों के मुताबिक एक शख्‍स के नाम चार-चार बंगले नहीं आवंटित किए जा सकते हैं क्‍योंकि मायावती के लिए आवंटित चार बंगलों में एक उनके नाम है जबकि तीन अन्‍य को मिलकर एक सिंगल यूनिट के तौर पर बहुजन प्रेरणा ट्रस्‍ट के नाम आवंटित कर दिया गया है।
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल द्वारा सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में मिले दस्‍तावेज में यह खुलासा हुआ है। जानकारी के जवाब में शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि यह 'सुपरबंगला' बहुजन प्रेरणा ट्रस्‍ट को आवंटित किया गया है जो मायावती का है।
मायावती के लिए आवंटित किए गए ये तीन बंगले टाईप 8 हैं। ऐसे बंगले मंत्रियों और सचिवों को आवंटित किए जाते हैं। ऐसा बंगला 8250 वर्ग फीट के दायरे में फैला होता है जिसमें 1970 वर्ग फीट में आवास बना होता है। ऐसे बंगले में आठ बेडरूम, चार सर्वेंट क्‍वार्टर और दो गैरेज शामिल होते हैं। ऐसे बंगले में आगे और पीछे लॉन भी होते हैं।
गौरतलब है कि लोकसभा का मेन चैम्‍बर अर्द्ध-वृत्‍ताकार होता है और इसका फ्लोर एरिया करीब 4800 वर्ग फीट का है लेकिन मायावती का सुपरबंगला इससे छह गुना बड़ा होगा। मायावती के सुपरबंगले में टाईप 8 कैटेगरी के तीन बंगले हैं। ऐसे में सुपरबंगले का कुल प्‍लॉट एरिया 24 हजार 750 वर्ग फीट, आवास के लिए 5910 वर्ग फीट का इलाका, 24 बेडरूम, 12 सर्वेंट क्‍वार्टर और 6 गैरेज होंगे।
शहरी विकास मंत्रालय के संपदा निदेशालय ने मायावती को लिखे खत में जानकारी दी है कि गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित बंगला नंबर 14 और 16 को 12 नंबर बंगले के साथ मिलाकर एक सिंगल यूनिट का बंगला बहुजन प्रेरणा ट्रस्‍ट के नाम आवंटित किया गया है। 14 और 16 नंबर बंगला मायावती को बसपा प्रमुख होने के नाते आवंटित किया गया था। खत में यह भी कहा गया है कि इस नए बंगले के लिए 27 जुलाई 2007 को आवं‍टन से जुड़े मूल पत्र में लिखी शर्तें ही लागू होंगी। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि नई दिल्‍ली के लुटियन जोन में स्थित सरकारी बंगलों किसी तरह के बदलाव की इजाजत नहीं है लेकिन दस्‍तावेजों के मुताबिक सभी तीन बंगलों में गैरकानूनी कंस्‍ट्रक्‍शन हुए हैं।
बहुजन प्रेरणा ट्रस्‍ट की हैसियत से मायावती को आवंटित 14 नंबर बंगले में करीब 200 वर्ग मीटर के दायरे में गैरकानूनी कंस्‍ट्रक्‍शन हुआ है। इसके तहत बंगले के पीछे की तरफ बंगले के आकार का बरामदा और एक तरफ चार कमरे शामिल हैं। 
-एजेंसी

मोदी के साथ इन्‍हें भी उड़ाने की थी साजिश

पटना 
27 अक्तूबर को हुंकार रैली के दिन होटल मौर्या के पास ब्लास्ट कर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली को उड़ाने की साजिश थी. पटना जंकशन पर ब्लास्ट के समय गिरफ्तार आइएम के आतंकी इम्तियाज ने पूछताछ के दौरान ऐसे कई सनसनीखेज खुलासे किये हैं.
पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान बनाये गये वीडियो फुटेज के माध्यम से आतंक का सच सामने आया है. वीडियो फुटेज में पूछताछ के दौरान इम्तियाज ने बताया कि उसे गांधी मैदान के पास एक होटल के पास बम रखना था. हालांकि, उसने उस होटल का नाम पता होने से इंकार किया. उसने बताया कि उसे और उसके साथियों को रांची में इस सीरियल बम ब्लास्ट को लेकर प्रशिक्षण दिया गया और बम सौंपे गये.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इम्तियाज ने सभी नामों की जानकारी दी, जिन्हें प्रशिक्षण के बाद पटना में ब्लास्ट के लिए रांची से भेजा गया. वीडियो फुटेज में वह पुलिसकर्मियों से पानी के साथ दवा की मांग कर रहा है.
पुलिसकर्मियों द्वारा उसे पहले पानी पीने की सलाह दी जा रही है. पुलिस ने इम्तियाज की एक- एक बात की रेकॉर्डिग की है, जिसमें नवयुवकों को बरगला कर आतंक की ट्रेनिंग के दौरान उत्तेजक भाषण, उन्मादी साहित्य की जानकारी देने की बात शामिल है. उसने बताया कि रांची में बड़े स्तर पर आइएम की ओर से युवकों को लाकर प्रशिक्षित किया जा रहा था. उसने यह भी बताया कि तहसीन उर्फ मोनू व हैदर ने मिल कर पटना सीरियल बम ब्लास्ट की साजिश रची थी. इसके लिए उन्हें पाकिस्तान से यासीन भटकल का भाई दिशा-निर्देश दे रहा था.
वे जो टाइम बम लेकर पटना आये थे, वे मुजिबुल के लॉज में ही बने थे. सात दिनों तक पूछताछ के बाद इम्तियाज को रेल पुलिस ने उसे जेल वापस भेज दिया है. अब उसे गांधी मैदान थाने में दर्ज दूसरी प्राथमिकी में रिमांड पर लेने की प्रक्रिया पुलिस ने शुरू की है. इम्तियाज आइएम से लंबे समय से जुड़ा है.
रियाज भटकल ने सितंबर में किया था बॉर्डर की रेकी
इंडियन मुजाहिद्दीन के गिरफ्तार आतंकी यासीन भटकल का भाई रियाज भटकल सितंबर माह में बॉर्डर की रेकी की थी. इस दौरान वह भारत-नेपाल बॉर्डर से सटे (नेपाल में) एक गांव पहुंचा था. उसके साथ तीन अन्य लोग भी थे. रियाज किस मकसद से सीमावर्ती इलाके में पहुंचा था, इसका अब तक खुलासा नहीं हो सका है. बताया जाता है कि वह सितंबर माह की पहली सप्ताह में इस गांव पहुंचा था. खुफिया एजेंसी को भी रियाज के आने की सूचना मिली थी पर तब तक वह इलाका छोड़ चुका था.
खुफिया सूत्रों की मानें, तो रियाज तीन से पांच सितंबर के बीच बॉर्डर इलाके के एक गांव में आया था. वह काठमांडू से हवाई जहाज से जनकपुर पहुंचा था. फिर चार पहिया वाहन से अपने दो अन्य साथियों के साथ उक्त गांव गया.  
-एजेंसी

मायावती के भाई का 400 करोड़ रु. IT ने किया रिलीज

नई दिल्ली 
बसपा सुप्रीमो मायावती को एक और राहत मिली है। आयकर विभाग ने फिक्स डिपोजिट में जमा 400 करोड़ रुपए रिलीज कर दिए हैं। यह रकम मायावती के भाई आनंद कुमार और उनके ग्रुप ऑफ कंपनीज की है। आयकर विभाग ने रकम को वैध ठहराया है। आयकर विभाग ने जून में रकम को जब्त कर लिया था। आनंद कुमार ने जब टैक्स चुका दिया तो रकम को वैध घोषित कर दिया गया। इस मामले से जुड़ी पूरी जांच बंद कर दी गई है। अब मायावती के भाई अपनी पसंद के वेंचर में इस रकम को निवेश कर सकते हैं। कुमार, नोएडा और दिल्ली में करीब दर्जनभर रजिस्टर्ड कंपनियां चलाते हैं।
सीबीआई ने हाल ही में मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बंद कर दिया था। 27-29 जून को आयकर विभाग की टीम ने यूपी के मेडिकल कॉलेज, कौशांबी के होटल सहित 27 ठिकानों पर छापे मारे थे। छापे के दौरान असामान्य ट्रांजेक्शन का खुलासा हुआ था।
छापे की कार्यवाही के दौरान पता चला कि सालाना 22 लाख रुपए इनकम घोषित करने वाले 22 साल के एक युवक ने होटेलियर के वेंचर में 10 करोड़ रुपए निवेश किए थे। हालांकि कुमार ने दावा किया कि उनके पास काला धन नहीं है। उन्होंने चुकाए गए टैक्स को सबूत के रूप में पेश किया। चार महीने बाद आयकर विभाग ने कुमार की दलीलें स्वीकार कर लीं।
-एजेंसी

शनिवार, 2 नवंबर 2013

...तो आओ इस दीवाली नए सिरे से प्रार्थना करें


( लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
दो खण्‍डों वाले 'कृष्‍ण यजुर्वेद' से संबंधित 'उपनिषद' में भगवान सूर्य की उपासना करते हुए महर्षि सांकृति कहते हैं-
असतो मा सद्गमय, 
तमसो मा ज्योतिर्गमय, 
मृत्योर्मा अमृतं गमय
हे सूर्यदेव! हमें असत्‍य से सत्‍य की ओर, अन्धकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमृत की ओर ले चलो।
इसका उत्‍तर देते हुए भगवान सूर्य ने कहा था- योगकर्म को समझते हुए सदैव अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।'
योग की ओर प्रवृत्त होने पर, अन्त:करण दिन-प्रतिदिन समस्त भौतिक इच्छाओं से दूर हो जाता है। साधक लोक-हित के कार्य करते हुए सदैव हर्ष का अनुभव करता है। वह सदैव पुण्यकर्मों के संकलन में ही लगा रहता है। दया, उदारता और सौम्यता का भाव सदैव उसके कार्यों का आधार होता है।
प्रश्‍नोत्‍तर के रूप में महर्षि सांकृति एवं भगवान आदित्‍य के बीच हुए इस संवाद का उद्देश्‍य तब जो भी रहा हो लेकिन आज जब हम वर्ष 2013 की दीपावली मना रहे हैं तो इसकी बहुत जरूरत महसूस हो रही है।
अगले साल लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और उससे पूर्व राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली सहित कुछ राज्‍यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
चुनावों का यह एक ऐसा दौर है जब आम आदमी राजनीति का वीभत्‍स रूप देखने को अभिशप्‍त है। वह उन्‍हीं लोगों, उन्‍हीं पार्टियों में से किसी का चुनाव करने को मजबूर है जिन्‍होंने राजनीति को भयावह बना दिया है।
महंगाई, भ्रष्‍टाचार, अनाचार और दुराचार अपने चरम पर हैं लेकिन राजनेता इस स्‍थिति के लिए एक-दूसरे को जिम्‍मेदार ठहराकर अपना उल्‍लू सीधा करने में लगे हैं।
जनसामान्‍य की किसी स्‍तर पर सुनवाई नहीं हो रही क्‍योंकि विशिष्‍टजनों ने जैसे पूरे देश और इसकी तथाकथित लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को बंधक बना लिया है। वह लोकतंत्र की, संविधान की, अपने अधिकार और कतर्व्‍यों की, संवैधानिक संस्‍थाओं के दायित्‍वों की तथा आम आदमी की गरीबी एवं अमीरी की परिभाषा अपनी सुविधानुसार गढ़ रहे हैं।
आम आदमी के लिए जीवन बोझ बन गया है। उसका सारा सामर्थ्‍य और सारी योग्‍यता अपने व परिवार के लिए जरूरी संसाधनों का इंतजाम करने में जाया हो रही है। निजी हितों को पूरा करने के फेर में वह देशहित को पूरी तरह तिलांजलि दे चुका है।
वह इस लायक भी नहीं रहा कि अपने लिए ''असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय'' की भगवान से प्रार्थना कर सके।
खोखली तरक्‍की और खोखले दंभ ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा.....और उसकी इसी दयनीय दशा का लाभ मुठ्ठीभर नेता उठा रहे हैं।
66 साल बीत गये देश को स्‍वतंत्र हुए लेकिन आम आदमी अब तक सही मायनों में स्‍वतंत्रता का स्‍वाद चखने को तरस रहा है।
संविधान प्रदत्‍त अधिकारों का झुनझुना थामे यदि वह लोकतंत्र के फटे हुए ढोल को पीटकर राजनेताओं के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने का प्रयत्‍न करता है तो उसे लठिया दिया जाता है। उस पर मुकद्दमे लाद दिए जाते हैं। अदालतों के चक्‍कर काटने को उसकी एक जिंदगी कम पड़ जाती है।
नेताओं को उनके कर्तव्‍यों का भान कराने की कोशिश करता है तो दलगत राजनीति का शिकार बना दिया जाता है। समूची राजनीति को सांप्रदायिक बना डालने वाले ही धर्मनिरपेक्षता और धर्मसापेक्षता का खेल अपने बनाये नियमों के तहत खेल रहे हैं।
खुद को देश का भाग्‍य विधाता मानने वालों ने इस देश की उत्‍सवप्रेमी जनता को न रोने लायक छोड़ा है, न हंसने लायक। दीवाली अब उसका दिवाला निकालने आती है तथा होली खून के आंसू रुलाती है।
वक्‍त आ गया है कि असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय... की प्रार्थना और भगवान सूर्य द्वारा उसके संदर्भ में दिए गये उत्‍तर का गूढ़ार्थ समझा जाए तथा आज के परिपेक्ष्‍य में उस पर अमल किया जाए।
जब तक ऐसा नहीं किया जायेगा तब तक हर साल दीवाली और अंधियारी, और काली तथा और भयावह होती जायेगी।
हम दीवाली और होली मनाने की औपचारिकता तो निभायेंगे लेकिन इलेक्‍ट्रॉनिक दीपकों का झूठा उजाला हमारी आंखों की रोशनी छीनता रहेगा।
.......जब असत्‍य से सत्‍य के मार्ग पर चलने का शक्‍ति नहीं होगी....जब अंधकार से प्रकाश की ओर जाने में आंखें चुंधियाएंगी........तो किस तरह मृत्‍यु से अमरता की ओर ले जाने का वरदान मांगोगे। क्‍या करोगे जीकर। जीवन जीने का उल्‍लास तभी तक है जब तक उत्‍साह है। जब तक उत्‍साह है, तब तक हर दिन त्‍यौहार है। हर पल दीवाली और हर दिन होली है।
...तो आओ...नए सिरे से प्रार्थना करें कि हे ईश्‍वर... हमें आज के इस कठिन दौर से बाहर निकलने, राजनेताओं के षड्यंत्रों से मुक्‍ति पाने तथा देश को उनसे बचाये रखने की युक्‍ति दे।
हमें सामर्थ्‍य दे कि हम ''सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु  निरामया:.....को सार्थक कर एक ऐसी उपनिषद को रच सकें जो हमें हर दिन होली और हर रात दीवाली का अहसास करा पाए।
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