बुधवार, 29 मई 2013

अहमद पटेल की शह पर हथियाये जा रहे हैं करबला

लखनऊ। वरिष्ठ इस्लामी धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा है कि केन्द्र सरकार दिल्ली में जोरबाग़ स्थित शाहे मरदां की ज़मीन वापिस पाने के लिए आवाज़ उठा रहे बेगुनाह नौजवानों को गिरफ्तार करने पर तुली है जिसको किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके लिए देश भर में बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाया जाएगा।
लखनऊ स्थित प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि चेहल्‍लुम के मौक़े पर पुलिस ने करबला जोरबाग़ आए श्रद्धालुओं पर लाठीचार्ज और फायरिंग करके अपनी बरबरियत का सबूत दिया था जिसमें बहुत सी महिलाएं और बच्चे ज़ख़्मी हुए थे। दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने की जगह सरकार ने मौलाना कासिम अब्बास, कल्कत्ता से आए मौलाना अतहर अब्बास, वक्फ सेकेटरी बहादुर अब्बास नकवी समेत कई श्रद्धालुओं के खिलाफ झूठी एफ आई आर दर्ज की थी।

जहां सुपरिटेंडेंट जेल में और कैदी रहते हैं बाहर

नई दिल्ली । आज से करीब 14 महीने पहले सीआरपीएफ की स्पेशल फोर्स 'कोबरा' और छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स के जवानों ने 7 दिनों तक नक्सलियों के 'गढ़' माने जाने वाले दक्षिणी छत्तीसगढ़ के 'अबूझमाड़' के जंगलों में 'ऑपरेशन हक्का' चलाया था।
अबूझमाड़ का गोंडी बोली में मतलब 'अनजान पहाड़' होता है और स्थानीय मुरिया बोली में हक्का का मतलब 'जंगली जानवरों का शिकार' होता है। अबूझमाड़ को लोग नक्सलियों का गढ़ कहते हैं।
माना जाता है कि इस इलाके में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है और यहां सिर्फ नक्सलियों की हुकूमत चलती है। इस बात को पुलिस के आला अफसर भी दबी जुबान से स्‍वीकारते हैं।
विवादास्‍पद लेखिका अरुंधति रॉय के शब्दों में, 'यह एक ऐसा इलाका है, जहां नक्सली वर्दी में घूमते हैं और पुलिस वाले बिना वर्दी के। जेल सुपरिटेंडेंट जेल के भीतर और जेल में रहने वाले कैदी बाहर।' छत्तीसगढ़ में जेल ब्रेक कर कई बार नक्सलियों ने अपने साथियों को आजाद कराया है। बस्तर डिवीजन से होकर बहने वाली इंद्रावती नदी के पार दक्षिण की तरफ मीलों में फैले अबूझमाड़ के पहाड़ों और जंगलों को स्थानीय पुलिसकर्मी 'पाकिस्तान' कहते हैं।
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