सोमवार, 24 जून 2013

आगरा:फेसबुक से चल रहा था सेक्‍स रेकेट, 11 गिरफ्तार

आगरा । उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में एक सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह रैकेट फेसबुक के जरिए अपने ग्राहकों की बुकिंग करता था। पुलिस ने बताया कि पुलिस अधीक्षक (सिटी) पवन कुमार के नेतृत्व में एक दल ने रविवार शाम बल्केश्वर इलाके के गोविंदपुरी कॉलोनी की एक दो मंजिली इमारत से रविवार को 11 लोगों को गिरफ्तार किया।
पड़ोसियों द्वारा लगातार की जा रही शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की गई। छापा डालने आए दल ने बीयर कैन, शराब की बोतलें और अन्य चीजें बरामद की हैं। पुलिस के मुताबिक, यह रैकेट फर्जी फेसबुक अकाउंट पर चैटिंग के जरिए ग्राहकों की तलाश करता था। आगरा बसई, सिकंदरा, माल का बाजार और सियो का बाजार जैसी जगहों पर देह व्यापार के लिए ऎतिहासिक रूप से कुख्यात है।
पिछले महीने माल का बाजार इलाके में दो छापेमारी हुई थी और सड़क पर एक यौनकर्मी का शव बरामद हुआ था। पुलिस को उसका सम्पर्क कोलकाता से होने की जानकारी मिली थी।(एजेंसी)

तमाशा देखने वालो, तमाशा खुद न बन जाना

ऐसा लगता है जैसे उत्‍तराखंड के तीर्थयात्री, सैलानी एवं पर्यटक ही नहीं, पूरा देश ही अनाथ हो चुका है। उत्‍तराखंड की विभीषिका ने तो उसे केवल रेखांकित किया है।
(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
इस देश में साधु-संतों की जमात लाखों में है, भागवताचार्य भी हजारों की संख्‍या में हैं, रामायणियों की तादाद कोई कम नहीं।
टेलीविजन पर दिखाई देने वाले कुल करीब दो सैंकड़ा चैनल्‍स में से एक चौथाई पर ऐसे ही धार्मिक तत्‍वों का आधिपत्‍य देखा जा सकता है, जो चौबीसों घण्‍टे धर्म का मर्म समझा कर या यूं कहें कि उसकी दुहाई देकर अपनी दुकान बेहतरीन तरीके से चला रहे हैं।

इसी अनुपात में मठाधीश, उनके मठ, मंदिर और आश्रमों की भरमार है।
बात-बात पर फतवा जारी करने वाले मुल्‍ला तथा मौलवियों से लेकर प्रतिष्‍ठित मस्‍जिदों की खासी संख्‍या है और ईसाई मिशनरीज भी हर गली व कूचे में मिल जायेंगे।
सामाजिक व धार्मिक संस्‍थाएं इतनी हैं, जितने कि सरकारी शिक्षण संस्‍थान नहीं होंगे। और ये सब भी अपनी-अपनी कमाई के लिए टेलीविजन पर पूरी तरह सक्रिय हैं।
इस सब के बावजूद उत्‍तराखंड में आई भयंकर आपदा के शिकार लोगों की मदद को कोई सामने नहीं आया।
बेशक ऐसी आपदाओं से निपटने की जिम्‍मेदारी सरकारों की है और उन्‍हें इसके माकूल इंतजाम करने चाहिए लेकिन मानवता के नाते तथा धार्मिक एवं सामाजिक कर्तव्‍यों के चलते क्‍या इनकी कोई जिम्‍मेदारी नहीं बनती।
यही हाल उन नामचीन उद्योगपतियों का है जो आए दिन विश्‍व के सर्वाधिक पैसे वालों की सूची में नाम दर्ज कराकर देश को धन्‍य करते हैं।

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