गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

कालाधन विदेश भेजने में भारत विश्‍व का पांचवां बड़ा देश

वॉशिंगटन। 
कालाधन विदेश भेजने के मामले में भारत 2002-11 के बीच पांचवां सबसे बड़ा देश रहा। वाशिंगटन स्थित वित्तीय अनुसंधान संगठन की रपट के अनुसार इस दौरान भारत से कुल 343.04 अरब डॉलर कालाधन विदेश भेजा गया। रपट के अनुसार केवल 2011 में ही देश से 84.93 अरब डॉलर की काली कमाई बाहर भेजी गयी। वर्ष के दौरान देश इस मामले में तीसरे स्थान पर रहा।
इलिसिट फाइनेंशियल फ्लोज फ्रॉम डेवलपिंग कंट्रीज-2002-2011 यानी विकासशील देशों से अवैध धन का प्रवाह-2002-2011 में कहा गया है कि 2011 में विकासशील देशों से अपराध, भ्रष्टाचार, और करापवंचन के जरिये 946.7 अरब डालर का धन विदेशों में चला गया। ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी (जीएफआई) द्वारा कल प्रकाशित इस ताजा रपट के अनुसार 2002-11 के दौरान विकासशील देशों से 5,900 अरब डालर काली कमाई विदेश भेजी गयी। जीएफआई वॉशिंगटन का अनुसंधान और प्रचार संगठन है।
जीएफआई के अध्यक्ष रेमंड बेकर कहा, ‘जहां एक ओर विश्व अर्थव्यवस्था वैश्विक वित्तीय संकट के चलते हिचकोले खा रही थी, वहीं काली कमाई की दुनिया खूब फल-फूल रही थी। इस दौरान साल दर साल विकासशील देशों से उत्तरोत्तर अधिक काला धन बाहर भेजा जाता रहा है।’ बेकर ने कहा कि अकेले 2011 में ही गरीब देशों से करीब 1,000 अरब डालर की काली कमाई विदेशों में भेजी गयी। उन्होंने कहा कि इसके लिए, ‘बेनामी, छद्म कंपनियों, काले धन के पनाहगाहों तथा व्यापार के जरिये मनी-लांड्रिंग की तिकड़मों का इस्तेमाल किया गया।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 में जहां 946.7 अरब डालर की काली कमाई विदेशों को भेजी गई, वहीं 2010 में यह आंकड़ा 832.4 अरब डालर था। 2002 में काला धन विदेश भेजने का आंकड़ा 270.3 अरब डालर का था।
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि विकासशील देशों ने 2002 से 2011 के दौरान काली कमाई के रूप में 5,900 अरब डालर का धन गंवाया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दूसरे देशों को काला धन भेजने वाला शीर्ष 15 देशों में से 6 एशिया के हैं। एशियाई देशों में इस सूची में चीन, मलेशिया, भारत, इंडोनेशिया, थाइलैंड व फिलिपीन हैं। वहीं दो देश अफ्रीका के नाइजीरिया व दक्षिण अफ्रीका, चार यूरोप के रूस, बेलारूस, पोलैंड व सर्बिया, दो पश्चिमी देश मेक्सिको व ब्राजील व एक मेना क्षेत्र में इराक है।
पिछले 10 बरस में काले धन के प्रवाह के मामले में चीन 1,080 अरब डालर के साथ शीर्ष पर रहा है। उसके बाद रूस 880.96 अरब डालर, मेक्सिको 461.86 अरब डालर व मलेशिया 370.38 अरब डालर का नंबर आता है। जीएफआई के मुख्य अर्थशास्त्री देव कार ने कहा, ‘यह काफी कष्टदायक है कि किस तरह से काले धन का प्रवाह बढ़ रहा है।’
-एजेंसी

वेबसाइट कोबरापोस्‍ट ने फिर किए 11 माननीय बेनकाब

नई दिल्‍ली। 
देश में राजनीति का स्तर किस हद तक गिर रहा है, इसका एक बड़ा फिर उदाहरण सामने आया है। खोजी पत्रकारिता के लिए जानी जाने वाली वेबसाइट कोबरापोस्ट ने पैसे के लिए किसी भी हद तक गिरने वाले सांसदों के बारे में बड़ा खुलासा किया है। कोबरापोस्ट के मुताबिक एक फर्जी विदेशी ऑयल कंपनी के लिए 11 सांसद पैसा लेकर चिट्ठी लिखने को तैयार थे।
अपने एक साल के अभियान के बाद कोबरापोस्ट ने 11 सांसदों को अपने खुफिया कैमरे में कैद कर लिया है। ये सांसद लगभग सभी प्रमुख दलों से जुड़े हैं। इसमें बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, जेडीयू और एआईएडीएमके के सांसद शामिल हैं। इन्होंने एक फर्जी ऑस्ट्रेलियाई ऑयल कंपनी के हित में सिफारिशी चिट्ठी लिखने के बदले 50 हजार रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक मांगे। खुफिया कैमरे में कैद 11 सांसदों में से 6 ने तो बाकायदा पैसे लेकर सिफारिशी चिट्ठियां भी लिख दीं।
कोबरापोस्ट ने इस अभियान का नाम 'ऑपरेशन फॉल्कन क्लॉ' रखा है। इसमें के. सुगुमार और सी. राजेंद्रन एआईडीएमके के सांसद हैं। लाल भाई पटेल, रविंद्र कुमार पांडेय और हरी मांझी बीजेपी सांसद हैं। विश्व मोहन कुमार, महेश्वर हजारी, भूदेव चौधरी जेडीयू के माननीय सांसद हैं। खिलाड़ी लाल बैरवा और विक्रमभाई अर्जनभाई कांग्रेसी सांसद हैं। कैसर जहां बीएसपी से जुड़ी हैं।
कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि किसी भी सांसद ने फर्जी ऑस्ट्रेलियाई कंपनी की सचाई जानने के बारे में कोशिश तक नहीं की। वह पैसे के बदले आसानी से पेट्रोलियम मंत्रालय को इस फर्जी कंपनी के पक्ष में चिट्ठी लिखने के लिए तैयार हो गए।
कुछ ने तो कोबरापोस्ट के पत्रकारों को पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली से मिलवाने तक का वायदा कर दिया। जेडीयू सांसद महेश्वर हजारी ने तो यहां तक कहा, जब तक हैं तब तक आपकी कंपनी की मदद करेंगे...। यहां से लेकर मंत्रालय तक, जहां तक कहिएगा। महेश्वर हजारी बिहार के समस्तीपुर से जेडीयू सांसद हैं।
-एजेंसी
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