गुरुवार, 6 मार्च 2014

सिर्फ भ्रष्‍ट और धोखेबाजों के लिए बनी 'खास आदमी पार्टी'

नई दिल्‍ली। 
एक ऐसे वक़्त में जब भारत के सभी राजनीतिक दल ख़ुद को ईमानदार और सच्चा साबित करने में लगे हैं, एक ऐसी पार्टी भी है जो भ्रष्ट और धोखेबाज़ लोगों को ही अपना सदस्य बना रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ इस पार्टी का नाम है ख़ास आदमी पार्टी (ख़ाप) और इसकी स्थापना की है नरेश सिंह भदौरिया ने. लोकसभा चुनावों से पहले इस तरह की पार्टी बनाने का मक़सद मनोरंजन के साथ ही मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था पर कटाक्ष करना भी है.
भदौरिया इससे पहले पोल खोल पार्टी भी बना चुके हैं और अब तक राजनाथ सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, विनय कटियार और नवजोत सिंह सिद्दू के ख़िलाफ़ चुनाव भी लड़ चुके हैं.
पिछले चुनावों के दौरान मिले समर्थन से उत्साहित भदौरिया इस बार अमेठी से चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं. इस सीट से आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सांसद हैं.
भदौरिया ने अमेठी में चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है. पीटीआई के मुताबिक़ इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ता जो बैनर लेकर चल रहे थे, उस पर लिखा था, "केवल भ्रष्ट, घोटालेबाज़, धोखेबाज़ लोग ही इस पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं."
भदौरिया ने पीटीआई को बताया कि उनका मक़सद भ्रष्टाचार की ओर लोगों का ध्यान खींचना है. उनके मुताबिक़, "मेरे लिए चुनाव परिणाम मायने नहीं रखते हैं क्योंकि मेरा मक़सद जीतना नहीं है, लेकिन मैं लोगों का ध्यान मुद्दों पर खींचना चाहता हूं."
ख़ाप का यह भी कहना है कि वो आम आदमी पार्टी को छोड़कर दूसरे राजनीतिक दलों के साथ चुनावी गठजोड़ करना चाहती है.
पीटीआई के मुताबिक़ ख़ाप का दावा है कि आम आदमी पार्टी को छोड़कर दूसरे राजनीतिक दलों से इस पार्टी के विचार और सिद्धांत काफ़ी मिलते हैं.
ख़ाप ने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को प्रमुख प्रतिस्पर्धी बताते हुए कहा है कि उसे केवल पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे से ही डर है.
भदौरिया पेशे से वकील हैं. पीटीआई से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "हमें गंभीरता से नहीं लिया जाता लेकिन पिछले चुनावों में हमें हज़ारों वोट मिले हैं."
-एजेंसी

'सुभारती' में पाक जिंदाबाद के नारे: जांच शुरू

मेरठ स्थित सुभारती यूनिवर्सिटी के 67 कश्मीरी छात्रों को निलंबित किए जाने के बाद राज्य सरकार ने पूरे मामले की न्यायिक जांच शुरू कर दी है. इन छात्रों द्वारा पिछले रविवार को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में कुछ कश्मीरी छात्रों के पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद तनाव पैदा हो गया था.
मेरठ के जिला अधिकारी पंकज यादव ने बताया है कि जांच का ज़िम्मा अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा गया है जो पंद्रह दिनों के अन्दर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे.
इस निजी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर मंज़ूर अहमद ने कश्मीरी छात्रों के निलंबन को जायज़ ठहराते हुए कहा, "छात्रों की तरफ से इस तरह का आचरण स्वीकार्य नहीं है."
उनका कहना था कि कुछ कश्मीरी छात्रों ने न केवल पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाए, बल्कि हॉस्टल की संपत्ति को भी नुक़सान पहुंचाया.
वह कहते हैं कि इस तरह की हरक़त से विश्वविद्यालय परिसर में तनाव उत्पन्न हो गया था क्योंकि कई छात्रों नें उनका विरोध करना शुरू कर दिया.
विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि पाकिस्तान का समर्थन करने वाले सिर्फ़ 10-12 छात्र ही रहे होंगे, मगर हॉस्टल में रह रहे बाक़ी छात्रों ने किसी का नाम नहीं बताया इसलिए सामूहिक कार्यवाही की गयी है.
इस विश्वविद्यालय में कश्मीरी छात्रों की संख्या 300 के आसपास है. जिस घटना की बात की जा रही है, वह सिर्फ मदन ढींगरा हॉस्टल की है जबकि दूसरे हॉस्टलों में भी कश्मीरी छात्र रहते हैं.
घटना के बाद विश्वविद्यालय परिसर में ही विरोध प्रदर्शन होने लगे और शायद यही वजह है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बाक़ी कश्मीरी छात्रों से अपने हॉस्टलों में ही रहने को कहा है.
इन हॉस्टलों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी है. स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार आर. के. गर्ग ने किसी भी कश्मीरी छात्र से मिलने के लिए अनुमति देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि इससे तनाव बढ़ सकता है.
कुछ छात्रों ने बताया कि घटना के बाद बाक़ी कश्मीरी छात्र अपने-अपने हॉस्टल में ही रह रहे हैं क्योंकि उनसे कहा गया है कि माहौल शांत होने तक कक्षाओं में नहीं जाएँ.
विश्वविद्यालय ने घटना की जांच के लिए अलग से एक कमेटी का गठन किया है जिसका नेतृत्व प्रोफ़ेसर जी के बंसल कर रहे हैं.
मेरठ के जिला अधिकारी का मानना है कि निलंबित किये गए सभी 67 कश्मीरी छात्र दोषी नहीं हैं. वह कहते हैं, "पता चल रहा है कि कुछेक छात्रों ने ऐसा किया. मगर सज़ा हॉस्टल में रह रहे सभी 67 छात्रों को मिली. हम सुनिश्चित करेंगे कि निर्दोष छात्रों के भविष्य पर इसका असर नहीं पड़े.''
वहीँ विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने बताया कि घटना में बेशक चंद कश्मीरी छात्रों का हाथ रहा हो मगर इसके लिए सभी कश्मीरी छात्रों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. उनका यह भी मानना है कि जिन छात्रों ने क्रिकेट मैच के दौरान पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाए, उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही होनी चाहिए.
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...