मंगलवार, 25 मार्च 2014

हर सिक्‍के के दो पहलू होते हैं

पॉर्न को लेकर समाज में बहुत अच्छे विचार नहीं हैं। इसे अश्लीलता और मानसिक विकृति के साथ जोड़ कर देखा जाता है। लेकिन जिस तरह से हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, ठीक उसी तरह पॉर्न भी हमेशा गलत ही हो, यह जरूरी नहीं। एक नए रिसर्च में पॉर्न के पॉज़िटिव पहलूओं पर ध्यान दिलाया गया है। साथ ही इसमें बताया गया है कि पॉर्न अडिक्शन जैसा कुछ भी नहीं होता।
पॉर्न देखने वाले लोगों के लिए रिसर्च में कहा गया है कि यह सेक्शुअल रिलेशन को ज्यादा मजबूत बनाता है। अपने पार्टनर के साथ पॉर्न देखने वाले लोग सेक्स लाइफ में ज्यादा संतुष्ट और खुश रहते हैं। साथ ही इससे एक्सट्रा मैरिटल अफेयर के भी होने का चांस भी घटता है।
स्प्रिंगर जर्नल में छपी रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार सेक्शुअल रिलेशन में एक समय के बाद आने वाली नीरसता को भी पॉर्न के माध्यम से कम या खत्म किया जा सकता है। रिसर्च में इसे पार्टनर के बीच की ऐसी कड़ी बताया गया है जो रिश्ते को बनाए रखता है और गरमाहट भी प्रदान करता है।
पॉर्न देखने वाले लोगों को लेकर एक भ्रम यह भी समाज में है कि वे इसके अडिक्शन का शिकार हो जाते हैं। रिसर्च में इसे एक भ्रम ही बताया गया है और कहा गया है कि सही मायने में ऐसा कुछ भी नहीं होता।
सेक्स से जुड़े अपराधों के रोकथाम और कमी के बारे में भी इस रिसर्च में चौंकाने वाले बातें बताई गईं हैं। रिसर्च के अनुसार ऐसे सेक्स ऐक्टिविटी, जिन्हें हम गैर-कानूनी या असामाजिक मानते हैं (रेप, एनल सेक्स, हस्तमैथुन आदि) को पॉर्न के जरिए कम किया जा सकता है। सेक्स संबंधी मानसिक कुंठा को कम करने का रास्ता है पॉर्न।
-एजेंसी

चंदे में धंधा: गिरफ्तार होगी तीस्‍ता और उसका पति जावेद

अहमदाबाद। 
गुजरात की अहमदाबाद सेशन कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके पति जावेद आनंद की अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज कर दी है. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने आगे की जानकारी देते हुए बताया है कि वे इस मामले में गुलबर्ग सोसाइटी के बाकी निवासियों का बयान लेंगे और इसके बाद तीस्ता और अन्य को गिरफ़्तार करने के बारे में फ़ैसला लेंगे.
अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच शाखा ने तीस्ता शीतलवाड़, उनके पति जावेद आनंद और स्वर्गीय कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री के बेटे तनवीर के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की है.
कोर्ट ने जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि तीस्ता और अन्य चार अभियुक्तों पर प्रत्यक्ष जांच की जाएगी.
अभियोग पक्ष के विशेष वकील अजय चोकसी ने बताया, "जज ने कहा कि तीस्ता और अन्य पर लगे आरोप प्रत्यक्ष तौर पर जाँच के लायक हैं और ऐसा नज़र आता है कि केस में सबूतों को मिटाने की कोशिश की गयी है. इसलिए इन्हें अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती."
अजय चोकसी ने बताया कि अदालत ने उन्हें उपस्थित होने का आदेश दिया है.
विशेष अभियोग पक्ष वकील चोकसी बताते हैं, "कोर्ट ने कहा कि तीस्ता और अन्य अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ लगे आरोपों को ख़ारिज करने के लिए जो याचिका दाखिल की है उसमें केस से जुड़ी सभी जानकारी नहीं दी है."
साल 2002 के दंगा पीड़ितों ने तीस्ता सीतलवाड और अन्य के ख़िलाफ़ उनके नाम पर विदेशी चंदा लेने और उसके दुरुपयोग का आरोप लगाया है.
गुजरात के अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में हुई आगजनी और हमले में 69 लोग मारे गए थे. इसी आगजनी में फ़िरोज़ सईद ख़ान पठान ने अपने परिवार के तीन लोगों को खो दिया था. उनकी शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने यह मामला दर्ज किया है.
तीस्ता एवं अन्य लोगों पर भरोसा तोड़ने, धोखाधड़ी, और आपराधिक साजिश के आरोप लगे हैं. इस मामले की जाँच अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस एनके पटेल कर रहे हैं.
क्राइम ब्रांच के असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस एनके पटेल ने बीबीसी को बताया, “तीस्ता और अन्य पर आरोप है कि उन्होंने गुलबर्ग सोसाइटी और दूसरे दंगों में प्रभावित व्यक्तियों की तस्वीरें और वीडियो अपनी वेबसाइट पर लगाकर लोगों से दान देने की अपील की.”
शिकायत करने वाले फ़िरोज़ सईद ख़ान पठान ने शिकायत की थी कि दंगे में प्रभावित लोगों की तस्वीरों और वीडियो से तीस्ता की संस्था 'सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस' (सीजेपी) और 'सबरंग' को करोड़ों रुपये का दान मिला था.
पटेल ने बताया, “पठान ने आरोप लगाया है कि तीस्ता और अन्य अभियुक्तों ने वर्ष 2007 से 2011 के बीच दान की रक़म में से एक करोड़ 51 लाख रुपये का अपने निजी कामों के लिए इस्तेमाल किया है.
उन्होंने आगे कहा, "पठान के मुताबिक यह रुपया दंगा पीड़ितों की मदद के लिए और गुलबर्ग सोसाइटी में एक संग्रहालय बनाने के लिए इकट्ठा किया गया था.”
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