मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

चुनावी सीजन में नेताओं का 'कुत्‍ता प्रेम'!

खुदा कसम, चुनावों के इस सीजन में कुत्‍ते भी नेताओं से बहुत परेशान हैं। कुत्‍तों की परेशानी मुझे भी कुछ वाजिब सी लगती है। बेशक वह मजबूर हैं लेकिन नेताओं को कोई हक नहीं बनता कि वह जब चाहें और जहां चाहें, उनकी तुलना अपने सहोदरों से करने लगें। आम इंसानों से की होती तो बात कुछ हजम भी होती क्‍योंकि लोकतंत्र में आम इंसान की दुर्गत गली के कुत्‍ते समान ही है परंतु यहां तो तुलना नेताओं से की जा रही है, और वो भी एक नेता दूसरे नेता की तुलना में कुत्‍तों का दुरुपयोग कर रहा है। कहीं किसी संदर्भ में एक नेता ने कह दिया कि कार के पहिए से कुचलकर अगर कोई पिल्‍ला भी मर जाए तो दुख होता है, फिर इंसान की मौत का दुख तो बनता है ना।
नेता का यह संदर्भ दूसरी पार्टी के नेता को इतना नागवार गुजरा कि उसने संदर्भ देने वाले नेताजी को ही गुस्‍से में कुत्‍ते के पिल्‍ले का बड़ा भाई कह डाला। इतना भी नहीं सोचा कि उन्‍हें यह पदवी देने से पहले वह खुद को पिल्‍ला मानकर चल रहे हैं।
संदर्भ देने वाले नेताजी ने जिस संदर्भ में भी पिल्‍ले का इस्‍तेमाल किया हो परंतु गुस्‍से में मतिभ्रष्‍ट दूसरी पार्टी के नेता ने तो पूरी कौम को खुद ही पिल्‍ला घोषित कर दिया।
बहरहाल, कूकुर के इस दुरुपयोग पर कुत्‍तों ने एक सभा का आयोजन किया और सर्वसम्‍मति से नेताओं द्वारा अपनी तुलना कुत्‍तों से किए जाने के खिलाफ घोर आपत्‍ति जाहिर की।
कुत्‍तों का कहना था कि हर जाति व नस्‍ल का कुत्‍ता अंतत: पूरी तरह कुत्‍तत्‍व को प्राप्‍त होता है जबकि नेता का अंत तक पता नहीं होता कि वह किस करवट बैठेगा। मसलन, हर किस्‍म के कुत्‍ते में स्‍वामिभक्‍ति, वफादारी तथा चाक चौबंद चौकीदारी जैसे गुण पाये जाते हैं। कुत्‍ता चाहे गली का आवारा हो या कीमती पट्टे से सुसज्‍जित किसी मेम के मुंह को चाटने वाला पालतू हो, दोनों के गुण-धर्म समान होते हैं लेकिन पूर्ण कुत्‍तत्‍व को प्राप्‍त एक भी नेता किसी पार्टी में नहीं पाया जाता। वह आज किसी एक की भक्‍ति में लीन होता है तो कल किसी दूसरे की भक्‍ति में। वह तो अपने भगवान हर चुनाव में बदल डालता है लिहाजा बेवफा नेताओं की तुलना किसी भी दृष्‍टि में वफादारी की मिसाल कुत्‍तों से किया जाना उचित नहीं है।
एक सीनियर सिटीजन कुत्‍ते ने अफसोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि नेता तो उन आम इंसानों का भी सगा नहीं होता जो उसे दौलत, शौहरत और इज्‍ज़त हासिल कराते हैं। उसे इस लायक बनाते हैं कि वह अपनी सात पीढ़ियों के लिए ऐश-मौज का इंतजाम कर सके।
वह बोला, आप और हम देख रहे हैं कि आज चुनाव है तो नेता लोग आम आदमी के आगे-पीछे घूम रहे हैं, दर-दर की खाक छान रहे हैं लेकिन जैसे ही चुनाव खत्‍म होगा, यह उसे 'मेंगो पीपल' घोषित कर देते हैं।
आखिर में यह सीनियर सिटीजन कुत्‍ता कहने लगा कि हम तो आखिर कुत्‍ते हैं, नेताओं का कुछ भी बिगाड़ पाना हमारे बस में नहीं क्‍योंकि हमें कौन सा मताधिकार हासिल है। ये हमारी तुलना जैसे चाहें, वैसे करें परंतु दुख व अफसोस तो इंसानों के लिए होता है। तरस आता है उनके बुद्धि और विवेक पर। कुत्‍ता पालतू हो या गली का आवारा, यदि वो अपने को रोटी का टुकड़ा डालने वाले पर गलती से भी भोंक दे तो उस पर इंसान डंडा लेकर पिल पड़ता है। उसे खदेड़ देता है कहीं दूर और कहता है कि यह साला कैसा कुत्‍ता है जो अपने पालने-पोसने वाले पर ही भोंकता  है लेकिन उन नेताओं का कोई इंतजाम नहीं करता जिसे अपना वोट देकर आम से खास बनाता है। विशिष्‍ट बनवाता है, वीवीआईपी का तमगा दिलवाता है, लाल बत्‍ती की गाड़ी में बैठने लायक हैसियत दिलवाता है।
हम तो मजबूर हैं लेकिन आम इंसान के पास वोट की ताकत है। फिर वह बेवफा व खुदगर्ज नेताओं को कुत्‍तों की तरह क्‍यों नहीं खदेड़ देता, क्‍यों नहीं इन्‍हें समझाता कि कुत्‍तों से अपनी तुलना करने वालो, सच तो यह है कि तुम कुत्‍ते कहलाने लायक भी नहीं हो। कुत्‍तों से अपनी तुलना करके एक्‍चुअली तुम संपूर्ण कुत्‍तों और उनके कुत्‍तत्‍व की बेइज्‍ज़ती कर रहे हो। कुत्‍ता तो अनेक गुणों से विभूषित जीव है और इसीलिए उसे भगवान दत्‍तात्रेय ने अपने गुरूओं में शुमार किया था।
महाभारत काल से लेकर आज तक कुत्‍ता हर युग में वफादार था और आगे भी वफादार रहेगा। वह चाहे जिस नस्‍ल का हो, हर नस्‍ल में पूर्ण कुत्‍तत्‍व को ही प्राप्‍त होता है। किसी नस्‍ल में उसकी स्‍वामिभक्‍ति या वफादारी जैसे गुण प्रभावित नहीं होते लेकिन नेता तो पार्टी के साथ सब कुछ बदल लेता है। उसकी निष्‍ठा, भक्‍ति, वफादारी आदि सब-कुछ पार्टी के साथ तब्‍दील होती रहती है। शर्म करो....कुछ तो शर्म करो...शर्म करो...के नारे लगाकर आखिर उस सीनियर सिटीजन कुत्‍ते ने अपना वक्‍तव्‍य पूरा किया कि अब इससे अधिक बोला तो पता नहीं मेरे ही भाई-बंधु कहीं मुझे नेता की पदवी न दे दें और ऐसी अपमान जनक पदवी मुझे अपनों से प्राप्‍त हो, यह गवारा नहीं।
ऐसा होने पर मुझे आत्‍मग्‍लानि के कारण आत्‍महत्‍या करने को विवश होना पड़ सकता है।
अंत में ईश्‍वर से केवल इतनी ही प्रार्थना करुंगा कि हे ईश्‍वर! यदि पुनर्जन्‍म होता है तो प्‍लीज.....किसी भी योनि में जन्‍म दे देना लेकिन नेता मत बनाना। नेता बना दिया तो हमारी आत्‍मा जीते जी मर जायेगी। आमीन...आमीन...आमीन!
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी
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