गुरुवार, 1 मई 2014

13 कं. पर किसी का रिटर्न तक दाखिल नहीं कर रहे वाड्रा

नई दिल्‍ली। 
विवादित जमीन सौदों के लेकर प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पहले से ही घिरे हुए हैं। अब पता चला है कि मार्च 2011 से उन्होंने अपनी 13 कंपनियों का सालाना रिटर्न्स भी कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय में दाखिल नहीं किए हैं जबकि ऐसा करना अनिवार्य हैं। संभावना जताई जा रही है कि रॉबर्ट वाड्रा जानकारी ने देकर अपनी कंपनियों के कुछ और डील्स के बारे में जानकारी मीडिया से छिपाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि 2011 में ही वाड्रा के बिजनेस मॉडल और जमीन सौदों को लेकर पहली बार सवाल उठे थे। उस साल डीएलएफ से लोन लेकर हरियाणा में वाड्रा के जमीन खरीदने और राजस्थान में हजारों एकड़ जमीन हासिल करने को लेकर विवाद हुआ था। हालांकि, इन दोनों सौदों का जिक्र उन्होंने मार्च 2011 तक मंत्रालय को भेजे अपने फाइनैंशल स्टेटमेंट्स में किया है। इसके बाद उन्होंने एक बार भी मंत्रालय को ब्योरा नहीं भेजा है।
अंग्रेजी अखबार डीएनए ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उसने कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय में मौजूद 13 कंपनियों के दस्तावेजों की जांच की है और पाया कि उन्होंने पिछले दो सालों से सात कंपनियों के फाइनैंशल स्टेटमेंट्स नहीं जमा किए हैं। बाकी छह कंपनियां वाड्रा ने जुलाई से अगस्त 2012 के दौरान ही बनाईं लेकिन इनकी डील्स की जानकारियां भी मंत्रालय को नहीं दी गईं। सूत्रों का कहना है कि सभी छह कंपनियां ग्रामीण इलाकों में जमीन खरीदने के लिए बनाई गई थीं।
खास बात यह है कि पिछले दिनों अपने पति का मजबूती से बचाव कर चुकीं प्रियंका गांधी ने भी एक कंपनी को शुरू करने में उनको सहयोग दिया था। नवंबर 2007 में बनी ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड में प्रियंका डायरेक्टर बनीं लेकिन 8 महीने में ही उन्होंने यह पद छोड़ा दिया। बाद में रॉबर्ट वाड्रा की मां मॉरीन वाड्रा डायरेक्टर बनाई गई थीं। ब्लू ब्रीज रिटर्न्स दाखिल कर रही है।
कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय के नियमों के मुताबिक, वाड्रा लगातार दो साल से डिफॉल्ट कर रहे हैं और अगर वह तीसरे साल भी रिटर्न्स दाखिल नहीं करते हैं, तो मंत्रालय उन सभी कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है जिसमें वह डायरेक्टर हैं। कंपनियों पर न्यूनतम 50 हजार रुपये या फाइनैंशल स्टेटमेंट दाखिल किए जाने तक प्रतिदिन 5 हजार रुपये की दर से जुर्माना लगाया जा सकता है। मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि न्यूनतम जुर्माना तब लगाया जाता है जब कंपनी के पास रिटर्न न दाखिल करने की तर्कसंगत वजह हो।
मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी का कहना है, 'शायद मीडिया में कंपनियों के बिजनेस मॉडल और लैंड डील्स के बारे में और जानकारी आने से बचने के लिए वाड्रा ने फाइनैंशल स्टेटमेंट्स दाखिल करना बंद कर दिया है। उन्हें लगा होगा कि वह भारी जुर्माना देना अफोर्ड कर सकते हैं, लेकिन अपने बिजनेस प्लान्स की जानकारी लीक नहीं होने देना चाहते।'
-एजेंसी
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