गुरुवार, 10 जुलाई 2014

''कुमार स्‍वामी''... साधु या शैतान ?

सुना है पहले बड़े ही सुनियोजित तरीके से ठगों का गिरोह ठगाई का अपना धंधा किया करता था। मसलन जैसे कोई व्‍यक्‍ति पशु पैंठ से गाय खरीद कर लाया। रास्‍ते में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मौजूद गिरोह के सदस्‍य उससे पूछते थे- अरे भाई, यह गधा कितने का खरीदा?
गाय को गधा बताये जाने पर पहले तो वह आदमी चौंककर कहता है कि क्‍या अंधे हो भाई, यह गधा नहीं गाय है लेकिन रास्‍ते में जब तमाम लोग यही सवाल करते मिलते तो गाय लाने वाले को अपने ऊपर ही शक हो जाता था और वह सोचने लगता कि हो न हो मैं ही मूर्ख बन आया हूं। गांव पहुंचूंगा इसे लेकर तो बड़ी बदनामी होगी, साथ ही मजाक भी उड़ेगा लिहाजा वह खुद भी गाय को गधा मानकर रास्‍ते में ही कहीं चुपचाप छोड़कर चल देता था और पीछे से ठग उस गाय को ले उड़ते थे।
समय के साथ ठगाई का तरीका भले ही बदल गया हो लेकिन धंधा आज भी जारी है। यकीन न हो तो आज का दैनिक जागरण अखबार उठाकर देख लो।
इस अखबार में एक जैकेट पेज विज्ञापन छपा है। यह विज्ञापन मथुरा के वृंदावन में कुमार स्‍वामी द्वारा 12 व 13 जुलाई को आयोजित 'प्रभु कृपा दुख निवारण समागम' का है। 'स्‍वयंभू ब्रह्मर्षि' कुमार स्‍वामी के इस विज्ञापन में नेशनल हाईवे नंबर दो के पास वृंदावन के ही चौमुहां क्षेत्र अंतर्गत श्री राधा-कृष्‍ण का एक विशाल मंदिर बनाये जाने की घोषणा की गई है। 108 एकड़ भूमि पर प्रस्‍तावित इस मंदिर के निर्माण में दो हजार किलो सोना इस्‍तेमाल करने की बात लिखी है।
इस मंदिर के उद्देश्‍य और इसके ऊपर होने वाले खर्च पर चर्चा बाद में, पहले इसी विज्ञापन में किए गये दूसरे दावों की बात।
विज्ञापन में 'दिव्‍य पाठ से आई जीवन में खुशहाली' शीर्षक से करीब डेढ़ दर्जन लोगों के अनुभव प्रकाशित कराये गये हैं। इन लोगों में युवक-युवतियों एवं महिला-पुरुषों के अलावा दो बच्‍चों के भी फोटो लगे हैं।
इन तथाकथित निजी अनुभवों के माध्‍यम से दावा किया गया है कि ब्रह्मर्षि कुमार स्‍वामी द्वारा उपलब्‍ध कराये गये दिव्‍य पाठ से, उनके समागम में शामिल होने से तथा उनके द्वारा बताये गये अन्‍य उपायों से किस प्रकार उनके सारे कष्‍ट दूर हो गए।
इन कष्‍टों में एमबीबीएस करने के लिए एडमीशन से लेकर गोल्‍डमेडल हासिल होने तथा मनमाफिक नौकरी पाने से लेकर हार्ट की ब्‍लॉकेज समाप्‍त हो जाने तक का जिक्र है।
इतना ही नहीं, किसी का दावा है कि कुमार स्‍वामी की कृपा और उनके द्वारा बताये गये उपायों से उसका लाइलाज ब्रेस्‍ट कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया तो किसी का दावा है कि उसकी बच्‍चेदानी का कैंसर ठीक हो गया। ब्‍लड शुगर, ब्‍लड प्रेशर व थॉयराइड जैसी बीमारियां कुमार स्‍वामी की कृपा से खत्‍म होने का दावा इन अनुभवों में किया गया है।
इसी विज्ञापन में 'मेडिकल साइंस हतप्रभ' शीर्षक से दावा किया गया है कि कुमार स्‍वामी द्वारा उपलब्‍ध कराये गये दिव्‍य पाठ के बाद जन्‍म से गूंगा व बहरा एक बच्‍चा बोलने व सुनने लगा तथा किसी कारण पूरी तरह आंखों की रौशनी गंवा चुके एक अन्‍य बच्‍चे की आंखों की रौशनी लौट आई। विज्ञापन के अनुसार गूंगे व बहरे बच्‍चे का इलाज पूर्व में पीजीआई चण्‍डीगढ़ से चल रहा था लेकिन वहां कोई लाभ नहीं हुआ।
विज्ञापन की मानें तो जहां मेडीकल साइंस असमर्थ हो गई, वहां कुमार स्‍वामी से उपलब्‍ध दिव्‍य पाठ ने चमत्‍कार कर दिखाया। यहां तक कि अनेक असाध्‍य रोगों का इलाज मात्र ईमेल के जरिए कर दिया।
लोगों को प्रभावित करने के लिए विज्ञापन में एक ओर जहां आज देश के प्रधानमंत्री व गुजरात के पूर्व मुख्‍यमंत्री नरेन्‍द्र मोदी तथा मथुरा की सांसद एवं सुविख्‍यात अभिनेत्री हेमा मालिनी का कुमार स्‍वामी को लेकर तथाकथित संदेश भी छापा गया है वहीं दूसरी ओर अमेरिका के सीनेटरों से प्राप्‍त अंबेसेडर ऑफ पीस अवार्ड, न्‍यूयॉर्क स्‍टेट सीनेट से प्राप्‍त सम्‍मान, मॉरीशस के पीएम से प्राप्‍त एंजल ऑफ ह्यूमेनिटी अवार्ड  तथा ब्रिटेन की संसद से प्राप्‍त अंबेसेडर ऑफ पीस अवार्ड के फोटो प्रकाशित किये गये हैं। यह बात अलग है कि इन फोटोग्राफ्स की सत्‍यता को भी प्रमाण की जरूरत पड़ सकती है। जैसे नरेन्‍द्र मोदी और हेमा मालिनी का संदेश कब और किस संदर्भ में दिया गया था, दिया गया था भी या नहीं।
इन फोटोग्राफ्स को विज्ञापन में प्रकाशित करने के पीछे लोगों को प्रभावित करने के अलावा भी कोई दूसरा मकसद हो सकता है, यह समझ से परे है। हां, यह बात जरूर समझ में आती है कि प्रभावित क्‍यों और किसलिए किया जा रहा है।
स्‍पष्‍ट है कि पूर्व में कभी जिस तरह ठगों का सरगना गाय को गधा साबित करने के लिए एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत गिरोह के सदस्‍यों का इस्‍तेमाल किया करता था, ठीक उसी तरह आज के कुमार स्‍वामी अपने तथाकथित भक्‍तों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं जो वास्‍तव में उनके गिरोह का ही हिस्‍सा हैं अन्‍यथा क्‍या ऐसा संभव है कि जन्‍म से गूंगा-बहरा कोई ऐसा बच्‍चा जिसे ठीक करने में मेडीकल साइंस भी असमर्थ हो, उसे कुमार स्‍वामी ने ठीक कर दें। क्‍या ऐसा संभव है कि लाइलाज कैंसर का इलाज और ब्‍लड शुगर व ब्‍लड प्रेशर को कुमार स्‍वामी हमेशा के लिए ठीक कर सकें। मनमाफिक नौकरी पाने की बात हो या परीक्षा में मनमाफिक अंक प्राप्‍त करने की, सबकुछ कुमार स्‍वामी करवा सकते हों।
सूरदास के भक्‍तिपदों में एक पद है-
चरण-कमल बंदौ हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे को सब कुछ दरसाई।।
बहिरौ सुनै मूक पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराई।
'सूरदास' स्वामी करूणामय, बार-बार बन्दौं तेहि पाई।।
सूरदास ने अपने भक्‍ति पदों की रचना भगवान कृष्‍ण के संदर्भ में की है जबकि सूरदास प्रत्‍यक्षत: स्‍वयं मृत्‍युपर्यन्‍त दृष्‍टिहीन ही रहे और सूरदास नाम भी जन्‍मांध लोगों का पर्याय बन गया। लेकिन यहां तो सब-कुछ ब्रह्मर्षि कुमार स्‍वामी की कृपा से संभव बताया जा रहा है।
बेशक धर्म की आड़ में लोगों को ठगने का धंधा करने वाले आज हर धर्म में सक्रिय हैं और कोई धर्म इस प्रकार के धंधेबाजों से अछूता नहीं रह गया है लेकिन कुमार स्‍वामी के विज्ञापन की चर्चा इसलिए जरूरी है क्‍योंकि यह कुछ समय पूर्व इसी तरह यमुना को शुद्ध करने का बीड़ा मथुरा में उठा चुके हैं। तब इन्‍होंने एक बड़ी धनराशि अपनी ओर से यमुना शुद्धीकरण के लिए दान देने का ऐलान यमुना पर संकल्‍प के साथ किया था लेकिन आज न उस धनराशि का कोई पता है और ना ही यमुना शुद्धीकरण के लिए उठाये गये संकल्‍प का। हां, उसके साथ ही कुमार स्‍वामी के संस्‍थान की वेबसाइट पर यमुना शुद्धीकरण के लिए यथासंभव दान देने की अपील जरूर शुरू कर दी गई थी। उसके माध्‍यम से कितना दान मिला, और कुमार स्‍वामी द्वारा यमुना के लिए दान की गई भारी-भरकम रकम का क्‍या हुआ, कुछ नहीं पता।
अब कुमार स्‍वामी ने 108 एकड़ में दो हजार किलो सोने से जड़ा राधाकृष्‍ण का मंदिर बनाने की घोषणा की है।
यदि 25 हजार रुपया प्रति दस ग्राम सोने की कीमत से दो हजार किलो सोने का भाव कैलकुलेट किया जाए तो यह रकम बैठती है पांच सौ करोड़ रुपया। पांच सौ करोड़ रुपए का सोना और उसके अलावा 108 एकड़ नेशनल हाईवे से सटी हुई जगह की कीमत, फिर इतने बड़े मंदिर के निर्माण पर आने वाला खर्च आदि सब जोड़ा जाए तो यह रकम हजारों करोड़ बैठेगी।
यहां सवाल यह पैदा होता होता है कि कुमार स्‍वामी के पास इतनी रकम पहले से है या यह उगाही जानी है। यदि पहले से है तो आई कहां से।
नहीं है तो क्‍या मंदिर के निर्माण की घोषणा और उसके लिए अखबार में दिये गये लाखों रुपये कीमत के विज्ञापन का मकसद उसी प्रकार धन की उगाही करना है जिस प्रकार यमुना शुद्धीकरण के नाम पर कुछ समय पूर्व शुरू किया था।
एक अन्‍य सवाल यहां यह भी है कि 12-13 जुलाई को वृंदावन क्षेत्र में आयोजित प्रभु कृपा दुख निवारण समागम या अन्‍य स्‍थानों पर होते आ रहे ऐसे ही दूसरे समागम क्‍या नि:शुल्‍क होते हैं अथवा इनमें शामिल होने की कोई फीस वसूली जाती है। विज्ञापन के अनुसार उत्‍तर प्रदेश में कुमार स्‍वामी का यह 396वां समागम है। 395 इससे पहले विभिन्‍न स्‍थानों पर किये जा चुके हैं।
यदि यह समागम नि:शुल्‍क होते हैं तो इनके आयोजन के लिए भारी-भरकम खर्च कहां से आता है, कौन यह खर्च उठाता है और उसका इसके पीछे मकसद क्‍या है।
जाहिर है कि इन सभी प्रश्‍नों का जवाब कुमार स्‍वामी के दो पेज वाले 'जेकेट एड' से मिल जाता है परंतु धर्म की आड़ लेकर चल रहे ठगी के इस धंधे पर रोक लगाना आसान नहीं। हाल ही मैं साईं बाबा को लेकर उपजा विवाद इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
चूंकि धर्म ही सभी पापकर्मों के लिए सबसे बड़ी आड़ का काम कर सकता है इसलिए कुमार स्‍वामी जैसे लोग न केवल धर्म को धंधा बनाकर ऐश कर रहे हैं बल्‍कि देश व विदेश में मौजूद उस कालेधन को सफेद करने में लगे हैं जिनको बाहर निकालने में अब तक सरकारें भी असफल रही हैं।
पता नहीं क्‍यों सरकारों का ध्‍यान इस ओर नहीं जाता। यदि जाने लगे तो एक बड़ी मात्रा में कालेधन का पता और उसकी आड़ बने पूरे खेल का पर्दाफाश होते ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगेगा।
-legendnews
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