बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

प्रदीप बर्मन के स्विस बैंक अकाउंट में हैं 18 करोड़ रुपए

नई दिल्ली। 
एक न्‍यूज़ चैनल ने स्विस बैंक में अकाउंट को लेकर डाबर समूह के पूर्व निदेशक प्रदीप बर्मन के खिलाफ कई खुलासे किए हैं। चैनल का कहना है कि बर्मन के स्विस बैंक अकाउंट में 18 करोड़ रुपए हैं और उन्‍होंने अपने खाते की जानकारी इनकम टैक्स से छिपाई थी। यह भी पता चला है कि बिना स्विट्जरलैंड गए प्रदीप बर्मन का खाता खुल गया था। बर्मन का खाता सिर्फ एक फैक्स औऱ फोन कॉल से ऑपरेट होता था। चैनल ने बर्मन का स्विस बैंक अकाउंट नंबर भी जारी किया है। उनके खिलाफ आयकर विभाग ने जो आरोपपत्र तैयार किया है उसमें ये सारी बातें कही गई हैं। दस्तावेजों के मुताबिक, बर्मन ने 2005-06 की अपनी आय मात्र 66 लाख 34 हजार तीन सौ चालीस रुपए बताई थी और आयकर विभाग को दी जानकारी में उन्‍होंने यह नहीं बताया था कि किसी विदेशी बैंक में उनका खाता है।
गौरतलब है कि सरकार ने 27 अक्‍टूबर को सुप्रीम कोर्ट में जिन कारोबारियों के नाम बताए थे उनमें प्रदीप बर्मन भी शामिल हैं। उस दिन डाबर समूह की ओर से बयान जारी कर कहा गया था कि बर्मन ने एनआरआई की हैसियत से खाता खुलवाया था और उन्‍होंने पूरी रकम पर टैक्‍स भरा है।
उधर, टीवी चैनल के मुताबिक बर्मन ने आयकर विभाग की पूछताछ में कहा कि एक आदमी जो ख्वाजा (अभी तक यह पता नहीं चला पाया है कि यह शख्‍स कौन है) को जानता था, वह एचएसबीसी बैंक ज्यूरिख का फॉर्म लेकर दुबई आया था और उन्‍होंने दुबई में ही इस फॉर्म को भरकर पहचान के तौर पर अपना फोटो और इंडियन पासपोर्ट लगाया था।
यह भी पता चला है कि खाते से पैसा निकालने के लिए बर्मन को कभी ज्यूरिख जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। बर्मन के मुताबिक, उन्‍होंने बैंक को ये निर्देश दिए हुए थे कि जब भी उन्‍हें पैसा जमा कराना होगा या निकालना होगा तो वह बैंक को एक फैक्स कर देंगे। फैक्स पहुंचने के बाद बर्मन के पास एक फोन आता था जिससे इस बात की पुष्टि की जाती थी कि पैसे वही निकाल रहे हैं। उसके बाद उन्‍हें बता दिया जाता था कि वह किस बैंक से पैसे ले सकते हैं। जब आयकर अधिकारियों ने बर्मन से पूछा कि वह किस नंबर पर फैक्स करते थे तो उन्‍होंने कहा कि अब उन्‍हें याद नहीं है।
ब्‍लैक मनी पर सरकार ने किया है समझौता
कालेधन पर लगाम लगाने के लिए भारत ने 13 देशों के साथ टैक्‍स इंफॉर्मेशन एक्‍सचेंज अग्रीमेंट (कर सूचना आदान-प्रदान समझौता) किया है। ये देश हैं- जिब्राल्‍टर, बहामास, बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड, आइल ऑफ मैन, केमैन आईलैंड, जर्सी लाइबेरिया, मोनाको, मकाऊ, अर्जेंटीना, बहरीन और गुर्नसे। माना जाता है कि इन देशों में कई भारतीयों ने काला धन जमा करा रखा है। इस समझौते के तहत दो देश किसी आपराधिक या सिविल टैक्‍स मामले में एक-दूसरे से जानकारियां साझा कर सकते हैं।
 -एजेंसी

कालाधन: खेल की दुनिया से लेकर बॉलीवुड तक के लोग

नई दिल्ली। 
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को काला धन मामले में 627 खाताधारकों की सूची तो सौंप दी है लेकिन जानकारों के मुताबिक़ काला धन वापस लाने की दिशा में यह नाकाफ़ी है.
नाम भर पता लगने से काला धन वापस आ जाएगा, ऐसा नहीं हैं. हाँ, इतना ज़रूर है कि इससे जांच का रास्ता खुलेगा.
काले धन की वापसी पर अब तक क्या रहा है ख़ास और कितना है काला धन. बता रहे हैं प्रोफ़ेसर आर वैद्यनाथन:
1- कालाधन सबसे अधिक सेक्यूलर हैं. इसमें सिर्फ़ राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि सारे वर्ग, संप्रदाय और तबक़े के लोग शामिल हैं. खेल की दुनिया से लेकर बॉलीवुड तक के लोग सब इसमें शामिल हैं, यहां तक कि मीडिया के भी.
2- विदेशों में जमा ये काला धन सिर्फ़ कर चोरी से संबंधित नहीं इसके साथ ड्रग, हवाला, अवैध हथियार और चरमपंथ जैसी चीज़ें जुड़ी हुई हैं.
3- ये काला धन शेयर, बाँन्ड्स के अलावा सोना, क़ीमती पत्थर, हीरा, ज़ेवरात जैसे कई रूपों में कई लॉकरों में मौजूद हैं.
4- मेरे अनुमान के मुताबिक़ ये काला धन 500 अरब डॉलर के बराबर होगा.
5- सोशल मीडिया की भी काला धन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी. देश के लोगों की इसे वापस लाने में अब दिलचस्पी है.
6- 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि नामों का ख़ुलासा करने से विदेशों के साथ किसी भी संधि का उल्लंघन नहीं होता है. सरकार का तर्क था कि दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) की वजह से विदेशी बैंकों में जमा काला धन खाताधारकों के नाम उजागर नहीं किए जा सकते हैं.
7- किसी भी चुराए हुए डेटा को लेने में किसी भी तरह की संधि का उल्लंघन नहीं होता है. यह सबके लिए उपलब्ध होता है.
8- अभी तो सिर्फ़ नाम दिए जा रहे हैं, कालाधन वापस लाने में पांच से दस साल लग सकते हैं. हमारे सामने फ़िलीपिंस, पेरू और नाइजीरिया जैसे देशों का उदाहरण है जिन्हें काला धन वापस लाने में काफ़ी वक़्त लग गया था.
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