रविवार, 2 नवंबर 2014

ये क्‍या, नमामि गंगे की 1 मीटिंग 43 लाख की ?

नब्बे के दशक से ही हिंदुस्तान की सरकारें गंगा की सफाई के बहाने हजारों करोड़ बहा चुकी हैं और ऐसा लगता है कि आने वाले सालों में भी ये सिलसिला थमेगा नहीं. बड़े बड़े वादों से गंगा और जनता को नमामि गंगे के जरिए स्वच्छता की नई उम्मीद देने वाले मोदी के मंत्री भी गंगा की सफाई के नाम पर एक बैठक में लाखों रुपये निगल रहे हैं.
लोकसभा चुनावों में काशी से जीतकर प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी का गंगा की सफाई का सपना खर्चीला साबित होने जा रहा है. एक बैठक पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर सरकार ने विज्ञान भवन में स्वच्छ गंगा के लिए आयोजित राष्ट्रीय मिशन की एक बैठक पर 43.85 लाख रुपये खर्च किए.
बैठक के लिए खर्च किए पैसों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, क्योंकि बैठक के लिए आए अतिथियों की सुविधाओं पर 26.7 लाख रुपये खर्च किए गए जबकि अधिकारियों की यात्रा पर 8.8 लाख रुपये बहा दिए गए.
इसके साथ ही गंगा की सफाई के लिए प्रचार पर 5.1 लाख रुपये खर्च किए गए.
दिलचस्प है कि सरकार ने इस बैठक के लिए 75 हजार रुपये सिर्फ साज सज्जा पर खर्च किए. इसके अलावा दूसरी सुविधाओं के लिए 2.3 लाख रुपये खर्च हुए.
गौरतलब है कि बीजेपी नीत केंद्र सरकार ने समेकित गंगा संरक्षण मिशन के लिए नमामि गंगे अभियान की घोषणा की है. इसके लिए केंद्रीय बजट से 2,037 करोड़ आवंटित किया गया है.
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