शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

मथुरा एआरटीओ से खुलेआम चौथ मांग रहे हैं एक स्‍थानीय विधायक

मथुरा। एक स्‍थानीय विधायक जनपद में तैनात एक एआरटीओ से चौथ मांग रहे हैं। चौथ वसूली के लिए माननीय विधायक पिछले काफी समय से लगातार एआरटीओ का न सिर्फ मानसिक उत्‍पीड़न कर रहे हैं बल्‍कि उनके खिलाफ शासन में लगातार झूठी शिकायतें भी कर रहे हैं। विधायक महोदय इस एआरटीओ पर आयेदिन इस बात का दबाव भी बनाते हैं कि वह उनसे उनकी कोठी पर आकर मिले अन्‍यथा जपनद से अपना बोरिया-बिस्‍तर समेटने की तैयारी कर ले।
फिलहाल नाम न छापने की शर्त पर एआरटीओ ने बताया कि विधायक द्वारा उनसे चौथ वसूल करने की कोशिश का सिलसिला उस दिन से शुरू हुआ जिस दिन उन्‍होंने उनकी एक लग्‍जरी गाड़ी के रजिस्‍ट्रेशन में कम पैसे दिये जाने पर उसका तकादा उनके घर तक भेज दिया था।
एआरटीओ के मुताबिक अभी तो वह इस कोशिश में हैं कि विधायक जी को अपने स्‍तर से मामले की गंभीरता समझा सकें किंतु यदि विधायक जी अपनी हरकतों से बाज नहीं आये और जिद पर अड़े रहे तो वह सार्वजनिक रूप से विधायक जी की असलियत बताने के साथ-साथ उनके खिलाफ एफआईआर कराने से भी नहीं चूंकेंगे, जिसके लिए पर्याप्‍त साक्ष्‍य एकत्र कर लिये गये हैं।
एआरटीओ ने ”लीजेंड न्‍यूज़” को बताया कि करीब एक साल पहले विधायक जी ने उनसे अपनी एक लग्‍जरी गाड़ी का रजिस्‍ट्रेशन कराने को कहा। इस गाड़ी के लिए उन्‍होंने एक खास ”फेंसी नंबर” (जैसे 4200, 4300, 4400 या 4500) की मांग की जो उन्‍हें उपलब्‍ध करा दिया गया।
बताया जाता है कि विधायक जी के पास जो गाड़ियां हैं या जो अब तक रही हैं, उन सभी गाड़ियों का नंबर वही रहा है जिसकी मांग उन्‍होंने एआरटीओ से की थी।
यहां तक तो सब ठीक था किंतु बात तब बिगड़ी जब विधायक जी ने गाड़ी का रजिस्‍ट्रेशन कराने के लिए जो पैसे दिये वह काफी कम थे।
एआरटीओ द्वारा यह बताये जाने पर कि जो पैसे आपको बताये गये हैं उनमें एक भी पैसा अतिरिक्‍त नहीं है और सारे पैसों की रसीद आपको दी जायेगी, विधायक जी भड़क गये और पचास हजार रुपयों की एक गड्डी फेंक कर यह कहते हुए चले आये कि रजिस्‍ट्रेशन पेपर मेरी कोठी पर भिजवा देना।
एआरटीओ ने गाड़ी का रजिस्‍ट्रेशन तो करा दिया और विधायक जी का सम्‍मान रखते हुए गाड़ी का रजिस्‍ट्रेशन पेपर भी उनकी कोठी पर भेज दिया लेकिन उनका गुनाह यह था कि उन्‍होंने साथ ही करीब साढ़े बाईस हजार रुपए बकाया होने की वो स्‍लिप भी भेज दी जो विधायक जी कम दे आये थे।
कई महीने तक चक्‍कर कटवाने के बाद विधायक जी ने एआरटीओ के कर्मचारी को गाड़ी के रजिस्‍ट्रेशन का बकाया साढ़े बाईस हजार रुपया तो दे दिया लेकिन यहीं से उन्‍होंने एआरटीओ को सबक सिखाने का मन बना लिया।
इसके बाद विधायक जी ने पहले तो मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की सचिव के रूप में परिवहन विभाग को देख रहीं आईएएस अनीता सिंह से एआरटीओ की झूठी शिकायत की और मथुरा से उनका तबादला करने को कहा, जिस पर अनीता सिंह ने इस आशय के आदेश कर दिये कि जांच के उपरांत कार्यवाही कर अवगत करायें।
बताया जाता है कि एआरटीओ का उत्‍पीड़न करने की बात संज्ञान में आने पर जनपद के ही एक अन्‍य विधायक और पूर्व मंत्री ने एआरटीओ का तबादला रुकवाने में सहयोग किया तथा मुख्‍यमंत्री की सचिव को सच्‍चाई से अवगत कराया।
यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि मथुरा जनपद में सत्‍ताधारी दल समाजवादी पार्टी का कोई विधायक नहीं है। जो पांच विधायक मथुरा जपनद से हैं, उनमें दो राष्‍ट्रीय लोकदल से, एक कांग्रेस से, एक बहुजन समाज पार्टी से जबकि एक निर्दलीय हैं।
जाहिर है कि एआरटीओ का उत्‍पीड़न करने तथा उनसे चौथ वसूलने की कोशिश करने वाले विधायक जी भी विपक्ष से ताल्‍लुक रखते हैं।
खुद की पंचम तल तक सीधे एप्रोच बताने वाले विधायक जी जब एआरटीओ का तबादला कराने में सफल नहीं हुए तो उन्‍होंने एआरटीओ को आये दिन कोई न कोई काम बताना और उनकी आड़ में विभागीय उच्‍च अधिकारियों से उनकी शिकायत करना शुरू कर दिया।
बताया गया कि एक विभागीय उच्‍च अधिकारी ने एआरटीओ से कहा कि विधायक जी तुम्‍हारे पीछे पड़े हैं, उनसे सीधे बात क्‍यों नहीं कर लेते कि वो क्‍या चाहते हैं।
एआरटीओ ने अधिकारी की सलाह मानते हुए विधायक जी के एक खास आदमी से संपर्क साधकर कहा कि विधायक जी बेवजह नाराज हैं और मेरी शिकायत करते रहते हैं, उनसे पूछो कि आखिर क्‍या चाहते हैं।
विधायक जी के इस खास आदमी ने जब उनसे बात की तो विधायक जी ने कहा कि उसने मेरी गाड़ी के रजिस्‍ट्रेशन का पूरा पैसा वसूल लिया, अब जब तक मैं उससे उसका दस गुना नहीं वसूल लूंगा चैन से नहीं बैठूंगा। उससे कहो कि खैर चाहता है तो कोठी पर आकर मिल ले।
इतनी जानकारी मिलते ही एआरटीओ ने समझदारी से काम लेना शुरू कर दिया और उनके आदमी से कहा कि इतनी सी बात के लिए विधायक जी नाराज हो रहे हैं। जो पैसा मैंने लिया था, वो गाड़ी के रजिस्‍ट्रेशन का था जिसकी पूरी रसीद कटती है। बाकी उनकी सेवा करने को हमने कहां मना किया, वह सीधे बताएं कि उन्‍हें क्‍या चाहिए।
इसके बाद विधायक जी ने खुद फोन करके एआरटीओ से कहा कि कोठी पर आकर मिल लो। शाम 4 से 5 बजे के बीच आ जाओ।
इस बीच एआरटीओ ने विधायक के खास आदमी से पूछा कि विधायक जी यह तो बताएं कि कितना पैसा चाहते हैं, ताकि मैं इंतजाम करके ला सकूं। खास आदमी द्वारा यह बताये जाने पर कि कितने का तो मुझे पता नहीं लेकिन वह कह रहे थे कि पार्टी फंड के नाम पर लेना है।
दरअसल, विधायक की मंशा का पता लगते ही एआरटीओ ने उनकी व उनके खास आदमी की कॉल रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया, जिससे सारी बातें स्‍पष्‍ट हो सकें।
विधायक द्वारा निर्धारित किये गये समय से थोड़ा लेट हो जाने पर एआरटीओ ने उनके खास आदमी को फोन करके बताया कि नोएडा चले जाने की वजह से वह इंग्‍लिश टाइम पर नहीं पहुंच सके, थोड़ा लेट हो गये हैं। विधायक जी से पूछ लें कि अब आ जाएं। इसके बाद विधायक जी के खास आदमी ने उनसे दस मिनट में जवाब देने को कहा। यह सारा वाकया बीते कल यानि 2 जुलाई का है।
दस मिनट से पहले ही खास आदमी ने बताया कि विधायक जी रात को दस बजे या सुबह 9 बजे मिलने को कह रहे हैं। बाकी समय आगन्‍तुकों की भीड़ रहती है इसलिए मिलना संभव नहीं होगा।
इस बातचीत के तुरंत बाद खुद विधायक जी ने खुद करीब पौने पांच बजे एआरटीओ को फोन किया और कहा कि उनके घर पर इस समय सत्‍यनारायण की पूजा चल रही है लिहाजा वह रात 10 बजे या सुबह 9 बजे आ जाएं।
रात में बहुत देर से पहुंच पाने में असमर्थता जताने तथा आज यानि 3 जुलाई को सुबह 10 बजे से डीएम साहब के साथ कोई मीटिंग में व्‍यस्‍त होने संबंधी जानकारी देने पर विधायक जी ने एआरटीओ से कहा कि मैं तुम्‍हारे लिए रात का समय आधा घंटा पहले का रख देता हूं लेकिन आज ही मिल लो।
एआरटीओ ने विधायक से रात साढ़े नौ बजे मिलने को कह तो दिया लेकिन मिलने नहीं पहुंचे क्‍योंकि वह उनकी मंशा जान चुके थे।
रात ठीक साढ़े नौ बजे फिर विधायक जी ने एआरटीओ को फोन किया और पूछा कि वह आये क्‍यों नहीं। इस पर एआरटीओ ने आने में असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि वह किसी और दिन मिल लेंगे।
इस संबंध में जब ”लीजेंड न्‍यूज़” ने उत्‍तर प्रदेश के परिवहन मंत्री और मथुरा जनपद के प्रभारी मंत्री दुर्गाप्रसाद यादव से बात की तो उन्‍होंने कहा कि सत्‍ता पक्ष या विपक्ष का कोई जनप्रतिनिधि किसी अधिकारी से पार्टी फंड में पैसा लेने का हकदार नहीं है। माननीय विधायक जो कर रहे हैं, वह सीधे-सीधे चौथ वसूली की परिभाषा में आता है।
यह निश्‍चित ही एक गंभीर मामला है और यदि एआरटीओ इसकी शिकायत करते हैं तो उस पर पूरा संज्ञान लिया जायेगा। एआरटीओ चाहें तो विधायक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा सकते हैं।
उल्‍लेखनीय है कि उत्‍तर प्रदेश के ही जनपद मिर्जापुर में 12 जून के दिन आरटीओ चुन्‍नीलाल को अपने कैंप कार्यालय में बुलाकर दुर्व्‍यवहार करने तथा मारपीट करने के मामले में प्रदेश के बाल विकास पुष्‍टाहार राज्‍य मंत्री कैलाश चौरसिया सहित तीन लोगों के खिलाफ केस रजिस्‍टर्ड करने का आदेश वहां की सीजेएम कोर्ट ने हाल ही में दिया है।
आरटीओ से मंत्री महोदय द्वारा दुर्व्‍यवहार व मारपीट करने के इस मामले में परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने कई दिन तक आंदोलन भी किया था लेकिन कटरा कोतवाली पुलिस ने मंत्री महोदय के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की। मजबूरीवश आरटीओ को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और तब वहां से एफआईआर दर्ज करने के आदेश हुए।
जो भी हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि कृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली से सत्‍ताधारी समाजवादी पार्टी का कोई विधायक न होने तथा संगठन में भी कोई दमदारी न होने के कारण उक्‍त विधायक इसका भरपूर दुरुपयोग कर रहे हैं।
मथुरा जनपद में हर विकास कार्य का श्रेय लेने के लिए पहचान बना चुके उक्‍त विधायक का दावा है कि अखिलेश सरकार में भी वह सब-कुछ करा सकते हैं। पंचम तल के दरवाजे उनके लिए हर वक्‍त खुले रहते हैं और मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव हों या सपा के कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह तथा प्रोफेसर रामगोपाल यादव, कोई उनकी बात नहीं टाल सकता। यहां तक कि मुलायम सिंह भी उनका अतिरिक्‍त सम्‍मान करते हैं।
अब देखना यह है कि पंचम तल तक पहुंच रखने वाले ये विधायक जी चौथ न देने की कसम खा चुके एआरटीओ से अपनी कथनी के मुताबिक अपनी गाड़ी के रजिस्‍ट्रेशन का दस गुना पैसा वसूल पाते हैं या फिर उन्‍हें एआरटीओ के सामने मुंह की खानी पड़ती है।
डर ये भी है कि विधायक जी की जिद भरी हरकत कहीं उन्‍हें और नीचा न दिखा दे और अब तक जो कथित छवि उन्‍होंने अपनी बना रखी है, वह राजनीति के चौथेपन में मटियामेट न हो जाए।
-लीजेंड न्‍यूज़ विशेष
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