बुधवार, 22 जुलाई 2015

यूपी: पीसीएस से एसडीएम बनने वाले 86 में 56 यादव कैसे, याचिका दायर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पीसीएस की परीक्षा में पीसीएस से एसडीएम बनने वाले 86 में 56 यादव कैसे, यह जानने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।
याचिका दायर असफल होने वाले कुछ छात्रों ने की है और यूपीपीसीएस द्वारा आयोजित पिछली तीन परीक्षाओं में अनियमितता और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं।
छात्रों का आरोप है कि पिछली तीन परीक्षाओं के बाद एसडीएम बनने वाले छात्रों में से आधे एक ही जाति के हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया कि एसडीएम बनने वाले 86 लोगों में से 56 एक ही जाति के हैं। साथ ही, पिछले तीन वर्षों में यूपीपीएससी की परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने वालों में भी 50 फीसदी इसी एक जाति के हैं।
याचिकाकर्ताओं ने यूपीपीएससी के चेयरपर्सन डॉ. अनिल यादव पर अपनी ही जाति के छात्रों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
याचिका के मुताबिक 2011 में सिलेक्ट हुए 389 पीसीएस ऑफिसर्स में से 72 उनकी ही जाति के हैं। ओबीसी कोटे में पास होने वाले 111 छात्रों में से 45 इसी जाति के हैं। याचिका के मुताबिक यूपीपीएससी की परीक्षाओं में इस तरह की अनियमितता डॉ. अनिल यादव के चेयरपर्सन बनने के बाद ही शुरू हुई। उनके कार्यकाल में 2011, 12 और 13 में परीक्षाएं कराई गईं।
पहुंचाया गया फायदा: याचिकाकर्ताओं में से एक अवधेश पांडेय ने कहा, ‘सामान्यत: पीसीएस परीक्षाएं दो-तीन वर्षों के अंतराल पर आयोजित कराई जाती थीं, लेकिन अपनी जाति के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए डॉ. यादव इन्हें हर साल आयोजित करवाने लगे। हमने हाई कोर्ट में यूपीपीएससी द्वारा आयोजित एक दर्जन से ज्यादा परीक्षाओं के परिणाम सबूत के तौर पर पेश किए, जो एक जाति विशेष को लाभ पहुंचाने की ओर इशारा करते हैं। यह मामला मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले से भी बड़ा हो सकता है और इसकी सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए।’
रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ताओं का दावा है कि अपनी जाति के अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए यूपीपीएससी के नियम भी बदले गए। अब लिखित परीक्षा में कुछ विषयों में शून्य अंक लाने वाले छात्रों को भी आगे बढ़ा दिया जाता है। अब मेरिट की लिस्ट लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के नंबरों को मिलाकर तैयार की जाती है। ऐसे में लिखित परीक्षा में बहुत कम अंक हासिल करने वालों को इंटरव्यू में ज्यादा नंबर दे दिए जाते हैं लेकिन लिखित में ज्यादा नंबर लाने वाले छात्रों को इंटरव्यू में ज्यादा नंबर नहीं मिल पाते।
बदले गए नियम और फैसले: एक याचिकाकर्ता विशाल कुमार ने यूपीपीएससी की उस प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया, जिसके तहत एग्जाम की आंसर शीट सार्वजनिक किया जाना बंद कर दिया गया। ऐसे में छात्रों को पता ही नहीं चलता था कि वे कहां गलत थे। हाई कोर्ट में मामला पहुंचने पर इसका भी तोड़ निकाल लिया गया। यूपीपीएससी की परीक्षा में कई ऐसे सवाल मिले, जिनके एक से ज्यादा सही जवाब थे लेकिन पेपर जांचने वाले अपने मन से किसी भी एक जवाब को सही मान लेते थे। यह मामला अभी लंबित है।
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