शनिवार, 13 मई 2017

12 घंटे अंधेरे में डूबा रहा ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का चुनाव क्षेत्र, पंडों पर CM के कमेंट को लेकर भी श्रीकांत शर्मा की सफाई नाकाफी

https://legendnews.in/constituency-of-energy-minister-shrikant-sharma-dipped-in-darkness-for-12-hours/
मात्र एक तार टूटने पर उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और सरकार के प्रवक्‍ता श्रीकांत शर्मा के चुनाव क्षेत्र का सर्वाघिक पॉश इलाका पूरे 12 घंटे अंधेरे में डूबा रहा जबकि प्रदेश सरकार शहरी क्षेत्र को 24 घंटे, तहसील मुख्‍यालय को 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों को 16 घंटे बिजली देने का दावा कर रही है।
यह हाल तो तब है जबकि मथुरा के ही कस्‍बा गोवर्धन का ‘गांठौली’, ऊर्जा मंत्री का पैतृक गांव है और मथुरा जनपद विश्‍व पटल पर महाभारत नायक योगीराज श्रीकृष्‍ण की पावन जन्‍मस्‍थली के रूप में न सिर्फ विशिष्‍ट स्‍थान रखता है बल्‍कि उस ताज ट्रिपेजियम जोन का भी हिस्‍सा है जहां निर्बाध विद्युत आपूर्ति के आदेश सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा दिए हुए हैं।
अब इसे दिया तले अंधेरे की संज्ञा दें अथवा दुष्यंत कुमार के इस शेर से जोड़ें कि-
कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये।
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये।।
कल रात करीब साढ़े दस बजे मामूली सी हवा क्‍या चली, उसने प्रदेश सरकार के दावे की भी हवा निकाल कर रख दी। वृंदावन फीडर से पोषित शहर के सर्वाधिक पॉश इलाकों में शुमार कॉलोनियां राधापुरम्, राधापुरम् एस्‍टेट और राधापुरम् एस्‍टेट ऐक्‍सटेंशन सहित कृष्‍णा नगर आदि का समूचा क्षेत्र अंधेरे में पूरी तरह डूब गया। 42 डिग्री तक तापमान वाली भीषण गर्मी के इस दौर में पहले तो लोग सोचते रहे कि हवा कम होते ही रोज की तरह बिजली आ जाएगी किंतु बिजली ने पूरी रात इंतजार में कटवा दी।
सुबह 7 बजे और फिर 8 बजे दो बार 15-15 मिनट के लिए बिजली चमकी लेकिन फिर गई तो साढ़े दस बजे यानि पूरे 12 घंटे बाद ही सामान्‍य हो सकी।
इस बारे में पूछे जाने पर विद्युत विभाग के शहरी एसई प्रदीप मित्तल ने बताया कि रात को हवा चलने पर गोकुल रेस्‍टोरेंट के पास ओवरहेड लाइन का तार टूट गया था, जिसे रात में हमारे कर्मचारी तलाश नहीं पाए। सुबह तार जोड़ दिया गया लेकिन फिर एकसाथ लोड बढ़ जाने के कारण सप्‍लाई बाधित करनी पड़ी।
गौरतलब है कि इसी क्षेत्र में स्‍थित राधा वैली कॉलोनी में ऊर्जा मंत्री ने अपने लिए किराए का एक आवास ले रखा है परंतु वहां की बिजली हवा चलने के एक घंटे बाद ही सुचारू हो गई। अधिकारियों की मानें तो ऊर्जा मंत्री की कॉलोनी को सप्‍लाई ”गौर केंद्र” नामक औद्योगिक क्षेत्र से मिलती है इसलिए वहां कोई समस्‍या खड़ी नहीं हुई।
वैसे ऊर्जा मंत्री ने राधा वैली में अपना अस्‍थाई निवास मथुरा की शहरी सीट से चुनाव लड़ने के दौरान बनाया था क्‍योंकि उन पर बाहरी होने का ठप्‍पा लगाया जा रहा था।
ऐसा इसलिए क्‍योंकि ऊर्जा मंत्री गोवर्धन के गांव गांठौली को करीब दो दशक पहले राम-राम कहकर चले गए और तभी अचानक सामने आए जब उनका नाम मथुरा की शहरी सीट से चुनाव लड़ने के लिए घोषित किया गया।
ऊर्जा मंत्री के चुनाव क्षेत्र का एक बड़ा हिस्‍सा 12 घंटे इस भीषण गर्मी में बिजली के लिए तरसता रहा किंतु ऊर्जा मंत्री को इसकी खबर भी लगी या नहीं लगी, इसकी खबर देने वाला कोई नहीं है।
”लीजेंड न्‍यूज़” ने ऊर्जा मंत्री के मोबाइल नंबर 09999476555 पर बात करने की कोशिश की तो फोन रिसीव करने वाले उनके किसी निजी सचिव ने कहा कि हमने नोट कर लिया है, थोड़ी देर में मंत्री जी से आपकी बात करा देंगे लेकिन शाम तक मंत्री जी या उनके किसी नुमाइंदे से भी जवाब नहीं मिला।
यहां उल्‍लेखनीय है कि बिजली को एक बड़ा मुद्दा बनाकर सत्‍ता पर काबिज होने वाली भाजपा सरकार के ऊर्जा मंत्री और मुख्‍यमंत्री ने भी इस आशय के आदेश विभागीय अधिकारियों को दे रखे हैं कि सामान्‍यत: तो बिजली की आपूर्ति में बाधा आनी ही नहीं चाहिए और आती भी है तो उसका तत्‍काल समाधान होना चाहिए। रात में तो बिजली की आपूर्ति शत-प्रतिशत सुनिश्‍चित होनी चाहिए।
इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ की सरकार बनने के बाद बिजली की आपूर्ति में उल्‍लेखनीय सुधार हुआ है किंतु कल रात जिस तरह मात्र एक तार टूटने पर 12 घंटे सप्‍लाई ठप्‍प रही उसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
लोगों के सोचने पर मजबूर होने का एक कारण यह भी है कि अभी तो आंधी रूपी हवाओं के चलने का यह प्रथम चरण है, अभी तो करीब दो महीने काफी तेज आंधियां भी आ सकती हैं और हवाएं भी चल सकती हैं। इसके बाद बारिश का दौर शुरू हो जाएगा और ऐसे में यदि बिजली विभाग इसी गति से काम करेगा तो ”अखिलेश राज” का अहसास होते देर नहीं लगेगी।
ऊर्जा मंत्री से मथुरा की जनता इसलिए भी अपेक्षा रखती है क्‍योंकि सांसद हेमा मालिनी स्‍थानीय जनप्रतिनिधि बनने के बावजूद स्‍वप्‍नसुंदरी ही बनी हुई हैं जबकि उनके कार्यकाल का आधे से अधिक हिस्‍सा बीत चुका है।
कहने को भाजपा ने यहां एक मीडिया प्रभारी और एक मीडिया प्रमुख भी बना रखा है लेकिन उनकी सक्रियता सिर्फ और सिर्फ किसी बड़े नेता के आगमन पर दिखाई देती है। सामान्‍य तौर पर मीडिया से उनकी दूरी किसी विशिष्‍ट व्‍यक्‍ति की तरह बनी रहती है जबकि भाजपा विशिष्‍ट और अति विशिष्‍ट कल्‍चर से मुक्‍त होने की हिमायती है। हालांकि मीडिया प्रमुख संजय शर्मा को जब यह जानकारी दी गई कि शहर का एक बड़ा क्षेत्र मात्र तार टूटने के कारण 12 घंटे अंधेरे में डूबा रहा तो उन्‍होंने कहा कि वह ऊर्जा मंत्री को इस बात से अवगत कराएंगे।
अब देखना होगा कि ऊर्जा मंत्री उनकी बात को कितनी गंभीरता से लेते हैं और भविष्‍य में इस भीषण गर्मी के चलते इस तरह की पुनरावृत्ति होने से रोक पाते हैं या नहीं।
बहरहाल, 2022 भले ही दूर हो लेकिन 2019 बहुत दूर नहीं है। श्रीकांत शर्मा हों या दूसरे विधायक और मंत्री, वीआपी कल्‍चर से मुक्‍त रहने का प्रदर्शन करने भर से काम नहीं चलेगा। वास्‍तविकता के धरातल पर आकर महसूस भी कराना होगा कि वह हर सुख-दुख में जनता के साथ खड़े हैं। पत्रकार तो क्‍या, किसी आमजन का भी नंबर मंत्री के निजी सचिव द्वारा नोट कर लेना उसी सरकारी कल्‍चर का हिस्‍सा है जिससे मुक्‍ति की बात तो भाजपा कर रही है, लेकिन मुक्‍त होती नजर नहीं आ रही।
अब बात मथुरा के ”पंडों” को लेकर दी गई सफाई पर
हाल में यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अपने आगरा दौरे पर मथुरा व आगरा में सक्रिय ”लपकों” के साथ पंडों को भी जोड़ते हुए उनके खिलाफ अभियान चलाने की बात कही जबकि लपकों और पंडों को किसी भी तरह एकसाथ नहीं जोड़ा जा सकता।
देश के हर प्रमुख धार्मिक स्‍थल पर पंडे होते हैं, जो दरअसल पुरोहित हैं। पूरब से पश्‍चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक इन पुरोहितों का अपने यजमानों से एक ओर जहां आत्‍मिक रिश्‍ता होता है वहीं दूसरी ओर इनका उनके साथ पारिवारिक संबंध रहता है। यह एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं। एक-दूसरे के यहां ठहरते हैं और उनके सुख-दुख में सहभागी बनते हैं।
परहित सोचने वाले को पुरोहित कहा जाता है और पुरोहितों की इसी सोच ने देशभर में उन्‍हें हमेशा मान-सम्‍मान दिलाया है। यजमान नया हो अथवा पुराना, पुरोहित हमेशा उसके हित में ही लगा रहता है।
इसके ठीक विपरीत ”लपके” वह तत्‍व हैं जिनका एकमात्र मकसद किसी न किसी तरह यात्री, पर्यटक एवं सैलानियों का आर्थिक दोहन करना होता है। मथुरा में यह तत्‍व धर्म की आड़ लेकर इस काम को करते हैं तो आगरा जैसे पर्यटन स्‍थल पर अवैध गाइड के रूप में।
जाहिर है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ द्वारा लपकों और पंडों को एक ही श्रेणी में रखकर किए गए कमेंट से मथुरा-वृंदावन सहित आसपास के सभी प्रमुख धार्मिक स्‍थलों के पुराहितों को ठेस लगना स्‍वाभाविक था लिहाजा सभी ने अपने-अपने तरह से योगी जी के कमेंट पर विरोध प्रदर्शन किया।
यहां सबसे महत्‍वपूर्ण और गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और सरकार के प्रवक्‍ता श्रीकांत शर्मा भी जिस कौशिक परिवार से ताल्‍लुक रखते हैं उसका भी पारंपरिक व्‍यवसाय पुरोहिताई करना ही रहा है। कहने का अर्थ यह है कि वह या उनके परिवार में से किसी ने कभी पंडागीरी की हो अथवा न की हो किंतु हैं वह भी पंडा ही। ऐसे में उनके द्वारा मुख्‍यमंत्री के बचाव में मात्र इतना कह देना कि सरकार पंडा-पुरोहितों का पूरा सम्‍मान करती है, पर्याप्‍त नहीं है।
सरकार के प्रवक्‍ता की हैसियत से उन्‍हें आगे आकर मुख्‍यमंत्री को पंडों और लपकों का भेद बताना चाहिए और मथुरा जनपद के पुरोहितों से वायदा करना चाहिए कि भविष्‍य में ऐसी चूक नहीं होगी।
हो सकता है कि योगी आदित्‍यनाथ पंडों और लपकों में भारी फर्क से अनभिज्ञ हों लेकिन एक पुरोहित परिवार का हिस्‍सा होने के नाते ऊर्जा मंत्री व सरकार के प्रवक्‍ता श्रीकांत शर्मा को योगी जी के सामने स्‍थिति स्‍पष्‍ट करनी चाहिए न कि अपने स्‍तर पर बयान देकर सतही रूप से मामले को रफा-दफा करने का प्रयास करना चाहिए।
श्रीकांत शर्मा का यह पहला चुनाव था और पहली ही बार उन्‍हें मंत्रिपद प्राप्‍त हुआ है। उनसे पूर्व भी मथुरा से निर्वचित अनेक विधायक विभिन्‍न मंत्री पदों को सुशोभित करते रहे हैं किंतु आज उनकी राजनीति अवसान पर है।
बेहतर होगा कि श्रीकांत शर्मा उनके असमय राजनीतिक अवसान के कारणों को अपने जेहन में रखें अन्‍यथा यह तो जानते ही होंगे कि मथुरा को तीन लोक से न्‍यारी नगरी की उपमा भी प्राप्‍त है। पार्टी के 14 साल के वनवास को खत्‍म हुए अभी तो चौदह सप्‍ताह भी नहीं हुए। अभी मथुरा की जनता को उनकी दरकार है, फिर उन्‍हें मथुरा की दरकार होगी।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी

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